Hindi Kavita – hindi poem दोस्तों आज फिर से हाजिर हूं ! दिल को छू जाने वाली एक सुन्दर सी कविता (hindi poem) को लेकर.
दोस्तों यह कविता है एक नौकरी से रिटायर हो चके आदमी की, हालांकि ये कविता उस हर नौकरी से रिटायर आदमी के ऊपर लिखी बनाई गई है, जो अपने जीवन का एक बहुत बड़ा हिस्सा जीने के बाद आज वो एकांत मे अकेला बैठ कर बीती पुरानी यदि को, सोच रहा है.
आँखो मे पानी है और होटो पर एक ख़ामोशी जो चीख चीख कर ये कह रही है की फुर्सत की जो शाम खोज रहा था वो आज जाकर मिली है.
उधर मन मे पुरानी यादो का सिंसिला जारी है.
तो चलिए जानते की इस पर अब वो बूढ़ा रिटायर आदमी क्या बोल रहा है? वो कह रहा है की !….
Hindi kavita – hindi poem
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Table of Contents
दिल को छू जाने वाली hindi कविता (kavita), hindi porm |heat touchingi life poem
कुछ इस तरह तय किया वक़्त की गाड़ी से सफर अपनी जिंदगी का
सफरे जिंदगी का तराना सुना रहा हु तजुर्बो का ताना बाना बता रहा हूँ |
वक़्त की गाड़ी मे बैठे थे बचपन से और सफर उम्र का तय हो रहा था.
गाड़ी ने जब रफ़्तार पकड़ी तो पता ही ना चला की कब वक़्त की इस गाड़ी ने हमें उम्र के सफर मे 60 के पड़ाव पर ला खड़ा किया.
उम्र के इन तमाम सफर मे वक़्त की ये गाड़ी जब भी रिश्तो के स्टेशन पर रूकती तो बहुत से लोग मिलते थे , कई दोस्त बनते तो कुछ दुश्मन भी मिलते थे .
मेरी जिंदगी के इस सफर मे कुछ लोग मतलब से आए तो कुछ बेमतलब से.
जिसका जिसका मतलब पूरा होता गया वो रिश्तों की इस गाड़ी से उतरता गया. और जो बेमतलब से आए थे, वक़्त के साथ साथ उनके भी मतलब नज़र आने लगे थे.
Hindi kavita – hindi poem
एक छोटी से कविता के जरिये आपको जिंदगी का छोटा सा तराना शेयर करना चाहूंगा.Hindi kavita – hindi poem
वक्त के साथ साथ लोगो की फितरत को बदलते देखा | बिन मौसम के भी बादलों को बरसते देखा
लोगो के रवैये से मन मे शंकाओं का बादल फटते देखा , गलत फहमियों की बारिश मे रिश्तों को बहते देखा
लोगो पर विश्वास को बनते और टूटते देखा..
Hindi kavita – hindi poem
चेहरे के मुखौटे से मुखौटा उतरते देखा
मन मे एक दूसरे के प्रति घुलते जहर को देखा
मुखौटे से मुखौटा हटा कर मतलबी चेहरे को देखा है
मुश्किल वक़्त मे इंसान को टूटते और हौसलों को बिखरते देखा है
सपनों को बनते और फिर से टूटते देखा है ,
Hindi kavita – hindi poem
अक्सर जब भी मुखौटा उतरते देखा मैंने अपनी उम्मीदों को बिखरता देखा है |
मैंने वक्त के साथ साथ जख्म को भरते देखा है , मैंने लोगो को बदलते देखा हैं |
जिंदगी मे एक किस्सा गज़ब का देखा है
ज़िंदे को डूबता और मुर्दे को तैरता देखा
यहाँ पर माचिस की जरूरत नहीं पड़ती जनाब मैंने इंसान को इंसान से जलते देखा है
बेबसी मे लोगो का फाइदा उठाते देखा है |
मजबूरी मे लोगो को टूटते देखा है
Hindi kavita – hindi poem
जिंदगी मे जब भी धोखा और ठोकर खाया
वक़्त ने हर बार एक नया सबक सिखाया
किसी ने हसाया तो किसी ने दिल दुखाया तो इस तरह वक़्त की इस गाड़ी से मैं बैठ कर यहाँ तक आया
जैसे जैसे हम बुरे दौर के सफर से गुजरते गए रिश्तो की इस गाड़ी से लोग अपने आप उतरते गए.
शुक्रगुज़ार रहूँगा अपने बुरे दौर के इस सफर का जिसने मुझे इंसानों की सही पहचान करनी सिखाई.
मुश्किलें भी तमाम आई इस सफर मे, शुक्रगुजार हूँ इन तमाम मुश्किलों का जिसने मुझे सिखाया संघर्ष करना.
