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hima das inspirational story in hindi best biography

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hima das inspirational story in hindi – दोस्तो स्वागत है आपका motivational और inspirational stories से भरी इस इस दुनिया मे | यहाँ मैं आपके लिए hindi मे ऐसी inspirational stories लेकर आता हूँ जिसे पढ़ने के बाद

?इंसान का  मन  सफलता की  सकारात्मक  ऊर्जा से भर जाता है.

?कामयाबी पाने का एक जुनून सवार हो जाता है |

??हर इंसान के जीवन मे motivation कि बहुत जरूरत होती है. फिर चाहे वो कोई डॉक्टर हो, मजदूर हो या मरीज..

 

सबसे पहले जीवन मे किसी लक्ष्य का होना बहुत जरुरी होता है जो हमें जिंदगी मे कुछ बड़ा हासिल करने का एक मकसद देता है.

बिना लक्ष्य का जीवन ऐसा होता है जैसे बिना नमक का भोजन. 

लक्ष्य पाने के लिए मन मे जुनून होना चाहिए, मन मे सकारात्मक विचार होने चाहिए. Will पावर मजबूत होनी चाहिए, और ये तभी हो पाएगा ज़ब motivate होते है. 

 

तो आज यही motivation देने के लिए, लाया हूं एक inspirational story 

 

 

हमारी आज की inspirational story है 

गरीब परीवार से आई मन मे एक जुनून लिए  कुछ बनने की जिद्द के चलते अपने अद्भुत हौसलों और विश्वश के साथ तमाम मुसीबतों का सामना करते हुए भारत का नाम पूरी दुनिया मे रोशन करने वाली ,सफलता का एक नया इतिहास रच कर अपनी रफ्तार का लोहा पूरी दुनिया को मनवाने वाली लड़की हिमा दास (hima das) की 

 

hima-das-inspirational-story

 

 इस story से आपको बहुत कुछ ऐसा सीखने को मिलेगा जो आपको किसी भी कार्य मे सफलता दिलाने मे बहुत मदद करेगा |तो आखिर तक पढ़िए इस most inspirational story को |

 

hima das inspirational story short समरी

 

यूँ तो जब बाते रेस की हो रही हो  तो हर हिंदुस्तानी के जुबान पर सबसे पहला नाम पीटी ऊषा और मिलखा सिंह का ही आता है |

यह भारत के वह महान खिलाड़ी थे जिन्होने इटेरनेशनल रेस जगत मे पूरी दुनिया को अपना लोहा मनवाया |

इंटेरनेशनल रेस के ट्रेक पर रेस जीत कर gold मेडल जीतने वाले यह भारत के पहले ऐसे  एथलीट्स खिलाड़ी थे जिन्होने भारत का नाम पूरी दुनिया मे रोशन किया था |

एक गोल्ड ,मेडल जीतना आसान नहीं होता इसके पीछे जबर्दस्त मेहनत छुपी होती है |

लेकिन बहुत ही लंबे अरसे के बाद रेस की दुनिया मे फिर से एक ऐसी ही महान खिलाड़ी  ने जन्म लिया | जिसका नाम है हिमा दास (hima das)

इन दोनों महान ख़िलाड़ियो की जिंदगी  हर खिलाड़ी के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत है | इन दोनों की जिंदगी से हिमा दस भी बहुत प्रभावित थी |

 

जिसके चलते – कुछ कर दिखाने की जिद्द और जुनून का हौसला लिए असम के एक गरीब परिवार से आई हिमा दास ने – इंटरनेशनल ट्रैक पर रेस की प्रतियोगिता मे 9 बार रेस जीत कर 8 गोल्ड मैडल और एक silwar मैडल आपने नाम करके पूरी दुनिया मे ना सिर्फ भारत का नाम रोशन कर दिया बल्कि सफलता का एक नया इतिहास रच डाला.

 

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एक समय ऐसा भी था जब हिमा दास ने रेस की दुनिया मे अपना पहला कदम फटे हुए जूतो के साथ रखा | रेस की दुनिया का अद्भुत सफर हिमा ने अपने इन फटे हुए जूतो से शुरू किया था और आज पूरी दुनिया  रेस मे इस खिलाड़ी का लोहा मानती है |

 

सलाम है इस लड़की के जुनून को जिसने ऐसा करके पूरी दुनिया को यह बता दिया की जब कुछ पाने की चाह हो तो गरीबी जैसी मुसीबत कभी रुकावट नहीं बनती. और जिद के सामने तमाम मुसीबते भी घुटने टेक देती है.

