चाणक्य के अनुसार रिश्तों के बीच कभी भी अभिमान की जगह नहीं होनी चाहिए क्योंकि अहंकार बड़े से बड़े रिश्तों के टूटने की वजह बन जाता है इसका सबसे बाद उदाहरण है रावण और विभीषण
कौटिल्य के अनुसार रिश्तों मे आजादी का होना बहुत जरूरी है यदि आप सामने वाले पर खूब सारे रोक टॉक प्रतिबंध लगते हो तो यह उसकी व्यक्तिगत आजादी को छीनने जैसा होगा