एक समय ऐसा आया की वें काफ़ी बूढ़े हों चुके थे. लेकिन उन्होंने अपनी योग विद्या से क़ई तरह की दिव्य विद्याए भी अर्जित की हुई थी जिनमे से एक था भविष्य देख पाना.
इस वजह से वें बहुत चिंतित रहने लगे. खूब विचार करने के बाद भिक्षु ने सोचा की अष्टम के जीवन मे अब जितने भी दिन शेष बचे है वो अपने परिवार वालों के साथ बिताए,