पुण्य किसका Vikram Betal Stories in Hindi (विक्रम बेताल स्टोरीस इन हिन्दी) दोस्तों स्वागत है आपका ज्ञान से भरी कहानियों की इस रोचक दुनिया मे। दोस्तों जीवन मे कहानियों का विशेस महत्तव होता है | क्योकि इन कहानियो के माध्यम से हमे बहुत कुछ सीखने को मिलता है |
इन कहानियों के माध्यम से आपको ज़रूरी ज्ञान हासिल होंगे जो आपको आपकी लाइफ मे बहुत काम आएंगे | यहाँ पर बताई गई हर कहानी से आपको एक नई सीख मिलेगी जो आपके जीवन मे बहुत काम आएगी | हर कहानी मे कुछ न कुछ संदेश और सीख (moral )छुपी हुई है | तो ऐसी कहानियो को ज़रूर पढ़े और अपने दोस्तो और परिवारों मे भी ज़रूर शेयर करे |
50 रोचक कहानियाँ | Vikram Betal Stories in Hindi
Table of Contents
Vikram Betal Stories in Hindi-विक्रम बेताल की रोचक कहानियां
बेताल द्वारा राजा विक्रम (Vikram) को सुनाई गई पच्चीस कहानियों मे से एक कहानी आज बताई जाएगी जिसमे पहली कहानी पिछले आर्टिकल मे बता दी गई है |
बेताल द्वारा राजा विक्रम को सुनाई गई इन सभी कहानियों का उल्लेख “बेताल पच्चीसी” नामक एक किताब मे मिलता है यह किताब बेताल भट्ट जी द्वारा आज से लगभग 2500 वर्ष पहले लिखी गई थी जो की राजा विक्रमा दित्य के 9 रत्नो मे से एक थे |
यहाँ पर इस किताब का नाम “बेताल पच्चीसी” इसलिए रखा गया है क्योंकि इस किताब मे बेताल द्वारा विक्रमादित्य को सुनाई गई 25 कहानियों के बारे मे बताया गया है यह किताब उन्ही 25 कहानियों पर आधारित है |
कहानी शुरू करने से पहले बेताल राजा को फिर से वही बात बोलता है की मैं कहानी के खत्म होते ही तुमसे (राजा विक्रम) कहानी से जुड़ा कोई प्रश्न पूछूंगा यदि राजा विक्रम ने उसके प्रश्न का सही उत्तर ना दिया तो वह राजा विक्रम को मार देगा। और अगर राजा विक्रम ने जवाब देने के लिए मुंह खोला तो वह रूठ कर फिर से पेड़ पर जा कर उल्टा लटक जाएगा।
तो चलिये शुरू करते है हमारी आज की कहानी
कहानी 5 -सिपाही सहित पूरे पाएवर की बाली – पुण्य किसका ? (बेताल पच्चीसी भाग -5)
बहुत पुराने समय की बात है की भारत मे वर्धमान नाम का एका राज्य हुआ करता था जहां रूपसेन नाम का राजा राज किया करता था | एक दिन उस राज्य मे करणवीर नाम का युवक नौकरी की तलाश मे राजा के पास आता है| राजा को वह युवक बातचीत से बड़ा ही बुद्धिमान लगा | राजा ने उस युवक से कुछ प्रश्न पूछे बताओ युवक तुम्हें क्या चाहिए ?
राजा का यह प्रश सुनते ही युवक बोला महाराज मुझे 1 हज़ार तोले सोना चाहिए | युवक की यह बात सुनकर राजा आश्चर्य चकित रह गया | फिर राजा ने तुरंत एक और प्रश्न पूछा की तुम्हारे साथ और कौन कौन है ? युवक ने जवाब दिया मेरे साथ मेरी पत्नी , मेरा एक बेटा और एक बेटी है |पुण्य किसका Vikram Betal Stories in Hindi
यह सुन राजा को फिर से आश्चर्य हुआ और मन मे सोचने लगा की आखिर चार लोग इतने धन का क्या करेंगे ? इतना सोचते हुए राजा यह जानना चाहता था इसलिए राजा युवक की बात मानते हुए युवक को एक हज़ार तोले सोना देते हुए युवक को अपने भवन मे अपने ही कक्ष के बाहर का सैनिक बनने की नौकरी दे देता है | पुण्य किसका Vikram Betal Stories in Hindi
उस दिन से युवक रोज़ अपने हाथ मे तलवार और ढाल लिए राजा के कक्ष के बाहर खड़ा एक सैनिक के रूप मे पहरे दारी करता | और शाम होते ही करणवीर रोज हज़ार तोले सोना राजा के ख़ज़ानची- भण्डारी से लेकर अपने घर आता। पुण्य किसका Vikram Betal Stories in Hindi
वह रोज़ उस एक हज़ार तोले सोने का आधा हिस्सा ब्राह्मणों में बाँट देता बाकी के आधे हिस्से के फिर से दो हिस्से कर देता उनमे से एक हिस्सा मेहमानों, वैरागियों और संन्यासियों को देता ताकि उनकी जरूरते पूरी हो सके | बाकी आधे हिस्से से भोजन बनवाकर पहले ग़रीबों को खिलाता, उसके बाद जो बचता, उसे स्त्री-बच्चों को खिलाता, फिर आप खाता|
पुण्य किसका Vikram Betal Stories in Hindi
एक दिन आधी रात के समय राजा को मरघट की ओर से किसी के रोने की आवाज़ सुनाई देती है । उसने करणवीर को पुकारा तो वह आ गया। राजा ने कहा, “जाओ, पता लगाकर आओ कि इतनी रात गये यह कौन रो रहा है ओर क्यों रो रहा है?”
