Inspirational story – दोस्तो स्वागत है आपका motivational और inspirational stories से भरी इस इस दुनिया मे | यहाँ मैं आपके लिए hindi मे ऐसी inspirational stories लेकर आता हूँ जिसे पढ़ने के बाद इंसान का
मन सफलता की सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है | कामयाबी पाने का एक जुनून सवार हो जाता है | हर इंसान का जीवन मे कोई न कोई लक्ष्य जरूर होता है तो उसे inspirational stories जरूर पढ़नी चाहिए |
हमारी आज की inspirational story है दुनिया के सबसे तेज तैरने वाले इंसान maikal felps की
इस story से आपको बहुत कुछ ऐसा सीखने को मिलेगा जो आपको किसी भी कार्य मे सफलता दिलाने मे बहुत मदद करेगा |तो आखिर तक पढ़िए इस most inspirational story को |
Table of Contents
Maikal felps Inspirational story रोंगटे खड़े कर देने वाली अद्भुत कहानी
maikal felps Inspirational story- जब कोई खिलाड़ी ओलम्पिक मे गोल्ड मैडल जीतता हैं तो उसका नाम महान खिलाड़ियों की लिस्ट मे और इतिहास के पन्नों मे हमेशा के लिए दर्ज हो जाता हैं.
लेकिन अगर कोई खिलाड़ी मात्र 4 ओलम्पिक मे ही 23 गोल्ड मैडल जीत लें तो उस इंसान को आप क्या कहेँगे. चमत्कार, महामानव अद्भुत इंसान.
जी हा यह महान इंसान और कोई नहीं हम बात कर रहे हैं दुनिया के सबसे तेज तैरने वाले इंसान माइकल फेल्प्स की.
इन्होने अपने ओलम्पिक के करियर मे कुल 28 मैडल जीते हैं. जिसमे से 23 गोल्ड मैडल, 3 सिल्वर, और दो ब्रॉन्ज मैडल हैं.
माइकल फेल्प्स की इस अद्भुत प्रतिभा के करण इन्हे लोग, डोल फिन, गन बुलेट, के नाम से भी बुलाते थे.
माइकल फेल्प्स ने अपने करियर मे कुल 39 बार रिकॉर्ड बनाए.और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कुल 83 मैडल जीते हैं.
इस तरह वो इतिहास मे सबसे ज्यादा गोल्ड जीतने के साथ साथ सबसे तेज तैरने वाले वाले इंसान भी बन गए.
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अब सोचने की बात यह है की माइकल फेल्प्स आखिर यह अद्भुत कारनामा कैसे कर पाए ?
तो चलिये जानते है चीन की धरती पर 2008 के बीजिंग ओलेम्पिक मे 8 गोल्ड मेडल कर सफलता का एक नया कीर्तिमान और इतिहास रचने वाले इस इंसान की मेहनत और संघर्ष भरी दास्तां|
maikal felps Inspirational story success biography Hindi
माइकल फेल्प्स का जन्म 30 जून 1985 को अमेरिका के मेरीलेंड माय हुआ | उनकी माँ दिबोरा एक स्कूल की प्रिंसिपल थी और उनके पिता एक बिज़नस मैन थे |
इसके इलवा माइकल फेल्प्स की दो बड़ी बहने थी जो की sports मे स्विमिंग किया करती थी| दोनों बहुत ही अच्छी तैराक थी |
जब माइकल फेल्प्स 5 साल के हुए तो उनकी बहने शाम को अक्सर अपनी स्विमिंग की ट्रेनिंग के दौरान माइकल फेल्प्स को अपने साथ ले जाया करती थी |
अपनी बहनो को तैरता हुआ देख माइकल फेल्प्स के मन मे भी तैरने की (स्विमिंग की) बहुत इच्छा हुई तब से एक ट्रेनर को बोल कर माइकल फेल्प्स को स्विमिंग सिखाने की ट्रेनिंग शुरू कर दी गई |
