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तेनाली का घोड़ा | tenali raman stories

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तेनाली का घोड़ा | tenali raman stories- दोस्तों स्वागत है आपका ज्ञान से भरी  कहानियों की इस रोचक दुनिया मे। दोस्तों जीवन मे कहानियों का विशेस महत्तव होता है | क्योकि इन कहानियो के माध्यम से हमे बहुत कुछ सीखने को मिलता है | इन कहानियों के माध्यम से आपको ज़रूरी ज्ञान हासिल होंगे जो आपको आपकी लाइफ मे बहुत काम आएंगे | यहाँ पर बताई गई हर कहानी से आपको एक नई सीख मिलेगी जो आपके जीवन मे बहुत काम आएगी | हर कहानी मे कुछ न कुछ संदेश और सीख (moral )छुपी हुई है | तो ऐसी कहानियो को ज़रूर पढ़े और अपने दोस्तो और परिवारों मे भी ज़रूर शेयर करे |

 

तो चलिये शुरू करते है हमारी आज की कहानी 

तेनाली का घोड़ा | तेनाली ने सिखाया साहूकार को सबक | tenali raman stories

 

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 एक बार तेनाली राम (tenali raman) की महाराज कृष्णदेव राय से किसी बात पर बहस हो जाती है जिससे तेनाली राम (tenali raman) नाम नाराज़ हो जाते है | तेनाली कृष्णदेव राय को अपनी नाराजगी जताने के लिए कुछ दिन राज महल नहीं जाते | जिस वजह से तेनाली (tenali raman) के  घर धन  की  बहुत तंगी आ जाती है | यह देख तेनाली की पत्नी रमा बहुत परेशान हो जाती है  की कैसे घर के खर्च को चलाया जाए कोई तो रास्ता निकालना होगा | घर मे राशन भी कम हो रहा था |

 

एक दिन तेनाली राम (tenali raman) घर से बाहर किसी काम से गए | उस दिन  एक तपस्स्वी साधू  तेनाली (tenali raman) के घर आए | जिनका नाम था स्वामी बरम्हा नन्द | उन्होने कई सालो तक कड़ी तपसस्या कर के शक्तियाँ प्राप्त की थी | साधू जी से मिल कर तेनाली राम की पत्नी रमा बहुत प्रभावित हुई |

और सोचने लगती है की यह तो बहुत सिद्ध साधू है इनके पावन चरणो  से मेरा घर पहले की तरह खुशहाल हो जाएगा अतः इनके आशीर्वाद से सब ठीक हो जाएगा | 

 

इतना सोच रमा  साधू जी को अंदर आने को कहती है | अब जो भी राशन घर मे बचा था रमा ने उनके पकवान बनाए और स्वादिस्त भोजन उन साधू  के आगे परोस दिया | रमा की इस सेवा भावना से साधू बहुत प्रसन्न हुए | भोजन करने के उपरांत साधू जी जब जाने लगे तो जाने से पहले साधू जी ने रमा को एक चमत्कारी जल देते हुए कहा की “इस जल से सुबह ब्रम्ह मुहूरत मे शिव जी को स्नान करवाना यानि शिवलिंग पर समर्पित कर देना इससे तुम्हारी सारी मनोकामना पूरी होंगी | लेकिन एक बात ध्यान रखना की शिवलिंग पर डालने से पहले  इस जल की एक भी बूंद जमीन मे न गिरे नहीं तो उसका बुरा प्रभाव तुम पर पड़ेगा| तेनाली का घोड़ा | tenali raman stories

 

इतना बोल साधू जी वहाँ से चले जाते है | इधर रमा बहुत खुश होती है | रमा उस जल को संभाल कर रख देती है | अगले दिन सुबह जब तेनाली (tenali raman) सो रहा होता है तब रमा वह जल लेने आती है तो देखती है की चूहो की वजह से सारा जल जमीन मे गिरा गया है |

 