 

बता दू की इस लड़की के जीवन मे कई मुसीबते आई जिनका सामना और संघर्ष करते हुए यह लड़की बिना हार माने आज इस मुकाम तक पहुंची है.

 

 

तो चलिए जानते है हिमा दास की सफलता की अद्भुत कहानी.hima das inspirational story in hindi

 

हिमा दास (hima das) का जन्म भारत मे 2 जनवरी 2000 मे असम राज्य के एक छोटे से गांव कांदूमरी मे हुआ था. आज हीमा दास 20 साल की हो चूकी है.

इनका जन्म एक गरीब परिवार मे हुआ था . इनके पिता एक किसान है जिनके पास मात्र दो बिगहा जमीन थी जिसमे वह अनाज सब्जी उगाकर परिवार का पेट पालते थे और कुछ अनाज सब्जी बेच कर घर का खर्च चलाते थे.

तो यह तो थी हिमा दास (hima das) के परिवार की आर्थिक हालत.

इसके बाद पिता ने जैसे तैसे करके हिमा दास (hima das) का नाम स्कूल मे लिखवा दिया.

बचपन से ही हिमा दास (hima das) की खेल कूद के प्रति बहुत रूचि थी.

स्कूल मे जब खेल प्रतियोगिताए करवाई जाती तो उसमे वह अधिकतर फूटबाल के खेल की तरफ बहुत आकर्षित होती थी.मन मे फुटबॉल खेलने की बहुत उत्सुकता होती थी.जिसके चलते आगे चल कर उन्होंने फुटबॉल गेम को चुना.

 

जैसे जैसे हिमा दास (hima das) बड़ी होती गई स्कूल मे होने वाली खेल की प्रतियोगिता मे भाग लेने लगी . जिसमे वह बेहतरीन प्रदर्शन करती थी.

हिमा दास (hima das) का सपना एक बहुत बड़ी फुटबॉल खिलाड़ी बनना था.

एक बार स्कूल मे फुटबॉल की बड़ी प्रतियोगिता करवाई गई.जिसमे गेस्ट के रूप मे एक बहुत बड़े स्पोर्ट्स टीचर आए हुए थे.

उन्होंने फुटबॉल के इस मैच मे हिमा दास के बेहतरीन प्रदर्शन और कमाल के स्टेमिनर को देखते हुए उन्होंने स्कूल के स्पोर्ट्स टीचर से बात की.

स्कूल के स्पोर्ट्स टीचर ने हीमा के सामने एथलीट्स खेलने का प्रस्ताव रखा और समझाया भी की यह तुम्हारी जिंदगी का एक बहुत अच्छा करियर साबित होगा.

एक बार सोच लो. यह तुम्हारे लिए एल सुनहरा अवसर है इसे हाथ से मत जाने देना.

स्पोर्ट्स टीचर की बातो से हिमा दास (hima das) इतना motivate हुई की उसने तुरंत स्पोर्ट्स टीचर की बात मान ली और एथलीट्स खेलने के लिए हा कर दिया.

तो ठीक है कल से तुम्हारी  प्रेक्टिस शुरू होगी क्योकि जल्दी ही राज्य स्टार पर रेस प्रतियोगिताए शुरू होने वाली है | अगर इस रेस मे अच्छा प्रदर्शन करती हो तो तुम्हें आगे नेशनल एथलीट्स के भी चुना जा सकता है | इतना बोल स्पोर्ट्स टीचर वहाँ से चले जाते है |

कुछ देर तक इस बात को लेकर हिमा दास (hima das)बहुत खुश थी लेकिन अचानक जब उनकी नजर अपने फटे हुए जूतो पर गई तो मन अंदर से बहुत दुखी हो गया | 

एक निराशा सी मन मे आगाई , घर तक जाते जाते वह अपने उन जूतो को ही बार बार देखती रही क्योकि उसके फटे हुए गंदे जूते चीख चीख कर पिता जी की मजबूरी और घर की आर्थिक हालत के बारे  बता रहे थे | जो उसके लिए नए जूते औए ट्रेनिंग का खर्च उठा पाने मे असमर्थ थे |

