Naitik kahaniya – नैतक कहानियाँ – नमस्कार दोस्तों मैं हरजीत मौर्या आज फिर से आपके लिए ज्ञान से भरी एक top inspirational story for moral (शिक्षाप्रद कहानी) लें कर आया हूं. naitik kahaniyo से मिला छोटा सा ज्ञान भी आपकी जिंदगी मे सकारात्मक बदलाव ल सकता है |
नैतिक कहानियो मे बहुत ही ज्ञान की बाते छुपी होती है जो इंसान के जीवन मे बहुत ही लाभकारी सिद्ध होती है |तो हमेशा पढ़ते रहिए एसी तमाम नैतिक कहानियाँ (naitik kahaniya)|
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Naitik kahani |रामू का संघर्ष.
नेपाल का एक छोटा सा गांव ,जो बहुत सि छोटी बड़ी पहाड़ियों से घिरा हुआ था.उस गांव मे रामू नाम का एक बहुत ही साहसी युवक रहा करता था. रामू परेशानियों से जूझने मे नहीं बल्कि उसे खत्म करने मे विश्वास रखता था |
रामू ये बात बचपन से सुनता आया की यहां से कुछ ही दुरी पर एक काली पहाड़ी है. जिस पर चढ़ना बहुत मुश्किल है. बहुत कम लोग ही उस पहाड़ी को पार करके अगले गांव तक पहुंच पाते है.
रामू के मन मे बहुत लालसा थी उस काली पहाड़ी को पार के के दूसरे गाँव जाने की
एक दिन रामू उस काली पहाड़ी के पास पहुंचा और चढ़ाई शुरू कर दी. रामु पहली कोशिश मे असफल रहा. तब रामु को लगा की पैरो की ग्रिप बनाने के लिए उसे जूतो की जरूरत है | रामु घर से जूते लें आया और फिर से चढ़ना शुरू किया.
इस बार कुछ ऊपर तक पहुच तो गया लेकिन चोटी तक पहुँचने मे असफल रहा |अब उसे लगा की एक लाठी के सहारे की जरूरत है.रामु लाठी भी लें आया. इस बार भी पहाड़ चढ़ने मे असफल रहा. इस तरह 9 से 10 बार प्रयास करता रहा लेकिन असफल रहा।
इतनी असफलता के बाद अब भी रामू का प्रयास जारी था |क्योकि रामू अभी तक मन से नहीं हारा था | उसे खुद के हौसलों और ताकत पर पूरा भरोसा था की वह पुनः प्रयास से निश्चित ही चोटी तक पहुँच सकता है |
वहाँ एक चरवाहा अपनी भेड़े चरा रहा था. चरवाहा बहुत देर से रामू को देख रहा था | अब रामु जैसे फिर से चढ़ने का प्रयास किया.
तभी वो चरवाहा बोला – भाई इतनी बार तो प्रयास करके देख लिया. कब से तुम्हे देख रहा हूं 10 बार असफल हो चुके हो.
तो अब फिर से क्यों प्रयास कर रहे हो.
तब रामु बोला की.. ऐसा तुम्हे लगता है की मैं 10 बार असफल हुआ हूं… बल्कि सच्च तो ये है की मुझे 10 ऐसे तरीके पता लग गए है जिनकी वजह से मे असफल हो रहा हूं.
इतना बोलते हुए रामु ने फिर से पूरे जोश के साथ चढ़ना शुरू किया.. और इस बार सफलतापूर्वक पहाड़ चढ़ गया.
कहानी से सीख -moral from this story-naitik kahaniya
तो दोस्तों इस छोटी सि naitik kahani से हमें यह सीख मिलती है की अपनी असफलताओ को अपनी कामयाबी के बीच का पत्थर मत बनने दो.
बल्कि विचार करो की तुम कौन सि ऐसी गलती कर रहे हो जिस वजह से तुम्हे सफलता नहीं मिल पा रही. उस गलती को सुधारो और पुनः प्रयास करो.. सफलता अवश्य मिलेगी.
तो दोस्तो ये रामू का संघर्ष naitik kahani से यदि आपको प्रेरणा मिली है तो निवेदन है इस naitik kahani कहानी को जादा से जादा लोगो मे शेयर करे | ताकि वह भी इस कहानी से सीख लेकर प्रेरित हो सके औरजीवन मे आगे बढ़ सके |
आपका ये छोटा सा प्रयास किसी की जिंदगी मे बहुत सकरत्म्क बदलाव ल सकता है |
चलिये अब बढ़ते है अपनी अगली naitik kahani की तरफ| naitik kahaniya
ज्ञान से भरी naitik kahani |कर्म का फल
बहुत समय पहले की बात है एक बहुत ही पुराना गांव हुआ करता था जो की सरस्वती नदी के पास मे बसा था. उस समय यातायात के नाम पर सिर्फ दो तीन नाव ही हुआ करती थीं. जो लोगो को दूसरे गांवो तक ले जया करती थी |
एक समय ऐसा आया बहुत बारिश हुई. तूफान आगया.. लोगो के घर उजड़ने लगे.. पानी तीन दिन से लगातार बरसता रहा. गांव मे चारो तरफ हाहाकार मच गया. सब इधर उधर अपना घर छोड़ कर भागने लगे.