यह देख रमा बहुत दुखी हो जाती है और बार बार साधू जी बताई गई उस बात को सोचती है की साधू जी ने बोला था की इसका एक भी बूंद जमीन मे नहीं गिरना चाहिए वरना बहुत बुरा होगा | रमा ने यह बात तब तेनाली से नहीं बताई | लेकिन  अगले दिन जब रमा बहुत बीमार हो जाती है तो तेनाली यह बहुत दुखी हो जाता है की अब क्या होगा इलाज करने को धन भी नहीं है तब रमा तेनाली को सारी बात सुनती है |

 

रमा की बात सुन तेनाली रामा (tenali raman) तुरंत उस साधू को खोजता हुआ साधू के पास पहुँच जाता है | तेनाली साधू को सारी बात बताता है तब साधू बोलते है की इसका तो अब एक ही उपाय है की तुम 11 ब्राह्मणो को भोजन कराने के बाद  उनको कुछ दान देना होगा तभी तुम्हारी पत्नी ठीक होगी |

 

ब्रह्मण जी की यह बात सुन तेनाली रामा (tenali raman) ब्राह्मण जी को प्रणाम कर वहा से आए | घर आकार साधू जी की बातों को सोच  बहुत परेशान हो गए और सोचने लगे की मेरे पास अब इतना धन नहीं है की 11 ब्राह्मणो को भोजन करवाऊ अब क्या करू मैं ? अब तो महर्ज से भी किसी प्रकार की सहायता   की उम्मीद नहीं की जा सकती | अब मुझे ही कुछ करना होगा |

 

इतना सोचते हुए तेनाली बाजार मे जाते है| बाजार मे तेनाली साहूकार के पास जाकर मदद के लिए कहते है तब साहूकार पूछते है की तेनाली जी मैं भला आपकी क्या मदद कर सकता हु बताइये ? तब तेनाली बोलता है की मुझे 100 सोने की मोहरों की जरूरत है , क्या तुम मुझे कुछ दिनो के लिए दोगे 100 सोने की मोहरे उधार  दे सकते हो  ?

 

तेनाली रामा (tenali raman) की यह बात सुन  साहूकार को एक दम से तेनाली को राजा द्वारा उपहार मे मिले उस सफ़ेद सुंदर घोड़े के बारे मे याद आता है और साहूकार सोचने लगता है की क्यों ना इस उधार  के बदले तेनाली के उस घोड़े को हथिया लिया जाए| जिसकी बाजार मे अच्छी  ख़ासी कीमत मिल जाएगी |

 

इतना सोच साहूकार तेनाली रामा (tenali raman) को 100 सोने की मोहरे उधार देने को तैयार हो जाता है और एक शर्त रखते हुए बोलता है की इसके बदले मे तुम वादा करो की तुम अपना सफ़ेद घोड़ा बाज़ार मे बेचोगे और उसे बेचने पर जितना भी धन मिलेगा वो सारा धन तुम मुझे दोगे |

तो बोलो  सौदा मंजूर ?

तब तेनाली रामा (tenali raman) थोड़ा सोचता है और साहूकार को वादा कर देता है | साहूकार तेनाली रामा (tenali raman) को 100 सोने की मोहरे उधार  दे देता है | तेनाली मोहरे ले कर घर आता है और उन पैसो से तेनाली रामा (tenali raman) 11 ब्राह्मणो को भोजन करवाता है | भोजन  उपरांत तेनाली सभी ब्राह्मणो को  कुछ दान

भी करते है | 11 ब्राह्मण तेनाली रामा (tenali raman) की इस सेवा से प्रसन्न हो कर तेनाली को अपना आशीर्वाद दे कर चले जाते है | कुछ दिन मे तेनाली पत्नी पूरी तरह से स्वस्थ हो जाती | तेनाली बहुत खुश होता है | 2 ज

 

अगले दिन साहूकार तेनाली रामा (tenali raman)  के घर आता है ओर अपना वादा पूरा करने को कहता है | तब तेनाली रामा (tenali raman)  अपना घोड़ा और एक  पिंजरे मे बंद खरगोश को लिए साहूकार के साथ बाज़ार की तरफ चल पड़ता  है | बाज़ार पहुँच तेनाली ज़ोर ज़ोर से बोलना  शुरू करते है की आओ आओ और एक सोने की मोहर मे यह घोड़ा ले जाओ |

