आचार्य चाणक्य के अनुसार प्रेम से रिश्तों मे सबसे महत्वपूर्ण बात एक दूजे पर किया जाने वाला विश्वास होता है 

आचार्य चाणक्य कहते है ! विश्वास ही अच्छे और मजबूत  रिश्तों की सबसे बड़ी बुनियाद होती है अतः सबसे पहले रिश्तों मे विश्वास का होना बहुत जरूरी है 

एक दूजे के प्रति सच्चा  विश्वास  दोनों को ही मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियों मे हौसला प्रदान करता है 

चाणक्य के अनुसार रिश्तों के बीच कभी भी अभिमान की जगह नहीं होनी चाहिए क्योंकि अहंकार बड़े से बड़े रिश्तों के टूटने की वजह बन जाता है इसका सबसे बाद उदाहरण है रावण और विभीषण  

रिश्ते बिना किसी स्वार्थ के होने चाहिए | किसी भी रिश्ते मे दिखावा नहीं होना चाहिए 

कौटिल्य के अनुसार रिश्तों मे आजादी का होना बहुत जरूरी है यदि आप सामने वाले पर खूब सारे रोक टॉक प्रतिबंध लगते हो तो यह उसकी व्यक्तिगत आजादी को छीनने जैसा होगा  

चाणक्य जी कहते है , रिश्तों के बीच अनुशासन का होना और उस अनुशासन का ईमानदारी से पालन करना बहुत जरूरी है 

एक अनुशासन रिश्तों मे सम्मान और मर्यादा व संस्कारों को बनाए रखता है ,अनुशासन से हम किसी भी गलत कार्य को करने से पहले की बार सोचते है 

चाणक्य के अनुसार जिस रिश्ते मे एक दूजे का दिल से सम्मान न होता हो उस रिश्ते से दूर हो जाना ही बेहतर है 

इसे पट्टी या पत्नी जो हमेशा गुस्से मे रहते हो ,अपशब्द बोलते हो ,इसे मे उन लोगों का त्याग कर देना ही समझदारी है |

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