इतने मे नांव वाले लोग गाँव के अंदर चिल्लाते हुए आए की सब लोग अपनी जान की खैरियत चाहते हो तो गांव खाली कर दो.
घंटो बाद ज़ब धीरे धीरे बारिश रुकी तो लोगो ने देखा की लगभग सब कुछ बर्बाद हो चुका था . पूरा गांव उजड़ चुका था मिट्टी के घर टूट चुके थे.
कुछ ही घंटो बाद बादलों ने चारो तरफ से फिर से घेरना शुरू कर दिया.. बादल गरज़ने लगा.
अब तो जिसके हाथ मे जो आया. वो उठाकर अपनी जान बचाते हुए अपने परिवार के साथ सब लोग धीरे धीरे नदी किनारे जमा होने लगा.. वहाँ से थोड़ा थोड़ा करके लोगो को नांव के जरिये नदी के दूसरी तरफ भेजा गया.
लगभग पूरा गांव लोगो से खाली ही हो चुका था… नाव को चलाने वाला नाविक एक बार फिर गांव का मुयाना लेने आया.
वो नाविक गाँव में बोल कर आ गया था कि मैं इसके बाद नहीं आऊँगा जिसको चलना है वो आ जाये।
सबसे पहले एक भिखारी आ गया और बोला मेरे पास देने के लिए कुछ भी नहीं है,मुझे अपने साथ ले चलो, ईश्वर आपका भला करेगा !
नाविक सज्जन पुरुष था। उसने कहा कि यही रुको यदि जगह बचेगी तो तुम्हें मैं ले जाऊँगा।
धीरे -धीरे करके पूरी नाव भर गई सिर्फ एक ही जगह बची ! नाविक भिखारी को बुलाने ही वाला था कि एक आवाज आयी रुको मैं भी आ रहा हूँ ….।।
यह आवाज जमीदार की थी,जिसका धन-दौलत से लोभ और मोह देख कर उसका परिवार भी उसे छोड़कर जा चुका था।
अब सवाल यह था कि किसे लिया जाए, उस भिखारी को या फिर राजा को |
जमीदार ने नाविक से कहा – मेरे पास सोना चांदी है ,मैं तुम्हें दे दूँगा और भिखारी ने हाथ जोड़कर कहा कि भगवान के लिए मुझे ले चलो।।
नाविक समझ नहीं पा रहा था कि क्या करूँ तो उसने फैसला नाव में बैठे सभी लोगों पर छोड़ दिया और वो सब आपस में चर्चा करने लगे।
इधर जमीदार सबको अपने धन का प्रलोभन देता रहा और उसने उस भिखारी को बोला ये सबकुछ तू ले ले, मैं तेरे हाथ पैर जोड़ता हूँ ,मुझे जाने दे !
तो भिखारी ने कहा:- मुझे भी अपनी जान बहुत प्यारी है अगर मेरी जिंदगी ही नहीं रहेगी तो मैं इस धन दौलत का क्या करूँगा? जीवन है तो जहान है !
तो सभी ने मिलकर ये फैसला किया कि इस जमीदार ने आज तक हमसे लुटा ही है ब्याज पर ब्याज लगाकर हमारी जमीन अपने नाम कर ली और माना की ये भिखारी हमसे हमेशा माँगता रहा पर उसके बदले में इसने हमें खूब दुआएं दी और इस तरह भिखारी को साथ में ले लिया गया !
राजा को वही छोड़ के कर सभी लोग नांव पर बैठ कर वहाँ से चले गए | उसके बाद बाढ़ आई और प्रकृति ने अपना न्याय किया | राजा उसी बाढ़ के पानी मे डूब कर मर मर गया |
moral from this story कहानी से सीख – naitik kahaniya
बुरे कर्म दर्द नाक मौत को बुलावा भेजते है |जब अंत समय आता है तो कोई धन दौलत काम नहीं आती | उस समय सिर्फ आपके अच्छे कर्म काम आते है | जीवन मे कभी किसी के साथ बुरा मत करो |वरना जिस दिन प्रकृति आपके साथ बुरा करेगी तो कोई नहीं बचाएगा | गलत तरीके से कमाया गया धन किसी काम का नहीं होता | गलत तरीके से कमाया गया धन जीवन का सुकून खत्म कर देती है |
इसलिए अभी भी वक्त है- हमारे पास सम्भलने का और शुभ कर्म करने का , बाद में कुछ नहीं होगा। शायद इसलिए कहा गया है.. अब पछताय होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गयी खेत.।।
तो दोस्तो ये बुरे कर्म का फल naitik kahani से यदि आपको प्रेरणा मिली है तो निवेदन है इस naitik kahani कहानी को जादा से जादा लोगो मे शेयर करे | ताकि वह भी इस कहानी से सीख लेकर प्रेरित हो सके और जीवन मे अच्छे कर्म करने की ओर प्रेरित हो सके | naitik kahaniya
आपका ये छोटा सा प्रयास किसी की जिंदगी मे बहुत सकरत्म्क बदलाव ला सकता है |
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