सीखने की प्रवृत्ति – learning habits – नमस्कार दोस्तो स्वागत है आपका एक बार फिर से एक और moral story मे| दोस्तो जीवन मे सफलता हासिल करने के लिए और लगातार आगे बढ़ते रहने के लिए सीखने की प्रवृत्ति यानि learning habits का होना कितनी आवश्यक है ? यह आज हम आपको इस moral story के माध्यम से बताने जा रहे है |
तो अंत तक इस कहानी को जरूर पढ़े |
Table of Contents
सीखने की प्रवृत्ति – learning habits
एक बार गाँव के दो व्यक्तियों ने शहर जाकर पैसे कमाने का निर्णय लिया। शहर जाकर कुछ महीने इधर-उधर छोटा-मोटा काम कर दोनों ने कुछ पैसे जमा किये। फिर उन पैसों से दोनों ने अपना-अपना व्यवसाय प्रारंभ किया।दोनों का व्यवसाय चल पड़ा।
दो साल में ही दोनों ने अच्छी ख़ासी तरक्की कर ली। व्यवसाय को फलता-फूलता देख पहले व्यक्ति ने सोचा कि अब तो मेरा व्यापार चल पड़ा है।
कोई नुकसान की गुंजाईश नहीं. बस इसी मानसिकता के साथ वो थोड़ा लापरवाह भी होगया, उसने छोटी छोटी गलतियों को नजरअंदाज करना शुरू कर दिआ.. उसे ये लगने लगा की उसे अब कुछ और सीखने की जरूरत नहीं…. उसे अपना काम भली भांति से आता है.
अब तो मैं तरक्की की सीढ़ियाँ चढ़ता चला जाऊंगा,
इन्ही सबके चलते उसकी छोटी छोटी लापरवाही एक दिन बड़े व्यापारिक नुकसान मे बदल गई.
अब तक आसमान में उड़ रहा वह व्यक्ति यथार्थ के धरातल पर आ गिरा। वह उन कारणों को तलाशने लगा, जिनकी वजह से उसका व्यापार बाज़ार की मार नहीं सह पाया।
सबसे पहले उसने उस दूसरे व्यक्ति के व्यवसाय की स्थिति का पता लगाया, जिसने उसके साथ ही व्यापार आरंभ किया था। वह यह जानकर हैरान रह गया कि इस उतार-चढ़ाव और मंदी के दौर में भी उसका व्यवसाय मुनाफ़े में है।
उसने तुरंत उसके पास जाकर इसका कारण जानने का निर्णय लिया।
अगले ही दिन वह दूसरे व्यक्ति के पास पहुँचा।दूसरे व्यक्ति ने उसका खूब आदर-सत्कार किया और उसके आने का कारण पूछा।
तब पहला व्यक्ति बोला, “दोस्त! इस वर्ष मेरा व्यवसाय बाज़ार की मार नहीं झेल पाया।बहुत घाटा झेलना पड़ा।
तुम भी तो इसी व्यवसाय में हो,तुमने ऐसा क्या किया कि इस उतार-चढ़ाव के दौर में भी तुमने मुनाफ़ा कमाया?”
यह बात सुन दूसरा व्यक्ति बोला, “भाई! मैं तो बस सीखता जा रहा हूँ, अपनी गलती से भी और साथ ही दूसरों की गलतियों से भी।
हाँ मुझे भी घाटा जरूर हो जाता अगर मै खुद से अपने काम मैनेज़ करना ना सीखता यानी छोटी छोटी चीजों पर ध्यान ना देता.
ज़ब भी कोई प्रॉब्लम आती तो मै सबसे पहले पता लगाता की ऐसा क्यों हुआ.. तब मै उसे सुधरता और सीखता की इसे कैसे हैंडल किया जाए… क्योंकि व्यापार मे परिस्थितियों का दबाव कहीं ना कहीं से पड़ता रहता है इसलिए हमें पहले से सजग रहना चाहिए.
जो समस्या सामने आती है, उसमें से भी सीख लेता हूँ। इसलिए जब दोबारा वैसी समस्या सामने आती है, तो उसका सामना अच्छे से कर पाता हूँ और उसके कारण मुझे नुकसान नहीं उठाना पड़ता।
बस ये सीखने की प्रवृत्ति ही है, जो मुझे जीवन में आगे बढ़ाती जा रही है.”
दूसरे व्यक्ति की बात सुनकर पहले व्यक्ति को अपनी भूल का अहसास हुआ। सफ़लता के मद में वो अति-आत्मविश्वास से भर उठा था और सीखना छोड़ दिया था।
वह यह प्रण कर वापस लौटा कि कभी सीखना नहीं छोड़ेगा। उसके बाद उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और तरक्की की सीढ़ियाँ चढ़ता चला गया।
तो चलिए समझते है की इस learning habits moral story से हमें क्या सीख मिलती है.
दोस्तों, जीवन में कामयाब होना है, तो जीवन को और अपने काम तथा व्यापार को एक पाठशाला की तरह समझो जहाँ आपको कुछ ना कुछ सीखते रहना है. यांनी सीखने की प्रवृत्ति बनाए रखो | न सीखने की प्रवृत्ति से क्या नुकसान होता है या हो सकता है जीवन मे यह तो आप इस कहानी के माध्यम से समझ ही गए हो |
यहाँ नित नए परिवर्तन और नए विकास होते रहते हैं। यदि हम स्वयं को सर्वज्ञाता समझने की भूल करेंगे, तो जीवन की दौड़ में पिछड़ जायेंगे. क्योंकि इस दौड़ में जीतता वही है, जो लगातार दौड़ता रहता है। जिसें दौड़ना छोड़ दिया, उसकी हार निश्चित है। इसलिए सीखने की ललक खुद में बनाये रखें, फिर कोई बदलाव, कोई उतार-चढ़ाव आपको आगे बढ़ने से नहीं रोक सकेंगी.
तो दोस्तो इस कहानी के माध्यम से आपको यह बताना चाहते है की हमेशा गलतियो से सीखो |
जब भी इंसान को खुद पर ओवर कोन्फ़िडेंस होने लग जाए की मुझे सब पता है ,तो उसके अंदर नया सीखने की ललक खत्म होने लगती है | ओवर कोन्फ़िडेंस होना न सिर्फ एक व्यापारी के लिए बल्कि उस हर इंसान के लिए खतरनाक है जो जीवन मे किसी लक्ष्य को पाने के लिए मेहनत कर रहा है | फिर चाहे वो टीचर हो स्टूडेंट हो ,या ब्लॉगर हो या youtubar हो ।
इसलिए कभी भी किसी काम को लेकर अपने अंदर ओवर कोन्फ़िडेंस मत आने देना | हमेशा कुछ नया सीखते रहो ,और क्रिएटिव करते रहो |
तो दोस्तों, यह moral story आपको कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताना.
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