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Short moral story एक गिलास पानी

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Short moral story एक गिलास पानी – नमस्कार दोस्तों स्वागत है आज आपका एक छोटी  सी प्रेरक कहानी, मे. आज की इस कहानी से आपको नैतिक सीख मिलेगी. दोस्तों कहानियो का जीवन मे बड़ा महत्व रहता है.. शिक्षा प्रद कहानियो के माध्यम से बहुत सी ज्ञान की बाते सीखने को मिलता है.तो चलिए पढ़ते है आज की प्रेरणादायक छोटी सी कहानी को और सीखते है एक नया ज्ञान.

Short moral story एक गिलास पानी 

सरकारी कार्यालय में लंबी लाइन लगी हुई थी। खिड़की पर जो क्लर्क बैठा हुआ था, वह तल्ख़ मिजाज़ का था और सभी से तेज स्वर में बात कर रहा था।

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उस समय भी एक महिला को डांटते हुए वह कह रहा था, “आपको ज़रा भी पता नहीं चलता, यह फॉर्म भर कर लायीं हैं, कुछ भी सही नहीं है। सरकार ने फॉर्म फ्री कर रखा है तो कुछ भी भर दो, जेब का पैसा लगता तो दस लोगों से पूछ कर भरतीं आप।”

एक व्यक्ति पंक्ति में पीछे खड़ा काफी देर से यह देख रहा था, वह पंक्ति से बाहर निकल कर, पीछे के रास्ते से उस क्लर्क के पास जाकर खड़ा हो गया और वहीं रखे मटके से पानी का एक गिलास भरकर उस क्लर्क की तरफ बढ़ा दिया।

 

क्लर्क ने उस व्यक्ति की तरफ आँखें तरेर कर देखा और गर्दन उचका कर ‘क्या है?’ का इशारा किया।

 

उस व्यक्ति ने कहा, “सर, काफी देर से आप बोल रहे हैं, गला सूख गया होगा, पानी पी लीजिये।”

 

क्लर्क ने पानी का गिलास हाथ में ले लिया और उसकी तरफ ऐसे देखा जैसे किसी दूसरे ग्रह के प्राणी को देख लिया हो! और कहा, “जानते हो, मैं कड़वा सच बोलता हूँ, इसलिए सब नाराज़ रहते हैं, चपरासी  मुझे पानी तक नहीं पिलाता!”

 

वह व्यक्ति मुस्कुरा दिया और फिर पंक्ति में अपने स्थान पर जाकर खड़ा हो गया।

 

अब उस क्लर्क का मिजाज बदल चुका था, काफी शांत मन से उसने सभी से बात की और सबको अच्छे से सेवाएं देनी शुरू की।

 

शाम को उस व्यक्ति के पास एक फ़ोन आया, दूसरी तरफ वही क्लर्क था, उसने कहा, “भाई साहब, आपका नंबर आपके फॉर्म से लिया था, धन्यवाद देने के लिये फ़ोन किया है। मेरी माँ और पत्नी में बिल्कुल नहीं बनती, आज भी जब मैं घर पहुंचा तो दोनों बहस कर रहीं थी, लेकिन आपका गुरुमंत्र काम आ गया।”

 

वह व्यक्ति चौंका, और कहा, “जी? गुरुमंत्र?”

 

“जी हाँ, मैंने एक गिलास पानी अपनी माँ को दिया और दूसरा अपनी पत्नी को और यह कहा कि गला सूख रहा होगा पानी पी लो। बस तब से हम तीनों हँसते-खेलते बातें कर रहे हैं।

 

अब भाई साहब, आप आज हमारे घर पर खाने पर आइये।”

 

“जी! लेकिन, खाने पर क्यों?”

 

क्लर्क ने भर्राये हुए स्वर में उत्तर दिया, “गुरू माना है तो इतनी दक्षिणा तो बनेगी ना आपकी और ये भी जानना चाहता हूँ, एक गिलास पानी में इतना जादू है तो खाने में कितना होगा?”

 

दूसरों के क्रोध को प्यार से ही दूर किया जा सकता है। कभी-कभी हमारे एक छोटे से प्यार भरे बर्ताव से दूसरे इंसान में बहुत बड़ा परिवर्तन हो जाता है और प्यार भरे रिश्तों की एकाएक शुरूआत होने लगती है जिससे मन को सुकुन मिलता है..!!

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