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किसी ने फकीर से पूछा, की कुछ रिश्ते और रिश्तेदार इतना दुःख क्यों देते है.

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फकीर बोला - वो रिश्ते और रिश्तेदार मतलब और स्वार्थ से बनते है. और स्वार्थ के रिश्ते कोयले की तरह होते है,

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ज़ब गर्म होते है तो छूने वाले को जला देते है, और ज़ब ठन्डे होते है तो हाथ काले कर देते है.

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अपनी उम्मीद की टोकरी खाली कर लीजिये, परेशानिया नाराज़ हो कर खुद लौट जाएंगी.

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गुस्सा अकेला आता है, मगर हमसे हमारी अच्छाइयां लेजाता है. सब्र भी अकेला आता है मगर सारी अच्छाइयां देकर जाता है.

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गुज़र जाते है खूबसूरत लम्हें, यूँ ही, मुसाफिरों की तरह,  हाहा यादें खड़ी रह जाती है वहीं, रुके रास्तो की तरह.

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कल एक भूखे को भोजन खिलाया वो करोड़ो की दुआएं दे गया…. पता ही नहीं चला की गरीब मैं था या वो.

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