अहंकार  उसी को होता है, जिसे बिना मेहनत के सब कुछ मिल जाता है, मेहनत से सुख  प्राप्त करने वाला व्यक्ति, दूसरों की मेहनत का भी सम्मान करता है।

जो  व्यक्ति इन्द्रियों को वश में नहीं रख सकता, उसके जीवन मे दुख तनाव और  परेशानियां अक्सर दस्तक देती ही रहेंगी । उसे शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक   किसी भी प्रकार का सुख प्राप्त नहीं हो सकता और ऐसा व्यक्ति,समय से पूर्व  ही वृद्ध अवस्था को प्राप्त होने लगता हैं.

मूर्ख और नीच व्यक्ति, किसी दूसरे को महत्त्व दिया जाना पसंद नहीं करते।

जो  व्यक्ति अपने कार्य को शीघ्र ही सफल होता देखना चाहता है, वह नक्षत्रों के  चक्कर में नहीं पड़ता। वह अपने आत्मविश्वास ,और कार्यसिद्धि के लिए किए  जानेवाले उपायों पर,विश्वास रखता है।

मनुष्य को अपने जीवन का एक सिद्धांत यह बनाना चाहिए, कि वह झूठ  और बुराई का, कभी समर्थन नहीं करेगा।

मनुष्य की कभी ना समाप्त होने वाली इच्छाएं ही एक दिन मनुष्य की मानसिक अशांति का सबसे बड़ा कारण बनती हैं.

भाग्य के विपरीत होने पर अच्छा कर्म भी दुःखदायी हो जाता है।

कर्म  का विधान हैं जो किया हैं उसका अंजाम भोगना ही पड़ेगा फिर चाहे आप उस वक़्त  कितना भी अच्छा कर्म क्यों ना कर रहे हों. कर्म फल और दंड  अटल हैं.

अपनी  गलती को स्वीकारना झाड़ू लगाने के सामान है, जो थोड़ा अजीब  लगता है,  लेकिन ये स्वयं के व्यक्तित्व को चमकदार और साफ़ कर देती है।”

“एक राजा की ताकत,उसकी शक्तिशाली भुजाओं, कूट नीती और शस्त्र विद्यायो में होती है।ब्राह्मण की ताकत उसके आध्यात्मिक ज्ञान में और एक औरत की ताक़त उसकी खूबसूरती, यौवन और मधुर वाणी में होती है।”

क्रोध  में बोला एक कठोर शब्द इतना जहरीला हो सकता है, जो सामने वाले के मन मे  आपकी हजार प्यारी बातों को, एक  मिनट में नष्ट कर सकता है।