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moral story in hindi भिक्षु का खज़ाना

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नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आज आपका एक और moral story in hindi भिक्षु का खज़ाना मे. यदि आप एक तनाव रहित जीवन जी रहे हों, कोई विचार आपको परेशान कर रहे है तो यह कहानी आपके इन तमाम दुखो का निवारण कर सकती है.

आखिर तक पढे इस कहानी को

moral story in hindi भिक्षु का खज़ाना

एक बार एक राज्य के राजा ने अपने महल मे एक बौद्ध भिक्षु को बुलाया राजा ने भिक्षु से कहा! अगर आपसे मै कुछ मांगूंगा तो क्या आप मुझे देंगे.?

बौद्ध भिक्षु ने कहा! जरूर…बताइये क्या चाहिये आपको,,

राजा ने कहा, क्या आप मुझे अपना ये भिक्षा पात्र दे सकते है. बौद्ध भिक्षु ने बिना कोई पश्न किये अपना भिक्षा पात्र राजा को दे दिया.

 

अब सिर्फ तन पर कपड़ो के इलावा, सांसारिक वस्तु के नाम पर कुछ भी शेष नहीं था भिक्षु के पास.

 

राजा ने बदले मे बौद्ध भिक्षु को एक बड़ा सा सोने का कटोरा दे दिया जिसमे चारो तरह मोती जड़े हुए थे.

बौद्ध भिक्षु ने उस कटोरे को हाथ में लिया. और जंगल में बनी अपनी कुटिया की तरफ चलने लगे. वे रास्ते से गुजर ही रहे थे कि एक चोर ने उनके हाथ में वो कीमती सोने का कटोरा देख लिया.

चोर उस कटोरे को चुराने के मन से बौद्ध भिक्षु का पीछा करता रहा. बौद्ध भिक्षु ने महसूस कर दिया था की एक चोर उनका पीछा कर रहा है.

उन्होंने सोचा, कि सोने के कटोरे की वजह से ये चोर उनकी मानसिक शांति को खराब कर सकता है.. और उस चोर को इस कटोरे को चुराने के लिये बहुत मेहनत भी करनी पड़ेगी.

 

इसलिए ये कटोरा उस चोर को ही दे देना उचित होगा.

फिर ज़ब वो भिक्षु अपनी कुटिया के द्वार पर पहुंचे तो उस सोने के कटोरे को कुटिया के बाहर ही फैक कर अपनी कुटिया मे चले गए.

चोर एक पेड़ के पीछे छिपा ये सब कुछ देख रहा था.

चोर ने ज़ब देखा की भिक्षु  सोने का पात्र बाहर ही फैक कर कुटिया मे चला गया तो उसने सोचा की जरूर उस भिक्षु ने कुटिया मे इससे भी ज़ादा बहुत सी बहुमूल्य वस्तुए व धन छुपा कर रखे होंगे इसीलिए वो इसे बाहर ही फैक कर अंदर चला गया

Moral story in hindi

यह सोच कर वो चोर कुटिया के अंदर जाने का प्रयास करता है. कुटिया के अंदर वो बौद्ध भिक्षु ध्यान मे पूरी तरह लीन होते है, चोर दबे पाँव कुटिया के अंदर प्रवेश करता है और चारो तरफ नजरें घुमा कर देखने लगता है.

 

लेकिन कुटिया तो पूरी तरह से खाली थी चोर को कुटिया मे कोई भी बहुमूल्य धातू खजाना नजर नहीं आरहा था.

 

यह सोच कर वो चोर और भी ज़ादा आश्चर्य चकित रह जाता है.

चोर मन ही मन सोचने लगता है की ज़ब इस भिक्षु के पास कुछ भी नहीं है तो उसने उस सोने के कटोरे को कुटिया के बाहर हीक्यों फैक दिया?

 

फिर उसने ख़ुद से कहा!  इससे मुझे क्या इस साधू के पास कुछ हों ना हों मुझे तो उस कटोरे को लेकर यहां से निकल लेना चाहिये.

 

चोर कुटिया के बाहर जा कर उस कटोरे को उठाने लगता है की तभी उसके मन मे वहीं पश्न उठता है की आखिर उस भिक्षु के पास ऐसा क्या है की उसे इस सोने के कटोरे की परवाह नहीं.

उसके अंदर इस पश्न का जवाब जानने की जिज्ञासा बढ़ती जा रही थी.

इसलिए वो फिर से कुटिया के अंदर जाता है और जाकर बौद्ध भिक्षु के पास बैठ कर उनकी आँखे खुलने का इंतज़ार करने लगता है.

  थोड़ी देर बाद ज़ब बौद्ध भिक्षु अपनी आँखे खोलते है तो वो उसी चोर की अपने सामने बैठा देखते है जो उनका पीछा कर रहा था. भिक्षु उस चोर को देखकर मुस्कराते है और कहते है की, की तुम आगए.?

