Top 5 moral stories for kids in hindi – बच्चो के लिए 5 प्रेणादायक कहानियाँ –
नमस्कार दोस्तों, स्वागत है आपका बच्चो के लिए ज्ञान और शिक्षा से भरी छोटी छोटी रोचक कहानियों की इस दुनियां मे.
यहां पर बच्चों के लिए (Hindi short moral stories for kids) ज्ञान से भरी कहानियाँ मिलेंगी जिसे आप अपने बच्चो को सुनाकर बहुत आसानी से उनके ज्ञान का विकास कर सकते है.
इन कहानियों (Hindi short stories for kids) के माध्यम से आप अपने बच्चों को बहुत आसान शब्दों मे जीवन मे काम आने वाले अनमोल ज्ञान दे सकते हो.
Table of Contents
रेत और पत्थर – top 5 moral stories for kids
राजस्थान के एक गांव मे एक प्रताप और राणा नाम के दो दोस्त हुआ करते थे. दोनों की बहुत पक्की मित्रता थीं.
कभी कभी दोनों मे लड़ाई झगड़ा भी हो जाता पर बाद मे फिर से एक हो जाते.
एक बार ऐसे ही दोनों रेगिस्तान मे घूमने निकले और किसी बात को लेकर दोनों मे बहस हो गई.
बहस इतनी ज़ादा बढ़ गई की राणा ने प्रताप के मुँह पर थप्पड़ मार दिया.
इधर प्रताप ने राणा को कुछ नहीं कहा. परताप ने अपना गुसा रेत पर ये लिख कर निकाला की राणा ने मुझे थप्पड़ मारा.
इसके बाद दोनों कुछ और आगे चले दोनों को बहुत प्यास लग रही थीं.
राणा बोला यही से कुछ दूर छोटा सा तालाब है जहाँ ऊट को पानी पिलाया जाता है. चलो वहीं चलते है और स्नान भी कर लेंगे.
वहाँ पहुंच कर दोनों ने उस पानी से अपनी प्यास बुझाई. अब दोनों का उस तालाब ना नहाने का बहुत मन कर रहा था.
राणा और प्रताप दोनों उस तालाब के किनारे नहाने लगे.
प्रताप नहाते नहाते तालाब के बीचो बीच पहुंच गया जहाँ दल दल बन चुका था.
ज़ब प्रताप को एहसास हुआ कु उसका पैर किसी दल दल मे धंस चुका है. तो प्रताप जोर से चिल्लाते हुए राणा को आवाज़ लगाई.
राणा समझ चुका था की प्रताप का पैर दलदल मे फसा है. इधर प्रताप दलदल से बाहर निकलने की जितनी ज़ादा कोसिस करता वो उतना ही ज़ादा दलदल के अंदर जा रहा था.
ये देख राणा तुरंत पानी से बाहर निकला और कपड़ो को गाठ बांध कर जोड़ दिया.
फिर राणा ने कपड़े का एक सिरा अपने हाथ मे जस जर पकड़ा ओर दूसरा सिरा प्रताप की ओर फैंका.
प्रताप कपड़े की मदद से दलदल से बाहर निकल गया.
दलदल से बाहर आने के बाद प्रताप ने चेन की सांस ली ओर तुंरत पत्थर पर लिख दिया की मेरे दोस्त ने मेरी जान बचाई.
यह देख राणा ने बड़ी उत्त्सुकता से पूछा ज़ब मैंने थप्पड़ मारा था तब वो बात तो तुमने रेत पर लिख दी थीं.और अब ये पत्थर पर क्यों लिखा?
तब प्रताप बोला की ज़ब कोई ठेस पहुंचाए तो उसे रेत पर लिखने से क्षमा रूपी हवाएं उस लिखें शब्दों को मिटा देती है.
जिस वजह से वो लिखें हुए शब्द हमें दोबारा नजर नहीं आते. और हम उसे भूल जाते है.
वहीं तुम्हारे द्वारा की गई मदद को हमेशा याद रख पाउँ.. इस लिए इसे पत्थर पर लिखा. पक्की जगह पर लिखने से कोई इसे मिटा नहीं सकता.
राणा ने प्रताप को गले से लगा लिया.
तो चलिए दोस्तों अब जानते है इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है.
दोस्तों इस कहानी मे रेत और पत्थर का मतलब है हमारा मन.
यानी आपका कोई मित्र गुस्से मे यदि आपको मारे, बुरा कहे, तो उस घटना को मन मे अधिक समय तक नहीं रखना चाहिए.
वहीं दूसरी तरफ आपका मित्र जीवन मे यदि आपका कुछ भला करे, मदद करे तो उस बात को मन मे हमेशा के लिए लिख लो यानी याद रखो.
