एक समय की बात है, गौतम बुद्ध के हजारों शिष्य,उनके पास अध्ययन करने आते थे ,

गौतम बुद्ध से जब भी कोई चीज से ज्ञान प्राप्त कर लेता था, तो उसे किसी दिशा में लोगों को जागरूक करने  तथा शिक्षा देने के लिए भेज दिया करते थे.

बुद्ध का एक शिष्य,, बुद्ध के आश्रम में लगभग 6 सालों से था…वह शिष्य महात्मा बुध के पास आया, और बुद्ध से कहा,  मुझे यहां आए लगभग 6 साल हो गए,मेरे बाद कितने शिष्य यहां पर आए,

उनमें से सभी शिष्य को आपने, ज्ञान देने के लिए किसी ना किसी दिशा में भेज दिया, लेकिन मुझे  अभी तक नहीं भेजा,आखिर ऐसा क्यों? क्या मुझे आपका ज्ञान प्राप्त नहीं हुआ है?

बुद्ध मुस्कुराए और बोले,  यह तो तुम्हें खुद ही समझना पड़ेगा, कि मेरा ज्ञान तुम्हे प्राप्त हुआ है या नहीं.

शिष्य बोला,  हे बुद्ध, आपने इन 6 सालों में जो मुझे उपदेश दिया है, वह मुझे सब याद है,

आपकी बताई हुई एक एक बात मुझे सब याद है, आप कुछ भी मुझसे पूछ सकते हैं मैं हर उत्तर देने के लिए तैयार हूं,

आप मुझे एक मौका तो दे, ताकी मैं किसी भी दिशा में जाकर, लोगों को अपने ज्ञान के बारे में बता सकूं,

इस पर बुद्ध  ने बोला, कि ज्ञान की बात  को याद रखने से कोई फायदा नहीं, जब तक तुम उस आदत को खुद नहीं अपनाओ|

शिष्य ने  कहा,   जो भी हो,कृपया मुझे एक मौका जरूर दें, आप मुझपर भरोसा रखें,  मैं सभी को अपने ज्ञान से प्रभावित कर सकता हूं…

मैं लोगों को ऐसी बातें बता सकता हूं, जिससे लोगो के जीवन में शांति आ जाएगी, और वह अपना शांतिपूर्ण जीवन जी पाएंगे.

लाख ना मानने पर बुद्ध ने कहा-  ठीक है, तुम पूर्व  दिशा में चले जाओ वहाँ एक गाँव मिलेगा, वहाँ से भिक्षा मांग कर लाना और अपने ज्ञान से लोगो की मदद करना.

शिष्य यह बात सुनकर बहुत खुश हुआ और आशीर्वाद लेकर चला गया,शाम को जब वह वापस आया,  तो  बुद्ध ने देखा की शिष्य के माथे पर चोट लगी है और खून बह रहा है,

तो चलिये अब नीचे बटन पर क्लिक करके जानते है की उस बौद्ध भिक्षु के साथ आखिर ऐसा क्या हुआ था की उसे इतनी चोटे आई