 

तेनाली रामा (tenali raman) की  यह बात सुन और उसका वो सुंदर सफ़ेद घोड़ा देख लोग उसकी तरफ अक्रसित होने लगते है देखते ही देखते लोगो की भीड़ जमा हो जाती है | इसी भीड़ से  निकल कर एक व्यापारी बोला मैं ख़रीदूँगा यह  घोड़ा  तेनाली रामा (tenali raman) व्यापारी की बात सुन तुरंत बोलता है की घोड़ा खरीदने के साथ आपको यह खरगोश भी खरीदना होगा जिसकी कीमत 3 हज़ार सोने की मोहरे है |

तेनाली का घोड़ा | tenali raman stories

 

तेनाली रामा (tenali raman) की यह बात सुन व्यापारी घोड़ा  खरीदने से मना कर देता है | इतने मे एक धनी व्यापारी तेनाली के पास आता है उसे तेनाली रामा (tenali raman) का वो सफ़ेद घोड़ा  बहुत पसंद आता है और वो तेनाली रामा (tenali raman) का घोड़ा  लेने के लिए खरगोश भी खरीद लेता है | व्यापारी खुशी खुशी घोड़ा  और खरगोश को वहां से लेकर चला जाता है |

 

इधर तेनाली रामा (tenali raman)  साहूकार को घोड़े की कीमत का 1 सोने की मोहर दे देता है | साहूकार 

गुस्से से तिलमिलाता हुआ बोलता है “यह क्या मज़ाक है तेनाली जी ”  तुम खुद 3 हजार सोने की मोहरे रख लिए और मुझे सिर्फ एक सोने की मोहर ? यह तो धोखा है ? क्योकि तुमने घोड़े

की कीमत ही इतनी कम लगाई | तो अब मुझे खरगोश  की कीमत का हिस्सा भी दो |

 

तेनाली रामा (tenali raman) बोलता है – कैसा धोखा ? याद करो आप ही ने तो कहा था की घोड़े को बेचने पर जो भी धन मिलेगा वो तुम मुझे दोगे तो शर्त के मुताबिक मैंने आपको घोड़े के  कीमत की एक सोने की मोहर दे  दी | अब तुमने यह तो नहीं कहा था की घोड़े को कितनी कीमत पर बेचना है | इसलिए बाकी 3 हजार सोने की मोहर मे मैंने अपना खरगोश बेचा तो वो मैंने रख लिया |

साहूकार के पास अब तेनाली की बात मानने के सिवा और कोई विकल्प नहीं था क्यो की साहूकार जानता था की तेनाली – राजा कृष्ण देव राय का खास मंत्री है और यदि मैं यह मुद्दा ले कर राजा के पास जाऊंगा तो वह तो तेनाली की बात ही मानेंगे | साहूकार सोने की एक मोहर लिए मुह लटकाए वहाँ से चला जाता है |

 

तेनाली रामा (tenali raman) जनता था की साहूकार ने भोले भले लोगो को बेवकूफ बना कर बहुत धन लूटा था | वो सब तेनाली राम ने अपनी चालाकी से वापिस ले लिए और अब उस धन से तेनाली ने गरीब लोगो की मदद की |

 

तो दोस्तो देखा आपने की कैसे तेनाली रामा (tenali raman) ने अपनी सूझ बूझ और चतुराई से  उस साहूकार को सबक सिखाया |

 

हम अपने इस ब्लॉग पर आप लोगो के लिए एसी ही तमाम ज्ञान से भरे किस्से कहनियों का रोचक सफर लाते रहते है जिनहे पढ़ कर न सिर मनोरंजन होता है बल्कि बहुत सी जरूरी बाते भी सीखने को मिलती है | तो इन कहानियों को जरूर शेयर कर दिया करो ताकि बाकी लोग भी कहानियो को पढ़ कर आनंद और ज्ञान हासिल कर सके |

 

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