शुरू शुरू मे तो माइकल फेल्प्स पानी के अंदर अपना मू डालने से भी बहुत घबराते थे | जिसके चलते उनको पानी मे उल्टा तैरने की ट्रेनिंग दी जाने लगी |
इसके बाद जैसे जैसे उनके स्विमिंग करने का तजुर्बा बढ़ता गया वैसे वैसे उनका आत्मविश्वास भी बढ़ा जिसके चलते बाद मे वह हर प्रकार के स्विमिंग फॉर्मेट मे स्विमिंग करने लगे |
12 साल की उम्र तक आते आते माइकल फेल्प्स स्विमिंग के हर प्रकार के फॉर्मेट मे माहिर हो गए |
इसके बाद माइकल फेल्प्स को स्विमिंग से इतना लगाव हो गया की वह अब रोज स्विमिंग देर तक ट्रेनिंग किया करते जिसके चलते वह सिमिंग की होने वाली प्रतियोगिताएं एक के बाद एक जीतने लगे | इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ने लगा |
15 साल की उम्र तक आते आते माइकल फेल्प्स ने अपने ही कई सारे रेकॉर्ड बनाए और हर बार उनको तोड़ कर फिर से नए रिकॉर्ड कायम कर देते |
क्योकि कड़ी मेहनत से वह अपनी इस प्रतिभा को बहुत निखार चुके थे |
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उसके बाद Bob Bowman से ट्रेनिग लेते हुए सिर्फ 15 साल की उम्र में उन्होंने 2000 समर ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई कर लिया , और पिछले 68 साल के रिकार्ड को तोड़ते हुए ओलम्पिक में क्वालीफाई करने वाले सबसे कम उम्र के पुरुष बने |
हालांकि वे उस ओलम्पिक में एक भी मेडल जीतने में सफल नहीं हो सके |
लेकिन उन्होंने हार ना मानते हुए अपने प्रेक्टिस को जारी रखा| इसे बाद दूसरी बार उन्होने 2004 के समर ओलेम्पिक मे हिस्सा लिया इसके लिए उन्होने 4 साल खूब प्रेक्टिस की इस समय उनकी उम्र महज 19 साल थी |
यकीन नहीं मानोगे ,माइकल फेल्प्स ने अपनी बेहतरीन स्विमिंग और कड़ी मेहनत की बदौलत स्विमिंग के हर फॉर्मेट मे बेहतरीन प्रदर्शन देते हुए इस ओलेम्पिक मे कुल 6 गोल्ड, 2 ब्रोंज के साथ 8 मेडल अपने नाम कर लिया |
यह पल माइकल फेल्प्स के लिए बहुत ही खुशी और आत्मविश्वास से भरा पल था |
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लेकिन इसके बाद माइकल फेल्प्स की लाइफ मे कुछ ऐसा हुआ जिसका नतीजा माइकल फेल्प्स ने चीन की धरती पर सफलता का एक इतिहास रच डाला जिसे सदियों तक पूरी दुनिया याद रखेगी इस इंसान को |
तो चलिये जानते है ऐसा क्या हुआ था ?
कैसे रचा maikal felps ने सफलता का इतिहास – maikal felpssuccess biography
दरअसल माइकल फेल्प्स 2004 के इसी ओलम्पिक के ही एक मैच में वे अपने बचपन के हीरो इअन थोर्प (Australian swimmer) के साथ भी कम्पटीट कर रहे थे |
सभी रेस खत्म होने के बाद मिडिया वालों ने इअन थोर्प से पूछा की क्या आपको इस ओलम्पिक के रिकार्डस को देखते हुए लगता है की फेल्प्स अगले ओलम्पिक में सभी गोल्ड मेडल जीत कर इतिहास रच सकते है ?
