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जीवन का सत्य Buddha moral story

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नमस्कार दोस्तों स्वागत हैं आपका जीवन का सत्य buddha moral story मे. दोस्तों आज की यह buddhist story आपके जीवन के लिये बेहद ख़ास हैं. जो जीवन हम लोग जी रहे हैं क्या वहीं जीवन की असल सच्चाई हैं या कुछ और. तो चलिए जानते हैं भगवान बुद्ध के जीवन से प्रेरित जीवन का सत्य buddha moral story की मदद से.

जीवन का सत्य buddha moral story

 

बुद्ध के संघ सबके लिये खुले रहते, बुद्ध संघ का अर्थ हैं जो भी व्यक्ति बौद्ध भिक्षु बन कर बुद्ध के साथ रहना चाहता हों.बौद्ध की शरण मे आना चाहता हों.

 

कुछ लोगो को बुद्ध सहज ही स्वीकार कर लेते और संघ मे रहने की अनुमति दे देते हैं पर कुछ व्यक्तियों को वो कह देते की जाओ पहले एक रात शमशान मे जाकर रहो.

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इसी तरह एक दिन एक व्यक्ति बुद्ध के पास आया, और उसने बुद्ध के संघ मे शामिल होने की इच्छा जताते हुए कहा, गुरु जी मै आपका शिष्य बनना चाहता हूं.

 

बुद्ध ने कहा,तुम्हे मेरा शिष्य बनने के लिये एक दिन पूरा शमशान मे बिताना होगा. और वहाँ तुम जो भी देखोगे जो भी महसूस करोगे,मुझे आकर बताओगे. उसके बाद ही तुम संघ मे शामिल हों पाओगे.

 

वो व्यक्ति ये सुन घबरा गया,    उसने बुद्ध से काँपती आवाज़ मे कहा–  गुरु जी, दिन मे तो ठीक हैं लेकिन रात मे शमशान मे रहना खतरनाक हैं. बुद्ध ने कहा कैसा खतरा?

व्यक्ति ने कहा, वहाँ भूत प्रेत होंगे वो मुझे पकड़ लेंगे और जान से मार देंगे या जीवन नर्क बना देंगे.

 

भूत प्रेतो का ख़ौफ़ उस व्यक्ति के चेहरे पर साफ दिख रहा रहा.

 

पर बुद्ध ने कहा – क्या तुमने भूत प्रेत देखें हैं?

व्यक्ति ने कहा – नहीं! पर मैंने सुना बहुत हैं. और कुछ ऐसे लोगो को जरूर देखा हैं जिनमे भूत आजाते हैं और उन्हें परेशान करते हैं अजीब अजीब हरकते करते हैं.

 

इस पर बुद्ध ने कहा, फिर तो अब तुम्हारे पास ये सुनहरा अवसर हैं,ये जानने के लिये,  की क्या वाकई भूत प्रेत होते हैं या नहीं, तुम एक रात शमशान मे व्यतीत करो,

 वहाँ गर तुम्हे कुछ ऐसा लगे की वो भूत हैं, तो देखना की वो कैसा दिखता हैं और यदि ऐसा कुछ ना हुआ तो तुम यह जान पाओगे की भूत प्रेत जैसी कोई चीज नहीं होती, इस तरह पूरी रात तुम जो भी अनुभव कर पाओ वो सुबह मुझे आकर बताना.

 

बुद्ध की बातो से वो व्यक्ति जिज्ञासु हों जाता हैं.

व्यक्ति बोला – ठीक हैं गुरु जी, , मै एक पूरा दिन और रात शमशान मे गुजारूंगा.

 

बुद्ध ने कहा ठीक हैं अभी तुम स्नान कर लो, और आश्रम मे जाकर भोजन करके  आराम करो, कल सूर्य की पहली किरण के साथ ही शमशान पहुँच जाना.

 

व्यक्ति के जाने के बाद बुद्ध ने अपने 4 शिस्यों से कहा की वह व्यक्ति कल शमशान जाएगा. तुम उसके पीछे जाना और उस पर नजर रखना, पर ध्यान रहे उसे भनक भी ना लगे की कोई उस पर नजर रख रहा हैं.

 

अगले दिन सुबह होते ही वो व्यक्ति शमशान पहुँच गया. बौद्ध भिक्षु भी उस व्यक्ति का पीछा करते हुए एक जगह छुप कर उस व्यक्ति पर नजर रखने लगा.

