आज हम आपको चाणक्य के अनुसार उन लोगो के बारे मे बताएंगे जो अक्सर अपने जीवन मे ऐसी गलतियां कर रहे होते है…

जिनसे उन्हें कभी भी बड़ी सफलता हाथ नहीं लगती और बार बार असफल भी हो रहे होते है.

आचार्य चाणक्य कहते हैं किसी भी इंसान को सफलता से असफलता तक लाने में उसकी आदतों का सबसे अहम रोल होता है.

अक्सर जब इंसान को सफलता मिलती है तो वो उसका पूरा श्रेय सिर्फ अपनी मेहनत और काबलियत को देता है,

जिससे आगे चलकर वह over कॉन्फिडेंस हो जाता है और यही से शुरुआत होती है अहंकार की…

जो धीरे धीरे करके उसके करियर को ख़त्म कर देता है….. इसलिए जीवन मे कृतिग्यता का भाव अवश्य रखे…

और अपने इलावा उन्हें भी क्रेडिट अवश्य दे जो आपकी सफलता मे सहायक रहे है.

इसके इलावा जब भी कोई व्यक्ति असफल होता है तो हमेशा उसका कारण किसी और को बताता है।

यहां तक कि कुछ लोग इसमें भगवान तक की गलती निकाल देते हैं। इसे कहते है दोसारोपण की आदत…

ऐसा लोग इसलिए करते हैं क्योंकि वे अपनी खूबियों से तो रूबरू होना पसंद करते हैं मगर अपनी कमियों से नहीं।

खुद को एक गलत फहमी मे रख कर,वे यह मानना ही नहीं चाहते की उनमे कोई कमी है या उनसे कोई गलती हुई.

अगर चाणक्य की मानें तो प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में होने वाले अच्छे बुरे काम के लिए हमेशा स्वयं ही जिम्मेवार होता है।

अगर व्यक्ति अपनी इन कमियों को परखकर सुधार लेता है तो असफलता! सफलता मे बदल जाती है।

आप अपनी लाइफ में क्या करना चाहते है किस लक्ष्य की प्राप्ति करना चाहते है इसके बारे में आप को साफ़ साफ़ पता होना चाहिए,,,

क्योंकि कई सारे लोगों को यही पता नहीं होता और वो एक तरह से अपने लाइफ में भटक से जाते है और असफलता का शिकार बन जाते है|

इसलिए अपने काबिलियत के अनुसार अच्छे से सोच समझकर अपने लक्ष्य को चुनो और उसी दिशा में लाइफ में आगे बढ़ो|