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अहंकार उसी को होता है, जिसे बिना मेहनत के सब कुछ मिल जाता है, मेहनत से सुख प्राप्त करने वाला व्यक्ति, दूसरों की मेहनत का भी सम्मान करता है।
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चाणक्य कहते हैं - जो व्यक्ति इन्द्रियों को वश में नहीं रख सकता, उसके जीवन मे दुख तनाव और परेशानियां अक्सर दस्तक देती ही रहेंगी ।
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उसे शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक किसी भी प्रकार का सुख प्राप्त नहीं हो सकता और ऐसा व्यक्ति,समय से पूर्व ही वृद्ध अवस्था को प्राप्त होने लगता हैं.
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चाणक्य कहते है मूर्ख और नीच व्यक्ति, किसी दूसरे को महत्त्व दिया जाना पसंद नहीं करते।
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चाणक्य कहते है , मनुष्य को अपने जीवन का एक सिद्धांत यह बनाना चाहिए, कि वह झूठ और बुराई का, कभी समर्थन नहीं करेगा।
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चाणक्य कहते है , मनुष्य की कभी ना समाप्त होने वाली इच्छाएं ही एक दिन मनुष्य की मानसिक अशांति का सबसे बड़ा कारण बनती हैं.
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चाणक्य कहते है , भाग्य के विपरीत होने पर अच्छा कर्म भी दुःखदायी हो जाता है।
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चाणक्य कहते है , अपनी गलती को स्वीकारना झाड़ू लगाने के सामान है, जो थोड़ा अजीब लगता है, लेकिन ये स्वयं के व्यक्तित्व को चमकदार और साफ़ कर देती है।"
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चाणक्य कहते है , क्रोध में बोला एक कठोर शब्द इतना जहरीला हो सकता है, जो सामने वाले के मन मे आपकी हजार प्यारी बातों को, एक मिनट में नष्ट कर सकता है।
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चाणक्य कहते है , आग सिर में स्थापित करने पर भी जलाती है। अर्थात दुष्ट व्यक्ति का कितना भी सम्मान कर लें, वह सदा दुःख ही देता है।"
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