 

ज़ब तक दिन था तब तक वो व्यक्ति शमशान मे इधर उधर घूमता रहा उसे  ख़ास वैसा कुछ भी अनुभव नहीं हुआ. लेकिन जैसे जैसे सूर्यास्त के साथ अंधेरा घनाता जा रहा था उस व्यक्ति की धडकने बढ़ती जा रही थी.

 

किसी तरह उस व्यक्ति ने पूरी रात शमशाम मे गुजार ही ली और सुबह होते ही वो बुद्ध के पास पहुँच गया.

 

बुद्ध ने व्यक्ति से पूछा, बताओ ! शमशान मे कैसा समय व्यक्तित्व हुआ तुम्हारा?क्या अनुभव किया, क्या क्या देखा? 

व्यक्ति बोला – गुरु जी, जैसे ही मै सुबह सुबह शमशान पहुंचा तो वहाँ कुछ घंटे बाद मुझे कुछ लोगो की भीड़ शमशान की ओर आती दिखाई पड़ी जो एक अर्थी लिये आ रहे थे.

 

मैंने ज़ब उन लोगो को ध्यान से देखा तो उनमे से कुछ लोग बेहद दुखी, कुछ लोग सामान्य, और कुछ लोग बेहद खुश थे, वो लोग उस मृत इंसान के बारे बोल रहे थे की इस व्यक्ति ने बहुत अच्छे कर्म किये हैं बहुत किस्मत वाला हैं ये,

 

इसके बाद उस मृत बुजुर्ग के बेटे ने अपने वृद्ध पिता की चिता को अग्नि दी.

 

अर्थी के साथ शमशान आए लोग कुछ देर वही खड़े रहे. चिता! प्रचण्ड अग्नि की लपटो से धू धू करके जलती रही. सभी लोग मायूस खड़े जलती चिता को निहार रहे थे.

 

जैसे जैसे चिता की अग्नि मंद पड़ने लगी वहाँ मौजूद लोग भी वहाँ से जाने लगे. थोड़ी देर बाद वहाँ 2 और अर्थी आई, जिसमे एक अर्थी किसी अमीर व्यक्ति की थी जो तरह तरह के फूलो से बहुत सजी धजी थी,उस अर्थी के आस पास बहुत से लोग भी थे,

 

और दूसरी अर्थी एक गरीब व्यक्ति की थी जो बेहद साधारण सी थी और उसके आस पास गिने चुने ही लोग थे.

 

अमीर व्यक्ति की चिता चंदन की लकड़ी पर जलाई गई जलकी ग़रीब व्यक्ति की चिता साधारण लकड़ियों पर जलाई गई.

 

पहले अमीर व्यक्ति की चिता को जलाया गया क्योंकि वो अमीर था. उसके बाद ग़रीब व्यक्ति की चिता जलाई गई.

 

दोनों व्यक्तियों की चिताए ज़ब जल गई तो सभी लोग शमशान से चले गए.

 

लेकिन मै वहीं खड़े चिताओं को देखता रहा.

 

अब बुद्ध ने कहा – तुमने उनकी चिताओं को देख कर क्या समझा क्या अनुभव किया?

व्यक्ति ने कहा – गुरु जी, दोनों की चिताए समान थी, दोनों के ही शरीर उन चिताओं मे समान तरीके से ही जले. उसके बाद,ज़ब सब कुछ जल कर राख मे बदल गया,तो वो राख़ भी एक समान ही थी.

 

गुरु जी! उसके बाद वहाँ पर एक औरत की अर्थी आई, उस औरत का पति बहुत दुखी था फूट फूट कर रो रहा था,अर्थी के साथ शमशान मे आए बाकी लोग भी बहुत दुखी थे वो सभी उसके पति को शांतुना दे रहे थे,

 

हे बुद्ध गुरु, मैंने उसमे देखा की बहुत से लोग काफ़ी ज्ञानी थे वो ज्ञान की बातें कर रहे थे. मैंने ध्यान से उनकी बातो को सुना तो वो बोल रहे थे.

  • की अर्थी की सवारी करते हुए मृत होकर  एक दिन तो सबको यहां आना ही हैं
  • जीवन हमें इंसानियत और परोपकार से जीना चाहिये.
  • अधर्म कर्म से दूर रहना चाहिये,
  • किसी को कभी कष्ट नहीं देना चाहिये.
  • धन के पीछे हमेशा भागकर जो हम अपने जीवन का सुख चैन गंवा बैठते हैं और अंत मे जो भी धन इकट्ठा करते हैं वो सब कुछ तो यहीं धरे का धरा रह जाता हैं.