तो उस बात का उत्तर देते हुए इअन थोर्प ने कहा की यह कभी संभव ही नहीं है, ऐसा करना लगभग असंभव है, फेल्प्स कभी भी ऐसा नहीं कर पायेगा |
जब यह बात फेल्प्स के पास पहुची तभी तो माइकल फेल्प्स ने इसको एक चेलेंज की तरह लिया उन्होंने ठान लिया की वे अगले ओलम्पिक में सभी गोल्ड मेडल जीत कर ही रहेंगे ,
इस दौरान माइकल फेल्प्स के अमेरिका के महान स्विमर मार्क्स स्पिट्ज के बारे मे पता चला जिन्होने 1972 के हुए ओलेम्पिक मे 7 गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा था |
तब माइकल फेल्प्स मार्क्स स्पिट्ज के बारे यह जाना की वह रोज 8 घंटे स्विमिंग की प्रेक्टिस किया करते थे |
यही से उनके मन मे यह बात आई की यदि यह रोज के 8 घंटे प्रेक्टिस करके 7 गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच सकते है तो मैं इनसे भी अधिक प्रेक्टिस करके 8 गोल्ड मेडल क्यो नहीं जीत सकता |
मतलब इस इंसान की बाउंड्रीलेस थिंकिंग थी . जिसके चलते अब इस इंसान ने रोज के 12 घंटे प्रेक्टिस करना शुरू कर दिया और अपनी खान पान पर विशेस ध्यान दिया |
वक़्त 4 साल और लक्ष्य बहुत बड़ा था
लेकिन यह इंसान अब अपनी जिद्द पर आ चुका था और जब इंसान अपनी जिद्द पर आजाए तो दुनिया की कोई ताकत उसे सफल होने से नहीं रोक सकती |
लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था प्रेक्टिस के दौरान उनके साथ एक छोटा सा हादसा हुआ जिसकी वजह से उनके हाथ की कलाई और कंधो पर फेकचर आगया | अब यह उनके लिए न सिर्फ एक बहुत बड़ी मुसीबत थी बल्कि बहुत ही निराशा जनक बात थी |
maikal felps को डॉक्टर ने भी प्रेक्टिस करने से माना किया
डॉक्टर ने भी उन्हे अब प्रेक्टिस करने से बिलकुल मना कर दिया था | लेकिन यह इंसान अब खुद से कामिटमेंट कर चुका था और पीछे नहीं हट सकता था | क्योकि 2008 की आने वाली इस ओलेम्पिक मे उसे बहुत कुछ साबित करना था साथ मे यह भी साबित करना था की असंभव कुछ भी नहीं |जिसके लिए वह खूब मेहनत कर रहे थे |
अब यहाँ पर कोई और इंसान होता तो शायद वो पीछे हट जाता | लेकिन यह इंसान अब अपनी जिद्द पर आ चुका था |
इधर 2008 के ओलेम्पिक (2008 beijing olympics) के शुरू होने मे अब मात्र 2 साल ही बाकी थे | माइकल फेल्प्स को कुछ समझ नहीं आरहा था की क्या करू ,
जिसके चलते माइकल फेल्प्स ने डॉक्टर से पूछा की इसे ठीक होने मे कितना वक़्त लगेगा | तब डॉक्टर बोला इसे ठीक होने मे अधिक से अधिक एक साल लग जाएंगे |
यह सुन वह तुरंत डॉक्टर से बोले – तो आप कोई बीच का रास्ता बताए जिससे मैं अपनी प्रेक्टिस लगातार जारी रख सकु |
तब डॉक्टर ने यही सुझाव दिया की फिलहाल अभी तो आप अपनी टाँगो की मदद से ही प्रेक्टिस कर सकते है | यह सुन अगले ही दिन से माइकल फेल्प्स ने अपनी टाँगो से प्रेक्टिस करना शुरू कर दिया |
इस तरह एक साल तक बिना हाथ को हिलाए सिर्फ टाँगो की मदद से स्विंग करने की वजह से उनकी टाँगो से स्विमिंग करने की कला (skill) इतनी अधिक विकसित हो गई की जब एक साल बाद उनके हाथ पूरी तरह ठीक होने के बाद उन्होने हाथो से पुनः स्विंग करनी शुरू की तो वह खुद अपनी स्पीड को देख कर आश्चर्य मे पड़ गए |
यानी की उनकी स्पीड पहले के मुक़ाबले और भी तेज हो चुकी थी |यही चीज उनकी सफलता के लिए मील का पत्थर साबित हुई |
शायद किसी ने सही कहा है की जो होता है अच्छे के लिए ही होता है मुसीबते आती है इंसान को परखने के लिए |
2008 beijing olympics