 

चोर ने कहा, महाराज! मैंने आपका बहुत दूर से इस कुटिया तक पीछा किया. मै बस ये जानना चाहता हूँ की आपने उस सोने के कटोरे को कुटिया के बाहर ही क्यों फैक दिया. आखिर आपके पास ऐसा कौन सा धन है. जो उस मोतियों से जड़े कीमती सोने के कटोरे से भी ज़ादा बहुमूल्य है.

 

ये सुन वो बौद्ध भिक्षु मुस्कराए और बोले! मेरे दोस्त, मेरे पास एक ऐसा खजाना है जिसे तुम देख नहीं सकते,

चोर ने फिर से जिज्ञासा भरे मन से पूछा, क्या?खजाना!ऐसा कौन सा खजाना  वो, मुझे बताओ.

 

भिक्षु बोले – मेरे पास ध्यान का खजाना है.

जिसके सामने दुनियां की सारी दौलत भी फीकी है 

यह सुन वो चोर बौद्ध भिक्षु के पैर पकड़ लेता है.और कहता है, महाराज हों सके तो मुझे माफ कर दें.

 

मै एक लुटेरा हूं और मै यहां आपको लूटने के उदेश्य से ही यहां आया था लेकिन आप तो एक संत आदमी निकले, आपसे मुझे इस दुनियां की कोई धन दौलत नहीं चाहिये. क्या आप मुझे अपने ध्यान के खजाने से एक छोटा सा हिस्सा दे सकते हों ताकी मै भी आपकी तरह शांति को प्राप्त हों सकू.

 

बौद्ध बिक्षु बोले – हाँ क्यों नहीं, अगर तुम चाहो तो तुम भी मेरी तरह ध्यान के माध्यम से सुकून संतुष्टि और शांति रूपी खजाने को प्राप्त कर सकते हों. इसके लिये तुम्हे ध्यान लगाना सीखना होगा.

ध्यान मे बहुत ताकत होती है यह ऊर्जा को स्थानंत्रित कर मन को स्थिर करता है.  बेवजह के विचारों को खत्म कर लालसा को समाप्त करती है.और ज़ब लालसा नहीं रहती, तो मन से बेवजह के विचार समाप्त हों जाते है. मन परम् शांति को प्राप्त होता है और अद्भुत सकून का एहसास कर जीवन का आनंद लेता है.

 

ध्यान करने के लिये तुम्हे एक शांत, सुरक्षित और आरामदायक स्थान का का चुनाव करना होगा. फिर वहाँ जमीन पर एक चटाई बिछा कर उस पर चौकड़ी मार कर बैठ जाना है. तुम्हे अपने रीढ़ की हड्डी सीधी रखनी है.आँखे बंद करनी है और गहरी सांस लेनी है.तुम्हे अपनी दोनों हथेली अपने घुटनो पर ऊपर की तरह रखनी है. इसे ध्यान मुद्रा कहते है.

 

तुम्हे अपना ध्यान अपनी साँसो की तरह केंद्रित करना है. तुम्हारी सांसे जितना ज़ादा छोटी और गहरी होती जाएंगी तुम उतना ही ज़ादा ध्यान के सागर मे डूबते जाओगे.

 

 तुम्हे अपनी हर एक आने जाने वाली सांस पर ध्यान केंद्रित करना है, अगर तुम्हारे मन मे बार बार विचार आरहे है तो इसका मतलब तुम साँसो की तरह ध्यान केंद्रित नहीं कर रहे.

 

धीरे धीरे तुम्हागरे मन से विचार समाप्त होते होते शून्य हों जाएंगे, मन बहुत हल्का महसूस होगा, यह ध्यान का वह स्तर होगा ज़ब तुम्हे परम् शांति और आनंद की अनुभूति होने लगेगी. यही गहरे ध्यान की अनंत अवस्था है.

यह एक या दो दिन मे नहीं होगा इसका प्रयास तुम्हे रोज करना होगा.

 

चोर ने अब चोरी, डाका छोड़ रोज नियमित रूप से ध्यान लगाना शुरू कर दिया. कुछ ही दिनों मे चोर को स्वयं मे बहुत परिवर्तन नजर आया उसे अपने अंदर सकारात्मक ऊर्जा का अहसास होने लगा. चोर का जीवन पूरी तरह से बदल चुका था.

तो उम्मीद करता हूँ moral story in hindi भिक्षु का खज़ाना से आज आपके दुखो का निवारण जरूर हुआ होगा. हम अपने blog पर ऐसी ही ज्ञान से भरी शिक्षाप्रद कहानियाँ लाते रहते है हमसे जुड़े रहे.

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