गुरु जी, उसके बाद शमशान मे कोई अर्थी नहीं आई,.

इसपर बुद्ध ने पूछा की – तुम सारी रात वहाँ रहे, तो क्या कोई भूत प्रेत तुम्हे दिखा? व्यक्ति बोला – नहीं! वहाँ मुझे कोई भूत प्रेत नहीं दिखा, हालांकि मन मे एक डर तो था पर सच्च कहूं तो पूरी रात मै अपने आप से ही डरता रहा

.कभी हवाओं से हिलने वाले पत्तों की आवाज़ो से डरता रहा,तो कभी वहाँ आस पास मौजूद जीव जंतुओं की आवाज़ो से डरता रहा, सारी रात सहमा रहा.

लेकिन पूरी रात मे मुझे कोई भूत प्रेत नजर नहीं आया..

बुद्ध ने उस व्यक्ति से कहा, ठीक हैं अब तुम जाओ. और आश्रम मे आराम करो.कल फिर तुम्हे  पूरा एक दिन और रात शमशान मे बिताना होगा.

अब वो व्यक्ति ये सुन बोला आप कैसी बात कर रहे हैं गुरु जी,  आपके ही कहने पर आज पूरा दिन और पूरी रात मै शमशान मे पड़ा रहा. वो समय मैंने कैसे काटा हैं मै ही जानता हूं.

अब मै दोबारा वहाँ नहीं जाऊंगा.

बुद्ध ने कहा – देखो जो ख़ास चीज तुम्हे वहाँ जाकर मिलनी हैं वो तुम्हे अभी तक नहीं मिली हैं. ज़ब तक वो चीज तुम्हे नहीं मिल जाती मै तुम्हे संघ मे शामिल नहीं कर सकता.

तुम एक दिन और वहाँ रुको, तुम्हे वो अवश्य मिल जाएगी.

व्यक्ति बोला ठीक हैं, मै कल एक दिन और रात और व्यतीत कर लूंगा शमशान मे.

अगले दिन सुबह वो व्यक्ति बुद्ध का आशीर्वाद लेकर फिर से शमशान पहुँच गया.

एक पूरा दिन और रात बिता कर वो व्यक्ति अगली सुबह फिर बुद्ध के पास पहुंचा.लेकिन इस बार उस व्यक्ति के चेहरे पर एक अलग ही तेज था एक अलग ही ख़ुशी झलक रही थी मानो उसे वो मिल गया हों.

लेकिन बुद्ध उसके मुंह से सुनना चाहते थे इसलिए बुद्ध ने एक ही सवाल पूछ की क्या तुम्हे वो चीज मिली?

 

व्यक्ति बोला – हाँ! गुरु जी, मुझे वो मिल गई

बुद्ध ने पूछा की बताओ – तुम्हे वहाँ क्या मिला?

व्यक्ति ने कहा – गुरु जी मैंने जीवन का अर्थ समझ लिया हैं,  मैंने वहाँ देखा की कुछ लोग शाम को मुझे अर्थी पर लेकर आरहे हैं मुझे चार लोगो ने अपने कंधो पर उठा रखा हैं,

मेरे पीछे कुछ 15-20 लोग रोते बिलखते चल रहे हैं.

मेरे पिता अर्थी के आगे आगे चल रहे हैं और कुछ लोग राम नाम सत्य बोलते हुए मेरे ऊपर फूल फैक रहे हैं.

 मेरे सभी रिश्तेदार बहुत दुखी हैं. भीड़ मे मौजद कुछ लोग तो सिर्फ दुखी होने का नाटक कर रहे हैं.कुछ लोग मेरे पिता को शांतुना दे रहे हैं.

तभी कुछ देर बाद मेरी अर्थी को जमीन पर रख दिया गया और मेरे शरीर को उठा कर चिता पर लिटा दिया गया.मै ये सब दृश्य अर्थी पर लेटें हुए देख रहा था.

 

मैंने उस अर्थी से उठना चाहा, पर उठ नहीं सका, मै सांस लेना चाहता था पर सांस नहीं लें पा रहा था मै पूरी तरह से असमर्थ और विकलांग की तरह था.क्योंकि मेरे अंदर सांस नहीं थी,

 मै अपने पिता को गले लगाना चाहता था.

