एक किसान अपने गांव मे अपने दुखो से दुखी था. किसी ने उससे कहा की तुम अपने दुखो के समाधान के लिये बुद्ध की शरण मे जाओ.

जो की कुछ दिनों के लिये आए है, और यहां से कुछ दूर गांव मे ठहरे हुए है निश्चित ही वह तुम्हारे सभी दुखो का समाधान कर देंगे.

यह सुनकर वह किसान बड़ी अभिलाषा लिये बुद्ध की शरण मे चल पड़ा.

ह विचार लिये की  बुद्ध उसे उसकी परेशानियों से, मानसिक पीड़ा से, तनाव से, दुखो से  निकाल लेंगे,वह बुद्ध के पास पहुँचा.

उसने बुद्ध से कहा! की - हे बुद्ध,मै किसान हूं मुझे खेती करना अच्छा लगता है. लेकिन कभी भी वर्षा पर्याप्त नहीं होती और मेरी फ़सल बर्बाद हों जाती है

.पिछले साल मेरे पास ख़ाने को कुछ नहीं था और इस साल भी बहुत अधिक वर्षा के कारण फ़सल को बहुत नुकसान पहुंचा.

मेरे पास ख़ाने को पर्याप्त भोजन नहीं. किसान ने कहा मै विवाहित हूँ मेरी पत्नी मेरा ध्यान रखती है मै उससे प्रेम करता हूं

पर वो क़ई बार मुझे बहुत परेशान कर देती है घर मे बहुत कलेस हों जाता है.जिससे मै ये सोचने लगता हूँ की ये मेरे जीवन मे ना आई होती तो अच्छा होता.

मेरे दो बच्चे भी है, क़ई बार मेरे बच्चे भी मेरी अनादर और अवहेलना कर देते है, मेरी बातो का पालन नहीं करते.

किसान अपने दुखी जीवन की तमाम ऐसी बातें लगातार बुद्ध को बताए जा रहा होता है.बुद्ध ध्यानपूर्वक उस दुखी किसान की समस्याएं सुनते रहे.

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