ऐसा करने से मित्रता कभी खत्म नहीं होती, एक दूसरे के प्रति मन मे बुरी भावनाए नहीं पनपती. प्रेम बना रहता है.
मित्रता मे ईमानदारी बनी रहती है… यही होती है सच्ची मित्रता.
कहने का मतलब आपके साथ किये गए बुरे व्यवहार को नजरअंदाज करके उसकी अच्छी बातो को याद रखो.
उम्मीद करता हूं आपको top 5 moral stories for kids की ये कहानियाँ पसंद आई होगी.
चलिए बढ़ते है अगली moral story की तरफ
लोमड़ी और कछुआ की बुद्धिमानी |top 5 moral stories for kids
एक बार की बात है एक जंगल मे बहुत सुंदर तालाब था उस तालाब मे एक बहुत बड़ा कछुआ रहता था. वहीं तालाब से कुछ दूर एक मांद थीं जिसमे एक लोमड़ी रहती थीं.
लोमड़ी और कछुआ दोनों की एक दूजे से बहुत अच्छी मित्रता थीं.
ज़ब भी लोमड़ी का मन पानी मे घूमने को करता तो कछुआ लोमड़ी को अपनी पीठ पर बैठा कर पूरे तालाब की सैर करवाता.
कछुआ जमीन मे बहुत धीरे चलता है. इसलिए ज़मीन के ऊपर कछुआ किसी जंगली जानवर से अपनी जान नहीं बचा सकता.
इसलिए ज़ब भी कछुआ का मन जंगल के अंदर घूमने को करता तो लोमड़ी उस कछुआ को अपनी पीठ पड़ बैठा कर जंगल की सैर करवाता.
इस तरह दोनों जंगल मे रोज खूब मजे किया करते.
लेकिन एक दिन कछुआ धीरे धीरे चल कर लोमड़ी से मिलने उसकी मांद के पास गया.
लोमड़ी और कछुआ दोनों एक दूजे से बातें कर रहे थे की इतने मे दो शिकारी अपने हाथ मे तेज धारदार भाला लिए उनका शिकार करने के लिए उनकी तरफ बढ़ते चले आ रहे थे.
यह देख दोनों बहुत घबरा गए. कछुआ बोला दोस्त तुम मांद मे छुप जाओगे… लेकिन मे अपनी जान कैसे बचाऊ.?
किरपा मेरी रक्षा करो.
नहीं दोस्त उनके हाथ मे तीखा भाला है जिससे वो लोग मुझे भी मार देंगे.
इसलिए कुछ ऐसा उपाए निकालना होगा जिससे हम दोनों की जान बच जाए.
कुछ देर सोचने के बाद लोमड़ी बोली
तुम ऐसा करो मेरी पीठ पर बैठ जाओ मैं तुम्हे जल्दी से तालाब तक पंहुचा देता हूं फिर तुम वहाँ मुझे अपनी पीठ पर बैठा कर तालाब के बीच लें जाना.
इस प्रकार शिकारी हमारा कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे.
कछुआ लोमड़ी की पीठ पर बैठ गया. तालाब के पास पहुंचते ही कछुआ लोमड़ी को अपनी पीठ पर बैठा कर तालाब के बीच लें गया.
तालाब नाय घना कोहरा होने की वजह से शिकारियों को कछुआ और लोमड़ी कहीं नजर नहीं आए.
इस तरह बुद्धि और दोस्ती की मदद से दोनों ने अपनी जान बचाई.
तो दोस्तों इस short moral story से हमें ये सीख मिलती है की.
मुसीबत के पल मे साथ मिल कर रहना ही समझदारी होती है.
इस short moral story se दूसरी सीख ये मिलती है की मुसीबत के पल एक दूजे का साथ देना चाहिए.
उम्मीद करता हूं आपको top 5 moral stories for kids की ये कहानियाँ पसंद आई होगी.
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केकड़ा और समुन्द्र की दोस्ती | top 5 moral stories for kids
एक केकड़ा और समुन्द्र की लहरे आपस मे बहुत अच्छी मित्र थीं.
केकड़ा रोज समुन्द्र के किनारे रेत पर खूब मस्ती किया करता.
केकड़ा रोज समुन्द्र के किनारे साफ रेत पर चलता हुआ आगे बढ़ता तो केकड़े के कदमो के निशान उस रेत मे छप जाते.
जिसे देख कर केकड़ा बहुत खुश होता.
अब केकड़ा जैसे जैसे कुछ दूर चकता रहता बार बार पीछे मुड़ कर रेत पर छपने वाले अपने कदमो की छाप को देख बहुत खुश होता.
