दोस्तों जैसे अकबर के समय मे , अकबर के दरबार मे  बीरबल जैसा एक बहुत बुद्धिमान इंसान हुआ करता था जिसकी बुद्धिमानी की कहानिया बहुत प्रचलित है ।

ठीक उसी प्रकार राजा कृष्णदेव राय के समय मे राजा कृष्णदेव राय  के दरबार मे एक बहुत ही बुद्धिमान मंत्री तेनाली राम जी हुआ करते थे.

चलिए आज उनके जीवन का एक और बुद्धिमानी भरा किस्सा जानते है.एक बार की बात है कि घोड़ों का एक व्यापारी महाराज कृष्णदेव राय के नगर मे पहुंचता है |

व्यापारी वहाँ से गुज़र रहे एक राहगीर से महाराज कृष्णदेव राय के महल का पता पूछता है | पता चलने पर  वह व्यापारी महल तक पहुँच जाता है |

व्यापारी अपने राजा को  अपने   ख़ास घोड़ो को बेचने की सोच से राजा के  सामने उनके राज दरबार मे प्रस्तुत हो जाता है |

व्यापारी राजा के सामने अपने घोड़ो की तारीफ बताते हुए कहता है की महाराज मैं कुछ  शाही घोड़ो को लेकर आया हूँ |ये बहुत ही ख़ास और उम्दा किस्म  के घोड़ो  है |

इन  के शरीर  मे गजब की ताकत और  फुर्ती देखते ही बनती है | इनके बेहद मुलायम और रेशमी चमकीले बाल इन्हे अन्य घोड़ो से अलग करते है |

इतना बोलने के बाद व्यापारी राजा के सामने अपने घोड़ो को बेचने वाला प्रस्ताव रख देता है |

महाराज को व्यापारी की बाते और उसका प्रस्ताव अच्छा लगा  | महाराज ने उसकी बातों पर विश्वास करके उसे 5000 सोने के सिक्के दे दिए|

यह सब घटना तेनाली राम बगल मे खड़े होकर  अपनी आखो से देख रहा था | तेनाली चुप चाप  कागज़ पर कुछ लिखने लगा |

महाराज क्रोध से बोले- ‘यह क्या है’? क्या तुम मुझे मुर्ख समझते हो…नीचे बटन दबा कर कहानी को पूरा पढे ??