 

जिसके चलते हिमा दास ने अपने पिता से इस बारे कुछ न कहा | हिमदास ने ठान लिया की वह इन्ही जूतो मे ट्रेनिंग करेगी और रेस के लिए दौड़ेगी|

 

अब हिमा दास का सपना न सिर्फ एक अच्छी एथलीट्स बनना था बल्कि घर की आर्थिक हालत को सुधारणा भी एक लक्ष्य बन चुका था |

बस फिर क्या था हिमा दास तुरंत जूते उठाए मोची के पास पहुँच गई और जूतो की मुरम्मत कारवाई |

 

अगले ही दिन हिमा उन जूतो को डाल कर पहुँच गई प्रेक्टिस मैदान मे एक नए जुनून के साथ | जूते भले ही मजबूत न थे लेकिन हिमा के हौसले बहुत मजबूत थे |

 

हिमा उन जूतो को पहन कर मन मे कुछ कर दिखाने का सपना लिए रेस की  खूब प्रेक्टिस किया करती ओर रोज पसीने बहाती|

कुछ दिन बाद स्कूल के स्पोर्ट्स टीचर हिमा दास (hima das) सहित पूरी टीम ले कर गुहाटी पहुँच गए जहां जिला स्टार पर खेल प्रतियोगिताएं कारवाई जा रही थी |

वहीं पर एथलीट्स के बहुत बड़े कोच निपुण दास भी मौजूद थे |

इधर 200 मीटर की रेस शुरू होती है और निपुण दास टकटकी लगाए इस रेस को ध्यान से देख रहे थे |

शुरू मे  हिमा दास 5 खिलाड़ियों से पीछे थी फिर धीरे धीरे हिमा दास ने अपने रेस और तेज की देखते ही देखते हिमा दास अपने कंपीटीटर को पीछे करती हुई आगे बरहने लगी जिस वजह से सबकी नजर हिमा दास की तरफ गई |

 

अब इससे पहले की हिमा दास बाकी के दो खिलाड़ियों  को पीछे कर पाती  इतने मे रेस खतम हो जाती है | इस तरह हिमा दास तीसरे स्थान पर अपनी पकड़ बरकरार रखती है |

 

भले ही हिमा पहला स्थान हासिल न कर पाई लेकिन तीसरे स्थान पर आकार हिमा नेशनल गेम्स के लिए कुआलिफ़ाई कर चुकी थी | जो की बहुत ही खुशी का पल था |

इतने मे निपुण दास की नजर हिमा दास के जूतो पर पड़ी जिसे देखकर  निपुण दास सोच मे पड़ गए की ऐसे जूतो के बावजूद यह लड़की इतना तेज कैसे दौड़ पाई |

 

निपुण दास समझ गए की जरूर इस लड़की मे कुछ खास बात है और स्टेमिनर तो कमाल है यदि इसे कुछ सेकेंड और मिलते तो यह पहले स्थान पर भी आ सकती थी |

यदि इस लड़की को अच्छी ट्रेनिंग दी जाए तो यह इंटेरनेशनल रेस प्रतियोगिता मे आसानी से गोल्ड मेडल भी ला सकती है |

बस फिर क्या था इतना सोचते हुए अगले ही दिन निपुण दास हिमा दास के घर जा पहुंचे |

 

निपुण दास जी ने हिमा के पिता से कहा की वह इसे ट्रेनिंग के लिए गुहाटी जाने की इजाजत दें.
लेकिन पिता जी ने यह सोच कर मना कर दिया की. ट्रेनिंग का और वहाँ रहने खाने का खर्च मैं नहीं उठा पाउँगा.

 

इधर निपुण दास यह समझ चुके थे की यह क्यों मना कर रहे है इसके बाद निपुण दास ने पिता जी की इस चिंता को भी दूर करते हुए बोला की आप चिंता ना करे इसके रहने खाने और ट्रेनिंग का खर्च मैं उठाऊंगा बस आप जाने की आज्ञा दे. यह उसके करियर का सवाल है. यकीन मानो आपकी बेटी मे बहुत काबिलियत है जिससे वो हमारे देश का नाम रोशन कर सकती है.