आखिर कार वो समय आही जाता है जिसका माइकल फेल्प्स 4 साल से इंतजार कर रहे थे चीन की धरती पर 2008 के ओलंपिक खेलों की शुरुआत होती है | 2008 beijing olympics
2004 के ओलंपिक के स्विमिंग मे माइकल फेल्प्स के अद्भुत और बेहतरीन प्रदर्शन को ध्यान मे रखते हुए इस बार सबकी नजर माइकल फेल्प्स पर ही होती है |
maikal felps बने दुनिया के सबसे तेज़ तैराक
समय सुबह 10 बजकर 20 मिनट , स्विमिंग का खेल आरंभ होता है | सभी स्वीमर अपनी अपनी जगह पर तैनात होते है | ठीक 10 बजकर 30 मिनट पर विसल की आवाज़ बजते ही स्विमिंग शुरू हो जाती है |
सबसे आगे माइकल फेल्प्स ही होते है | खेल लगातार जारी रहता है माइकल फेल्प्स हर प्रकार की स्विमिंग फॉर्मेट
पर जीत हासिल करते जाते है | माइकल फेल्प्स की बेहतरीन प्रदर्शन को देखते हुए देखने वाले दातों तले उँगलियाँ दबा लेते है |
अब एक आखरी स्विमिंग , इसमे भी माइकल फेल्प्स की प्रतिभा को देखते हुए सबके रोंगटे खड़े हो जाते हो | इस स्विमिंग मे भी अपना बेहतरीन प्रदर्शन देते हुए अपनी जीत पक्की करते है | पूरा स्टेडियम तालियों की आवाज़ से गूंज उठता है |
और इसी के साथ वह दुनिया के सबसे तेज तैराक और सबसे जादा गोल्ड मेडल जीतने वाले इंसान बन जाते है |
maikal felps ने 8 गोल्ड्मेडल्स जीत कर रचा इतिहास
इस तरह माइकल फेल्प्स ने 2008 मे हुए बीजिंग ओलम्पिक मे लगातार 8 गोल्ड मैडल जीतकर इतिहास रच दिया था. सिर्फ यही नहीं 2008 मे बीजिंग मे हुए इस ओलंपिक मे 1972 के सबसे तेज तैरने वाले इंसान मार्क्स स्पीच का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया |
इसी के साथ मार्क्स स्पीच द्वारा 1972 के ओलम्पिक मे जीते गए 7 गोल्ड मैडल के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया था.
कुछ क़दरति विशेष शारीरिक बनावट, हुनर, और कठोर परिश्रम से माइकल फेल्प्स इतने महान तैराक बने. इनकी महान उपलब्धियां इनको सिर्फ एक महान तैराक ही नहीं बल्कि एक महान एथलीट्स भी बनाती हैं.
maikal felps की शारीरिक बनावट भी थी जीत बड़ी वजह
बीजिंग ओलम्पिक मे जब उन्होंने 8 गोल्ड मैडल जीते. तो कई देशों के विषेशज्ञों ने उन की इस प्रतिभा पर सवाल उठाए की आखिर यह खिलाड़ी असम्भव सा दिखने वाला यह कारनामा कैसे कर सकता है.लोग उनकी सफलता के वैज्ञानिक मायने तलाशने लगे.
उनकी शारीरिक बनावट से लेकर उनकी खान पान तक की चर्चा होने लगी.
आखिर वो कौन सी बाते है जो फेल्प्स को इतना अद्भुत प्रतिभाशाली इंसान बना देती है और वो इतने अद्भुत कारनामें कर जाते है जिसके बारे एक आम इंसान के लिए सोचना भी असम्भव सा है.
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maikal felps की जीत का राज़
तीन चीजे ऐसी थी जिस वजह से माइकल फिल्प्स दुनिया के सबसे बेहतरीन तैराक बन पाए है.
1.विशेष शारीरिक बनावट
2. रोज 12 घंटे ट्रेनिंग
3.दिनचर्या एवं खान पान.
सबसे पहली चीज है उनके शरीर की बनावट.
विशेषज्ञो के अनुसार उनके शरीर की बनावट ही कुछ ऐसी है जो उन्हें एक बेहतरीन तैराक बनने मे मदद करती है.
सिर्फ यहीं नहीं, उनका कद 6.4 फुट लम्बा है यानी 193 cm है. इतना ही नहीं उनके विग्स पैन यानी दोनों हाथो का फैलाव 6.7 इंच है जो की उनके कद के हिसाब से 3 इंच ज़ादा है.
इतना लम्बा विंग्स पैन ही उन्हें तेजी से पानी को पीछे धकेल कर अधिक गति से आगे बढ़ने मे मदद करता है.
माइकल फिल्प्स के लम्बे विंग्स पैन पानी मे नाव की चप्पू की तरह का काम करते है.
इनकी यह खासियत इनको कम्पीटीटर से बढ़त दिलाती है.
साथ ही माइकल फिल्प्स का लम्बा धड़ भी इन्हे एक चैंपियन तैराक बनता है.