लेकिन समुंदर रोज अपनी तेज लहरों से किनारे आता और रेत पर छपे केकड़े के कदमो के निशान मिटा देता.
समुन्द्र की इस हरकत से एक दिन केकड़े ने गुस्से मे बोला.. तुम बहुत खराब हो.
रोज रोज रेत पर बने कदमो के निशान को मिटा देते हो. जाओ मे तुमसे कभी बात नहज करूँगा. तुम मझसे जलते हो.
इस पर समुंदर की लहरों ने मुस्कराते हुए कहा.
अरे नहीं प्यारे मित्र ऐसा नहीं है. तुम गलत सोच रहे हो. मैं ऐसा तुम्हारी भलाई के लिए ही करता हूं. वी देखो मछुआरे आ रहे है.
यदि मे ऐसा ना करता तो मछुआरे तुम्हारे कदमो के निशान का पीछा करते हुए तुम्हे पकड़ कर लें जाते और पका कर खा जाते.
अपने दोस्त की यह बात सुन जर केकड़े को खुद की सोच पर बहुत दुःख हुआ.
तो दोस्तों इस short moral story से हमें ये सीख मिलती है की हमारा हित चाहने वाले हमारे शुभचिंतक होते है वो हमारा कभी बुरा नहीं कर सकते. जैसे हमारे माता पिता, भाई बहन और सच्चे दोस्त.
कभी कभी हमारे माता पिता हमें बहुत सि चीजे करने को मना करते है ऐसा वो हमारी भलाई के लिए ही करते है. उन्हें अच्छे और बुरे की पहचान कहीं ज़ादा होती है.
इसलिए हमें गुस्सा नहीं होना चाहिए. जिद्द नहीं करनी चाहिए.
उम्मीद करता हूं आपको top 5 moral stories for kids की ये कहानियाँ पसंद आई होगी.
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खेत का भूत | top 5 moral stories for kids
एक बार एक की एक गांव मे बहुत से किसान रहा करते थे. उस गांव मे एक बहुत बड़ी जगह ऐसे ही खाली पड़ी हुई थीं.
उस जगह के बारे मे बहुत से लोगो का यह कहना था की ये जगह शापित है. इस जगह पर बहुत प्रेत का डेरा है.
अब तक गांव के जिस इंसान ने भी उस जगह पर खेती करनी चाही तो वो इंसान या तो पागल हो गया या फिर मारा गया.
और यह बात कहीं ना कहीं सच्च भी थीं. और ये बात कहीं ना कहीं सच्च भी थीं
बस यही बातें शुरू से चलती आई जिस वजह से गांव के किसी भी इंसान की हिमनत नहीं हुई उस जगह पर खेत जोतने की.
और किसी ने भी सच्च का पता लगाने की कोशिश नहीं की आखिर माजरा क्या है… बस सुनी सुनाई बातो पर यकीन कर लिया.
जिस वजह से बहुत समय तक ऐसे ही वीरान रहने के कारण उस जगह पर जंगल हो गया.
एक दिन घूमते फिरते उस गांव मे एक शहरी आदमी आया.
तब उसकी नजर उस खाली वीरान पड़ी जगह पर गई.
वो शहरी आदमी सोचने लगा आखिर गाँव की इतनी सारी जगह ऐसे खाली क्यों पड़ी है.
तब उस शहरी बाबू ने गांव के लोगो से उस जगह के बारे जानकारी ली..
तब गांव के लोगो उसे उस जगह के बारे वहीं कहानी सुना दी जो वो अब तक सुनते आए थे.
गांव के लोगो की बात सुनने के बाद वो शहरी बाबू डरा नहु बल्कि सच्च का पता लगाने कु सोची..
और यह फैसला किया की यदि गांव के लोगो की बात झूठ निकली तो इस पूरी जमीन को मैं लें लूंगा और इस पर दाल की खेती करूंगा.
इतना सोच वो शहरी बाबू उस जगह की सच्चाई जानने के लिए रात को उस जगब पर गया.
और रात भर वो उस जगह पर घूमता रहा ज़ब तेज हवा चली तो उसे अजीब सि आवाज़े सुनाई देने लगी.
उसने पता किया की ये अजीब सि आवाज़ कहा से और किस वजह से आ रही है.
तब यह पता चला की यह आवाज़ बांस के पेड़ो से आरही है ज़ब वहाँ पर उगे बांस के पेड़ो से तीखी पत्तियों से तेज़ हवाए टकरा कर आती तो आवाज़ होती.
जैसे ही हवा बंद होती तो वो आवाज़ भी बंद.
तब शहरी बाबू समझ गया की लोग क्यों डरते थे. जबकि यहां कोई बहुत प्रेत नहीं.
