एक बार एक शेख ,सुन्दर सी पोशाक पहने ,मोतियों से जड़े जूते पहन कर,

मस्जिद मे नमाज अदा करने आया. उसने जूते उतारे हाथ मुँह धोए और लोगो के बीच नमाज अदा करने. बैठ गया

नमाज खत्म होते ही जब सब लोग मस्जिद से बाहर आने लगे,  तो एक आदमी की नजर उस शेख पर पड़ी...

वो आदमी उस शेख के जूते देखता रहा और अचानक बोला ,की आप यहाँ पहली बार आए है क्या, आपको पहले कभी इस मस्जिद मे देखा नहीं .

यह सुन वो शेख बोला जी नहीं हम मस्जिद बहुत कम ही आते है अधिकतर हम घर पर ही नमाज अदा कर लेते है. इतना बोल शेख वहां से चला जाता है.

शेख के जाते ही उस आदमी के मन मे शिकायतों का पहाड़ टूट पड़ता है और मुंह ऊपर कर के खुदा को कहता है -

वाह रे खुदा यह कैसा न्याय है मैं इतने सालों से रोज तेरे दर पर नमाज अदा करते आ आरहा हूं. मैं कल भी गरीब था आज भी गरीब हूं और यह शेख......

बस इससे पहले की वो कुछ आगे बोल पाता इतने मे एक बिना पैर का आदमी जमीन मे खुद को घसीटते हुए मस्जिद तक ला रहा था.

यह देख शेख के मन ने लानत भेजी आँखो मे आंसू आगए और अपने दोनों हाथ ऊपर करके खुदा का धन्यवाद करते हुए बोले 

या खुदा मुझे माफ करदे मैं तेरा शुक्रगुजार हूं की तूने मुझे पैर तो दिए.

इस तरह ईश्वर ने बिना बोले !उस आदमी को  बस हालात के दीदार करवा दिये, फिर सारी बाते  वो शेख खुद ही समझ गया |

तो दोस्तों जीवन मे जो भी है उसी मे संतुष्ट रहना सीखो और हमेशा यह सोच कर ईश्वर को अपना आभार व्यक्त करो की

जो आपके पास है वो बहुतो के पास नहीं है. जैसे हाथ, पैर, आँख,जुबान,  कान, स्वस्थ शरीर, हुनर. और बुद्धि.बाकी धन-सत्ता-और शोहरत  की लालच तो एक माया मात्र है. जो कुछ पल की खुशियाँ तो देता है लेकिन जीवन भर का सुख चैन छीन लेता है.

आपके द्वारा निःस्वार्थ भाव से किये गए हर अच्छे  कर्म आपके भाग्य को चमका देगी |फिर एक दिन आपके पास वो सब कुछ होगा जो आपने चाहा था |

दूसरों को देखकर  खुद की जिंदगी को कोसना बंद करो  , आप यह क्यों नहीं समझते की सबसे बड़ा धन अच्छे रिश्ते और स्वस्थ  शरीर  है

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