 

बस फिर क्या था इतना सब सुनते ही पिता जी ने बेटी हिमा को जाने की इजाजत दे दि.. इधर हिमा दास की ख़ुशी का ठिकाना ना था.

 

अगले ही दिन हिमा सारा सामान पैक कर के माँ पिता जी के पैर छू कर अपने सपनो को पूरा करने निपुण जी के सतग ट्रेनिंग के लिए गुहाटी निकल जाती है.

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अब यहां से शुरू होती है हिमा दास (hima das) के मेहनत और संघर्ष की कहानी.

अब निपुण दास हिमा दास को पहले 200 मीटर के ट्रेक पर दौड़ाते है.

200 मीटर के इस ट्रेक पर हिमा के अद्भुत स्टेमिनर और गति को देखते हुए कुछ निपुण दास समझ गए की हिमा 400 मीटर की रेस के लिए भी सही साबित होगी.

इसके बाद 400 मीटर की रेस मे भी हिमा की ट्रेनिंग करवाई गई | 

साल 2018 के अप्रैल मे औस्ट्रेलिया मे हो रहे कोमन वेल्थ गेम्स मे पूरी टीम ने हिस्सा लिया |

400 मीटर की इस दौड़ मे भारत को रिप्रेसेंट करती हुई हिमा दस और उनकी टीम फाइनल मे सातवें स्थान पर रही |

 

हालाकी यह मैच जीत तो न सके लेकिन हौसले अब फौलाद की मजबूत थे |

जिसके चलते आने वाली अंतराष्ट्रीय खेल मुक़ाबले की तैयारी पूरी मेहनत से करने लगे |

ठीक 7  महीने बाद समय आया वर्ल्ड अंडर टवेटीं चेम्पियनशिप का जो की टेम्पियर फ़िनलेंड मे हो रहे थे | इस मुक़ाबले मे हिमा दस ने 400 मीटर की फ़ाइनल रेस जीत कर गोल्ड अपने नाम किया |

इसी के साथ हिमा दास रेस के किसी भी इंटेरनेशनल ट्रैक पर गोल्ड जीतने वाली भारत की पहली महिला स्प्रिंटर बन गई |

बस फिर यहीं से शुरू हो गई हिमा दास के गोल्ड मेडल जीतने की कहानी |

 

इसके बाद आगे चल कर इंडोशिया के जकार्ता मे हो रहे एशियन गेम्स मे हिमा दास ने दो गोल्ड मेडल और एक सिल्वर मेडल जीत कर भारत का नाम पूरी दुनिया मे रोशन कर चुकी थी |

इसके बाद 2019 मे  पोलेंड और चेक रिपब्लिक मे हो रहे  अलग अलग जगह पर अंतराष्ट्रीय टूर्नामेंट मे 5 दिन मे हिमा दास ने 5 गोल्ड मेडल जीत कर इतिहास रच डाला और पूरी दुनिया को अपनी रफ्तार का लोहा मनवाया |

 

इस अद्भुत कामयाबी के चलते हिमा दास को श्रे राष्ट्रपति महोदय द्वारा अर्जुन पुराष्कर से सम्मानित किया गया |

 

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तो देखा दोस्तों कैसे हिमा दास ने अपने बुलंद होसलो के चलते न सिर्फ गरीबी को बल्कि तमाम मुसीबतों सामना और संघर्ष करते हुए एक महान एथलीट्स बनी और पूरे भारत का नाम पूरी दुनिया मे रोशन कर दिया |

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 कैसे इस लड़की ने 18 से 19 साल की उम्र मे ही अपने बुलंद हौसलों और विश्वास के दम पर न सिर्फ अपने सपनों को पूरा किया बल्कि जितना सोचा था उससे कही अधिक हासिल किया | 

 

आज हिमा दास (hima das)  की सफलता और संघर्ष भरी कहानी करोड़ो लोग खास कर लड़कियों के लिए बहुत बड़ी इन्सपिरेशन और रोलमोडल बन चुकी है |

 

तो कुल मिलाकर निसकर्ष यह निकलता है की यदि कुछ करने की या बनने की ठानी है तो उसे पाने मे पूरी जान लगा दो परिस्थितियाँ कैसी भी हो कभी पीछे मत हटो | खुद पर विश्वश रखो एक दिन मंजिल और सफलता जरूर मिल जाएगी |

 

 

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