राजा और एक महान बौद्ध भिक्षु की  कहानी

दक्षिण राज्य मे एक बहुत समृद्ध राजा हुआ करते थे जिनका मन कुछ समय से बहुत अशांत चल रहा था.

वह राजा अपने मन को शांत करने का बहुत प्रयास करता है लेकिन उसका मन शांत नहीं हो पाता

वह अपने राज्य के बड़े-बड़े विद्वानों को बुलाता है और पता लगाता है कि म मन को कैसे शांत किया जाए

बहुत हताश होने के बाद किसी से उसे किसी संन्यासी के बारे में पता चलता है कहां मिलेगा यह सन्यासी

व्यक्ति  पहाड़ी की ओर इशारा करते हुए बोलता है की वो महान सन्यासी आपको  यहां से  कुछ दूर उस जंगल के बीच पहाड़ों पर मिलेंगे, वह वहीं पर रहते है.

राजा अपने मंत्री और कुछ सैनिको के साथ जंगल से होता हुआ उस पहाड़ी पर पहुँचता है

पहाड़ी पर उसे वो सन्यासी मिलते है जो कुछ काम कर रहे होते है. ये सन्यासी कोई और नहीं बल्कि बौधि धर्मन ही होते है.

राजा  बौधि धर्मन के पास जाता है और कहता है की, सुना है आप बड़े ज्ञानी सन्यासी  हो, किसी ने मुझे आपके पास भेजा है की आप ही मेरी समस्या जा समाधान कर सकते  हो.

बौधि धर्मन राजा की बातो को अनसुना करते हुए अपना काम करते रहते है.

इसके बाद राजा तुरंत अपनी समस्या बताते हुए कहता है की मेरा मन बहुत अशांत है क्या आप मेरे मन को शांत कर सकते हो.

यह सुन बौधि धर्मा, राजा की ओर देखकर है और मुस्कराते है, फिर राजा से पूछते हैं तुम्हारा मन अशांत क्यों है?

आगे जानने के लिए कि सन्यासी क्या उपाय बताते हैं उसके लिए आप नीचे दिए हुए लिंक पर क्लिक कीजिए / हमारे ब्लॉग पर गूगल की सहायता से जा सकते हैं 

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