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इसके इलावा माइकल फिल्प्स की हथेलियां और पैर के पंजे भी काफ़ी लम्बे है. इस तरह उनकी लम्बी हथेलिया तैराकी के दौरान नाव के चप्पू की तरह काम करती है.
उनके पैर के पंजो की लम्बाई 14 है जो की एक फ्लिपर्स की तरह काम करती है.
इसके इलावा उनकी कमर पतली और लचकदार है. जो की उनको पानी तेज गति से मूव करने मे मददगार सिद्ध होती है.
सिर्फ यहीं नहीं उनके पैरों मे 15 डिग्री का अतिरिक्त झुकाव है जो उन्हे बाकि के खिलाड़ियों से अलग करती है.
सिर्फ ऐसा नहीं की माइकल फिल्प्स अपनी विशेष शारीरक बनावट के चलते दुनिया के सबसे अच्छे तैराक बन पाए.बल्कि इसके पीछे इनका अथक प्रयास भी था.
यानी इनकी कड़ी मेहनत जिसके चलते इन्होने अपनी प्रतिभा को इतना निखारा की असंभव काम को भी संभव कर दिखाया.
जी हा इनकी बड़ी कामयाबी के पीछे इनकी कड़ी मेहनत की बहुत बड़ी भूमिका है.
वह हर हफ्ते स्विमिंग पुल मे 80 km लम्बी तैराकी करते है यानी की एक दिन मे ओसतन 12 km लम्बी तैराकी.
इसके लिए वह खान पान का विशेष ध्यान रखते है.
एक दिन मे माइकल फिल्प्स को 12 हजार कैलोरी बर्न करनी होती है.
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जबकि ओसतन एक आम आदमी को एक दिन मे 2200 से 2700 तक के कैलोरी की ही जरुरत होती है.
इससे पता चलता है की माइकल फिल्प्स कितनी कड़ी मेहनत करते है.
साल 1972 के ओलम्पिक मे 7 गोल्ड मैडल जीतने वाले मार्क्स पिट्स ने कहा था की उनकी सफलता इंसान के चाँद पर कदम रखने जितनी है.
उस लिहाज से ओलम्पिक मे 8 गोल्ड मैडल जीतने वाले माइकल फिल्प्स की सफलता इंसान के मंगल पर कदम रखने जितनी होगी.
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2012 के लन्दन ओलंपिक्स के बाद माइकल फिल्प्स ने तैराकी से संन्यास लेने की घोसणा कर दी थी.
लेकिन माइकल फिल्प्स अप्रैल 2014 मे एक बार फिर से वापिसी की और 2016 रिओ ओलंपिक्स की तैयारी शुरू कर दी.
आपको यकीन नहीं होगा दो साल तैराकी से सन्यास लेने के बाद भी उन्होंने रिओ ओलम्पिक 2016 मे 5 गोल्ड मैडल और एक सिल्वर मैडल जीता.
रेस मे उसेन बोल्ट, हॉकी मे ध्यान चंद, फुटबाल मे मेसी या रोनाल्डो तथा क्रिकेट के डोन ब्रेडमेन हो या फिर सचिन तेंदुलकर जैसे महान अद्भुत खिलाड़ियों के साथ साथ अब दुनिया माइकल फेल्प्स जैसे अद्भुत एथलीट्स का नाम भी याद रखेगी |
इस Inspirational story से हमे क्या सीखने को मिलता है ?
जब इंसान अपने लक्ष्य को प्राप्त करने मे पूरी ताकत लगा देता है तो मुसीबते कैसे उसके हौसलों की परीक्षा लेते हुए एक बड़ी रुकावट बन कर उसकी कामयाबी के रास्ते मे आकर खड़ी हो जाती है | और यही वो समय
होता है की या तो इंसान अंदर से टूट जाता है और हार मान लेता है या फिर मजबूत हौसले से फिर से प्रयास करते हुए आगे बढ़ता है और कामयाबी का नया इतिहास रचता है |
तो अब आपको तय करना है की मुसीबतों से डर कर हार माननी है या फिर उसका डट कर सामना करते हुए सफलता प्राप्त करनी है |
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Great content! Super high-quality! Keep it up! 🙂
bohot he motivational story hai asa motivation ho toh kya baat hai!
Thank u g
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Thanx ji