लेकिन मै उठ नहीं सकता था. मै भाई को गले लगाकर ये कहना चाहता था की तुम अपना और माता पिता का ध्यान रखना,घर व परिवार की जिम्मेदारी अब तुम्हारे ऊपर हैं इसे बखूबी निभाना.इससे मेरी आत्मा को शांति मिलेगी.

कुछ समय बाद मेरा मुंह कपड़े से ढक दिया गया और शरीर के ऊपर क़ई लकड़िया रख दी गई. मुझे अब कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था, फिर उसके बाद मुझे अत्यंत गर्मी महसूस हुई,मुझे अहसास हुआ,  की मुझे अब जलाया जा रहा हैं.

 

धीरे धीरे लकड़ियों के साथ साथ मेरा पूरा शरीर जलने लगा. मेरा दम घुट रहा था मै उठना चाहता था.

आखिर अग्नि ने प्रचण्ड रूप लें लिया, और धीरे धीरे मै भी उस अग्नि मे पूरी तरह खो गया, पूरी रात मै ख़ुद को ऐसा ही जलता देखता रहा. मैंने देखा, की अंतिम रूप मे मै एक राख बन चुका हूं. उस पूरी रात ना तो मै डरा ना ही मुझे डर का एहसास हुआ.

ज़ब आँखे खुली तो एक तीव्र रोशनी मेरे आँखो पर पड़ी, मैंने देखा की ये तो मै हूँ वो भी शरीर के साथ. मुझे बहुत ख़ुशी का अनुभव हुआ.उसके बाद मेरे मन से ना जाने कितने ही भ्र्म समाप्त हों गए और मै आपके पास आगया.

 

बुद्ध मुस्कराए और बोले की तुम अब संघ मे शामिल हों सकते हों. क्योंकि तुमने अब ज्ञान रूपी उस बीज को प्राप्त कर लिया हैं,  जिसमे शरीर को भूल कर स्वयं को जानने की इच्छा होती हैं.

इसी ज्ञान की प्राप्ति के लिये मैंने तुम्हे शमशान भेजा.था.जहाँ अंततः तुमने ये जाना, की शरीर नश्वर हैं,नेत्रों से दिखने वाली हर चीज नश्वर हैं,

 

शमशान आने वाला हर व्यक्ति भी यह समझ रहा होता हैं, पर शमशान से वापिस जाते ही वो सब भूल कर पुनः उन्ही ग़लत क्रियाओ मे लग जाता हैं जैसे झूठ बोलना,लूट धसोट, अधर्म, लालच, लालसा, बुराई, क्रोध, अपशब्द, अहंकार, ईर्ष्या, इत्यादि नाना प्रकार बुरी भावनाओं से बुरे कर्मो को अंजाम देते हैं .

किन्तु अब तुम्हारे अंदर ज्ञान का वो बीज अंकुरित हों चुका हैं जिसमे हम जीवन को तब तक नहीं समझ सकते ज़ब तक मृत्यु को निकट से देखा व समझा ना जाए.

अच्छे स्वस्थ्य की क़ीमत वहीं समझ सकता हैं जो अत्यंत बीमार हों या जो बहुत लम्बे समय से बुरे स्वस्थ्य से जूझ रहा हों. ठीक उसी तरह जीवन का महत्व वहीं समझ सकता हैं जो मृत्यु से रूबरू हुआ हों या जो मृत्यु को समझ चुका हों एहसास कर चुका हों.

अब तुम्हे इसी बीज को लक्ष्य बनाकर कर ध्यान की मदद से स्वयं को और ज़ादा जानना हैं और ज्ञान की उस सीमा पर पहुंचना हैं, जिसे जानने के बाद कुछ भी शेष नहीं रह जाता कोई इच्छा, कोई लालसा शेष नहीं रह जाती मन हर विचारों से मुक्त हों जाता हैं सब शून्य मे समाहित हों जाता हैं , मन मे ज़िज्ञासा का कौतुहल शांत होकर ज्ञान रूपी शांति मे बदल जाता हैं.यहीं से परम् शांति, सुख, सुकून का आनंद एवं अनुभव प्राप्त होना आरम्भ होता हैं…….

तो दोस्तों आज आपने इस  जीवन का सत्य buddha moral story कहानी से क्या सीखा,कमेंट करके जरूर बताना. हम अपनी blog पर जीवन बदल देने वाली ऐसी ही तमाम ज्ञान से भरी शिक्षाप्रद नैतिक कहानियाँ आपके लिये लाते ही रहते हैं. 

 

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