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करणवीर उसी समय राजा की आज्ञा का पालन करते हुए वहाँ से मरधात की ओर चल दिया। मरघट में जाकर करणवीर ने देखा की सिर से पाँव तक एक स्त्री गहनों से लदी हुई है वो स्त्री कभी नाचती है, कभी कूदती है और फिर सिर पीट-पीटकर रोती है। लेकिन उसकी आँखों से आँसू की एक बूँद नहीं निकलती। करणवीर ने पूछा, “तुम कौन हो? ऐसे क्यो कर रही हो क्यो रो रही हो ?
पुण्य किसका Vikram Betal Stories in Hindi
वो स्त्री बोली , “मैं राज-लक्ष्मी हूँ। मैं इसलिए रो रही हूँ क्यों कि ! राजा विक्रम के घर में खोटे काम होते हैं, इसलिए वहाँ दरिद्रता का डेरा पड़ने वाला है। मैं वहाँ से चली जाऊँगी और राजा दु:खी होकर एक महीने में मर जायेगा।”
स्त्री की यह बात सुनकर करणवीर ने पूछा, “इससे बचने का कोई उपाय है!” ऐसा ना हो – इसके लिए मुझे क्या करना होगा ?
स्त्री बोली, “हाँ, एक उपाय है इस दरिद्रता से बचने के लिए । यहाँ से पूरब में एक योजन पर एक देवी का मन्दिर है। अगर तुम उस देवी पर अपने बेटे का शीश चढ़ा दो तो विपदा टल सकती है। फिर राजा सौ बरस तक राज करेगा।”
पुण्य किसका Vikram Betal Stories in Hindi
करणवीर घर आया और अपनी स्त्री को जगाकर सब हाल कहा। स्त्री ने बेटे को जगाया, बेटी भी जाग पड़ी। जब बालक ने बात सुनी तो वह खुश होकर बोला, “आप मेरा शीश काटकर ज़रूर चढ़ा दें।
ऐसा करने तीन महान पुण्य होंगे – पहला पुण्य ये की आपकी आज्ञा का मैं पालन कर रहा हु – दूसरा पुण्य आप राजा को बचाने के लिए यह काम कर रहे है – तीसरा पुण्य यह होगा की मेरा सर माँ देवी को समर्पित होगा |जिससे राजा पर आने वाली हर विपदा टल जाएगी |
पुण्य किसका Vikram Betal Stories in Hindi
ये सुन कर करणवीर अपनी पत्नी से सवाल करता है अब तुम बताओ क्या करना चाहिए ? पति का जवाब देते हुए पत्नी बोली “स्त्री का धर्म पति की सेवा करने में है।”
इसके बाद चरो लोग देवी के मन्दिर में पहुँचे। करणवीर ने हाथ जोड़कर कहा, “हे देवी, मैं अपने बेटे की बलि देता हूँ। मेरे राजा की सौ बरस की उम्र हो।”राज्य मे फिर से माँ लक्षमी का वास हो जाए और हमेशा रहे |
पुण्य किसका Vikram Betal Stories in Hindi
इतना कहकर उसने इतने ज़ोर से तलवार मारा कि लड़के का शीश धड़ से अलग हो गया। भाई का यह हाल देख कर बहन ने भी उसी तलवार से अपना सिर अलग कर डाला। बेटा-बेटी चले गये तो दु:खी माँ ने भी उन्हीं का रास्ता पकड़ा और अपनी गर्दन काट दी।
करणवीर ने सोचा कि घर में कोई नहीं रहा तो मैं ही जीकर क्या करूँगा। उसने भी अपना सिर काट डाला। राजा को जब यह मालूम हुआ तो वह वहाँ आया। उसे बड़ा दु:ख हुआ कि उसके लिए चार प्राणियों की जान चली गयी।
वह सोचने लगा कि ऐसा राज करने से धिक्कार है! यह सोच उसने तलवार उठा ली और जैसे ही अपना सिर काटने वाला था उसी समय माँ लक्ष्मी वह प्रकट हो जाती है और राजा को ऐसा करने से रोक लेती है | माँ लक्ष्मी राजा के इस कदम से बहुत प्रसन्न होती है और राजा को बोलती है तुम जो वर मांगोगे मैं तुम्हें दूँगी |
यह सुन कर राजा माँ लक्षमी से उन चारो को ज़िंदा करने का वरदान मांगता है| देवी ने अमृत छिड़ककर उन चारों को फिर से ज़िंदा कर दिया |पुण्य किसका Vikram Betal Stories in Hindi
इतना कहकर बेताल बोला, राजा, बताओ, सबसे ज्यादा पुण्य किसका हुआ?”
राजा बोला, “राजा का।”
बेताल ने पूछा, “क्यों?”
राजा ने कहा, “इसलिए कि स्वामी के लिए चाकर का प्राण देना धर्म है; लेकिन चाकर के लिए राजा का राजपाट को छोड़ जाना तथा जान को तिनके के समान समझकर देने को तैयार हो जाना बहुत बड़ी बात है।”
पुण्य किसका Vikram Betal Stories in Hindi
इसके बाद ठीक शर्त के मुताबिक बेताल राजा विक्रम के सही उत्तर देने के बाद राजा विक्रम की पीठ से उड़ कर वापिस पेड़ की ओर चला जाता है और पेड़ पर उल्टा लटक जाता है |
राजा फिर से बेताल को चलने के लिए मनाता है और बेताल राजा पीठ पर फिर से बैठ जाता है इसके बाद फिर से वही घटना – रास्ता लंबा होने की वजह से बेताल राजा को कहानी सुनता है |
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