एक बस कंडक्टर सी हो गई जिंदगी
सफर भी रोज का है और जाना भी कही नहीं
कुछ इस तरह तय किया वक़्त की गाड़ी से सफर अपनी जिंदगी का
इस सफर मे कई बीमारियां ऐसी गले से लगी की फांसी ही बन गई. बस यूँ समझ लो की लटकते लटकते बचे है.और सवरते सवरते चल रहे है.
मानो जिंदगी भी अब एक ख़ौफ़ ज़दा हो गुजर रही है..
बहुत लम्बे समय तक चलता रहा बिमारियों का यह सिंसिला जो जवानी छीन ले गई – आज जिन्दा हूं दवाइयों के दम पर और परहेज मुँह का स्वाद ही छीन कर ले गई .
सुख के सफर मे जो लोग साथ बैठे रहे वो दुःख के सफर मे अपने आप रिश्तो की इस गाड़ी से उतरते गए.
ऐसे लोग दिल से भी निकलते रहे और नजरो से भी गिरते रहे.
रिटायर मेंट का जब स्टेशन आया तो वक़्त की ये गाड़ी भी मानो थक सी गई हो और थके भी क्यों ना, सफर जो बहोत लम्बा तय किया था.
Hindi kavita – hindi poem
इधर अब जिंदगी के पैरो मे बुढ़ापे की बेड़ियाँ जकड़ चूकी थी.
कुछ इस तरह तय किया वक़्त की गाड़ी से सफर अपनी जिंदगी का
जिंदगी के इस पूरे सफर मे ढूँढता रहा सुकून भरे फुरसत की जो शाम वो आज उम्र के इस पड़ाव पर मिली है.
अब उम्र की बेड़ियाँ पैरो को जकड़ने लगी है कदम बहुत मुश्किल से आगे बढा पाता हूं.
मेरे चेहरे की झुर्रिया वक़्त के थपेड़ो से लटक चुकी है.
आँखो के धुंदले पन से अब मंजिल भी साफ नजर नहीं आती.
फुरसत की ये शाम क्या मिली ज़रा सी भी देर ना की हमने अतीत के पन्नों को पलटने मे.
फिर से जा पहुंचे बचपन की उन मीठी शरारती यादों मे जहाँ से सफर शुरू हुआ था जिंदगी का.
देख रहा था बचपन अपना मन मे बसीं यादो की उन तस्वीरों से खेल रहा था मिट्टी के उन खिलौनों से हाथी से और घोड़ो से.
आँख मे आंसू झलक उठे मुँह पर एक मुस्कान थी मानो कल की ही बात थी..
सोचा फिर से बच्चा बन जाऊं – -की पड़ी नज़र अचानक गीली गीली मिट्टी पर .. तुरंत उठा और जा पहुंचा उस गीली गीली मिट्टी पर,
जमा किया उस मिट्टी को और बना खिलौना खूब हसा मे भीगी भीगी पलकों से.
फुरसत की ये शाम थी आज – मौसम भी था बड़ा बावला –
बादल गरज रहे थे ऐसे जैसे बरसने को है अभी उतावला.
Hindi kavita – hindi poem
पहली बूँद पड़ी जब माथे मे, तो फिर से जा पहुंचा बचपन की उन यादो मे,
लिए हाथ मे कागज बना रहा था किश्ती मैं. बारिश की बूँदे बरस रही थी छत से लेकर आंगन मे.
तुरंत बनी जब किश्ती मेरी लेकर दौड़ा आँगन मे,
इधर भिगो चूकी जब बारिश मुझको, फिर निकला बाहर बचपन की “उन यादो से.”
तुरंत गया मैं कागज फाड़े पर फिर बनी नहीं वो किश्ती.
आँख मे आँसू रो दिया मैं जब याद आई बचपन की वो मस्ती.
Hindi kavita – hindi poem
धीरे धीरे बुढ़ापे की जंजीरे जकड़ती जा रही थी. यादें बन कर आँसू आँखो से बहती जा रही थी.
याद आ रहे थे अब किस्से उस जवानी के., क्या खूब थी ताक़त इन हाथो मे, थी गजब की फुर्ती पैरो मे, तेज था कितना मुख मंडल पर उस जोश भरी जवानी मे…….
कुछ इस तरह तय किया सफर जिंदगी का .. बैठ कर वक़्त की गाड़ी मे…… बैठ कर वक़्त की गाड़ी मे…. बैठ कर वक़्त की गाड़ी मे…. ?
तो दोस्तों ये hindi kavita आपको कैसी लगी? उम्मीद करता हूं की दिल को छू जाने वाली ये hindi कविता hindi poem आपको बहुत पसंद आई होगी.
दोस्तों यह एक किस्सा है असल जिंदगी के ऊपर एक बूढ़े आदमी का जिसमे दो बार कविताएँ लिखी गई है.
बूढ़ा आदमी अपनी जिंदगी के किस्सों का जिक्र करते हुए दो बार कविताएँ के जरिये अपनी पुरानी यादो को बड़ी ही सुंदरता से उकेरता है और भावनाओं को व्यक्त करता है.
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