दोस्तो यदि आप जीवन मे ,समाज मे परिवार ,और परिवार मे सम्मान चाहते है ,और आप ये चाहते है की लोग आपको सुने तो चाणक्य की ये बाते हमेशा याद रखना 

पहली स्थिति - जब तुम्हें लगे कोई तुम्हारे भावनाओं को,  तुम्हारे शब्दों से नहीं समझ सकता, उस समय तुम्हें चुप रहना चाहिए.

अक्सर  हम लोगों को अपनी दुख परेशानिया बताना शुरू कर देते हैं. जबकि हमारे आसपास रहने वाले ज्यादातर लोगों को इससे कोई मतलब नहीं कि हमारे जीवन में क्या गुजर रहा है

हर इंसान को केवल खुद से मतलब होता है.वह केवल खुद के बारे में बात करना चाहते है, वह केवल खुद की तारीफ सुनना चाहता है.

हो सकता है एक या दो बार वह तुम्हारी दुख भरी कहानी सुन भी ले…..लेकिन उसके बाद तुमसे दूर भागना शुरू कर देंगे

क्योंकि कोई भी किसी दुखी और असहाय इंसान के साथ रहना पसंद नहीं करता….

इसलिए कभी भी अपने कुछ करीबी मित्रों और परिवार वालों को छोड़ कर किसी ऐसे इंसान को अपनी परेशानी ना बताएं

जो तुम्हारे बातों को समझने के बजाय उनका मजाक बनाएं.या तुम्हारी मजबूरी का फायदा उठाए.

दुसरी स्थिति - जब तुम्हें यह ना पता हो,  की किसी विशेष मौके पर क्या बोलना है,

या किसी विशेष घटना के बारे में आधा अधूरा ही ज्ञान हो, तो ऐसे मौके पर तुम्हें चुप ही रहना चाहिए.

ऐसा इंसान जो आधा अधूरा ज्ञान होने के बाद भी,  उस विषय में बात करता है वह अक्सर ही मजाक का पात्र बनता है और कोई भी ऐसे इंसान को कभी गंभीरता से नहीं लेता.

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