अगले ही दिन से शहरी बाबू ने मजदूरों से खेत कु सफाई करवा के वहाँ पर खेती शुरू कर दी.
और पूरी जगह हथिया ली.गांव लोग बस हाथ मलते रह गए.
गांव का हर इंसान सोचते रह गया की काश सुनी सुनाई बातो पर विश्वास ना करके खुद से सच्च का पता लगाया होता.
इस short moral story से हमें ये सीख मिलती है की-
कही सुनी बातो पर विश्वास करके बिना सच्च जाने फैसला ना करो.
याद रहे कई बार आँखो से देखा हुआ भी सच्च नहीं होता.
जैसा की इस कहानी मे हुआ. यदि गांव के लोगो ने सच्च का पता लगाया होता तो यह ज़मीन उनकी होती. .
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6.डरपोक पत्थर |hindi moral stories for kids
एक बार की बात है एक मूर्तिकार भगवान की मूर्ति बनाने के लिए पत्थरो की तलाश मे जंगल गया.वहाँ से दो बड़े बड़े पत्थर घर लें कर आया.
मूर्तिकार ने एक पत्थर उठाया और उस पर अपनी छेनी और हथौड़े की मदद से धीरे धीरे वार करने लगा.
यानी पत्थर को मूर्ति का आकार देने के लिए उसको छेनी से तोड़ने लगा.
अब जैसे जैसे मूर्ति कार पत्थर पर वार करता तब तब पत्थर को खूब पीड़ा होती.
तभी पत्थर बोल उठा की रुको भाई बस करो. अब मत मारो मुझे… बहुत दर्द होता है.
मुझे नहीं बनना मूर्ति. मैं ऐसे ही ठीक हूं.
मूर्तिकार बोला अरे मूर्ति बनने के लिए थोड़ा दर्द तो सहना ही पड़ेगा.
मूर्तिकार ने बहुत समझाया लेकिन पत्थर नहीं माना.
मूर्तिकार ने बोला ठीक है जैसी तुम्हारी इच्छा.
फिर मूर्तिकार ने उस पत्थर को साइड मे रख दिया, और दूसरा पत्थर लिया और उस पर अपने छैनी हथौड़े से वार करता गया.
ये वाला पत्थर चुप चाप बिना आवाज़ किये दर्द सहता रहा.धीरे धीरे पत्थर एक खूबसूरत मूर्ति का आकार लेने लगी.
देखते ही देखते वो पत्थर छैनी और हथौड़े की मार सह कर एक खूबसूरत भगवान की मूर्ति मे बदल गया. मूर्तिकार ने वो मूर्ति अपने दुकान पर रख दी. एक पुजारी बड़े मंदिर के लिए भगवान की मूर्ति खरीदने आया .
पुजारी को वो मूर्ति बहुत पसंद आई और उसे खरीद ली. पुजारी बोला मुझे साथ मे एक मजबूत पत्थर भी दे दो जिस पर श्रद्धालु नारियल फोड़ सकें.
वरना मंदिर की फर्श खराब हो जाएगी.
तब मूर्तिकार ने पुजारी को वहीं पत्थर उठा कर दे दिया जो पत्थर ये बोल रहा था मुझ पर चोट मत मारो. और वो पत्थर मूर्ति नहीं बन पाया था.
अब पुजारी ने उस खूबसूरत मूर्ति को मंदिर मे वहाँ स्थापित कर दिया जहाँ लोग रोज उसकी पूजा करते. फूल चढ़ाते, और उस मूर्ति की खूबसूरती की तारीफे की जाती.
और जो पत्थर था वो वहीं मंदिर मे मूर्ति के ठीक सामने नीचे की तरफ रख दिया गया. लोग आते और उस पत्थर पर नारियल फोड़ते जिससे उसको बहुत दर्द होता. ऐसा रोज होता.
ये देख उस खूबसूरत मूर्ति ने उस पत्थर से कहा, – देखा ! यदि तुम उस समय दर्द को सहन कर लेती ज़ब मूर्तिकार तुम्हे एक मूर्ति मे बदल रहा था तब आज यहां मेरी जगह तुम होती और तुम्हारी पूजा हो रही होती.
उस पत्थर की अब खुद पर बहुत पछतावा हो रहा था.
इस Top 5 moral stories for kids in hindi से हमने क्या सीखा ?
तो दोस्तों इस short moral story से हमें ये सीख मिलती है
की जीवन मे कितनी भी मुश्किलें आए हमें उससे डरना और घबराना नहीं चाहिए बल्कि उन हिम्मत रख कर उन मुश्किलों का सामना करना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए. ठीक उस मूर्ति बनने वाले पत्थर की तरह.
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