New hindi moral story how to calm the mind – आज की यह शिक्षाप्रद कहानी आपको सिखाएगी की जीवन मे खुद को, और अपने अशांत मन को कैसे शांत रखा जा सकता है.how to calm down when sad
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New hindi moral story how to calm the mind how to calm the mind
यह कहानी एक राजा और एक महान बौद्ध भिक्षु की है.
भारत के दक्षिण राज्य मे एक बहुत समृद्ध राजा हुआ करते थे जिनका मन कुछ समय से बहुत अशांत चल रहा था.
वह राजा अपने मन को शांत करने का बहुत प्रयास करता है लेकिन उसका मन शांत नहीं हो पाता,
वह अपने राज्य के बड़े-बड़े विद्वानों को बुलाता है और पता लगाता है कि म मन को कैसे शांत किया जाए.
बड़े-बड़े विद्वान आते हैं और उपाय बता कर चले जाते है लेकिन भी कोई उपाय काम नहीं करता.
एक दिन एक व्यक्ति राजा के पास आता है और कहता है –
हे राजन! मेरे पास आपके मन को शांत करने का सबसे उत्तम उपाय है, राजा उस व्यक्ति की बात सुनकर बहुत खुश हो जाते हैं और उस व्यक्ति से कहता है, कि गर तुमने ऐसा कर दिया तो मैं तुम्हें मनचाहा धन प्रदान करूंगा.
यह सुन व्यक्ति बोला – राजन! तुम्हारा मन मै तो शांत नहीं कर सकता, पर एक सन्यासी है जो आपका मन शांत कर सकता है.
वह कोई आम सन्यासी नही, बल्कि वह दुनिया का बहुत बड़ा विद्वान सन्यासी है.
वो आपका समाधान जरूर कर देगा, राजा उस व्यक्ति से कहते हैं कहां मिलेगा यह सन्यासी.
व्यक्ति ने कहा चलिए मेरे साथ मै आपको उस जगह के बारे बताता हूं जहाँ आपको वो सन्यासी मिल जाएगा.
कुछ दूर चलने के बाद वह राजा को एक पहाड़ी दिखता है जिसका रास्ता जंगलो के बीच से होकर गुज़रता है.
व्यक्ति पहाड़ी की ओर इशारा करते हुए बोलता है की वो महान सन्यासी आपको यहां से कुछ दूर उस जंगल के बीच पहाड़ों पर मिलेंगे, वह वहीं पर रहते है.
राजा अपने मंत्री और कुछ सैनिको के साथ जंगल से होता हुआ उस पहाड़ी पर पहुँचता है.
पहाड़ी पर उसे वो सन्यासी मिलते है जो कुछ काम कर रहे होते है. ये सन्यासी कोई और नहीं बल्कि बौधि धर्मन ही होते है.
राजा बौधि धर्मन के पास जाता है और कहता है की, सुना है आप बड़े ज्ञानी सन्यासी हो, किसी ने मुझे आपके पास भेजा है की आप ही मेरी समस्या जा समाधान कर सकते हो.
बौधि धर्मन राजा की बातो को अनसुना करते हुए अपना काम करते रहते है.
इसके बाद राजा तुरंत अपनी समस्या बताते हुए कहता है की मेरा मन बहुत अशांत है क्या आप मेरे मन को शांत कर सकते हो.
यह सुन बौधि धर्मा, राजा की ओर देखकर है और मुस्कराते है, फिर राजा से पूछते हैं तुम्हारा मन अशांत क्यों है?
राजा कहता है – वैसे तो मेरे पास किसी भी चीज की कोई कमी नहीं है धन मेरे पास इतना है जिसका मुझे खुद अंदाजा नहीं सभी सुख सुविधाएं हैं
भगवान ने मुझे दुनिया की सारी दौलत और संपत्ति दी है | लेकिन बस एक चीज की कमी है, मेरे अंदर मेरा मन अशांत रहता है.
यदि यह कभी-कभी शांत भी हो जाता है तो यह कुछ देर बाद फिर से अशांत हो जाता है,
क्या आप मेरे मन को शांत कर सकते हैं मैं बड़ी आशा लेकर आपके पास आया हूं.
बाकी तो मैंने सब उपाय कर लिए बस आप ही मेरी अंतिम आशा हो.
बौधि धर्मा उस राजा से कहते हैं-
बिल्कुल मैं तुम्हारे मन को शांत कर सकता हूं, यह सुन राजा बहुत खुश होता है.
राजा कहता है उसके लिए मुझे क्या करना होगा?
बौध धर्मा मुस्कुराते हैं और कहते हैं कल सुबह तुम मेरे पास आना और ध्यान रहे अकेले आना.
राजा कहते हैं ठीक है मैं कल सुबह आपके पास आ जाऊंगा.
बौध धर्मा कहते हैं, एक बात और ध्यान रहे की, अपने अशांत मन को अपने साथ लाना,
यह सुनकर राजा चौक जाता है….और सोचता है यह कैसी बात कह दी….
राजा कहता है, आपने क्या कहा कृपया एक बार और कहे, शायद मेरे सुनने मे त्रुटि हुई हो…
बौध धर्मा फिर से वहीं बात कहते हैं- तुम कल सुबह जल्दी आना और अपने अशांत मन को अपने साथ लेकर आना कहीं ऐसा ना हो कि तुम उसे अपने महल में छोड़ आओ.
राजा सोचता है कि,लगता है यह कोई पागल आदमी है
क्योंकि अब राजा के पास कोई विकल्प शेष नहीं था,इसलिए राजा सोचता है कि एक बार प्रयास कर ही लेते है, तो वो बोधि धर्मन से कहता है ठीक है मै अशांत मन को साथ लाऊंगा.
अगले ही दिन राजा सुबह-सुबह बौद्ध धर्मा के पास पहुंचता है और कहता है मैं आ गया.
बौद्ध धर्मा उस राजा से कहते हैं तुम तो आ गए लेकिन तुम्हारा अशांत मन कहां है लाओ उसे मुझे दे दो मैं उसे अभी शांत करके तुम्हें दे देता हूं, राजा कहता है आप यह कैसी बात कर रहे हैं.
आप इतने महान सन्यासी होकर यह भी नहीं जानते कि मन कोई ऐसी वस्तु नहीं जिसे मैं उठा कर आपको दे दूंगा, मन तो मेरे भीतर है.
बौद्ध धर्मा उस राजा से कहते हैं, तो ठीक है, आओ यहां बैठो और अपनी आंख बंद करके उस अशांत मन को अपने भीतर खोजो.
राजा अपनी आंख बंद करके अशांत मन को भीतर खोजने की कोशिश करता है.
बहुत देर आंख बंद करके बैठे रहने के बाद बौद्ध धर्मा राजा के कंधे पर हाथ रखते हैं और कहते हैं आंख खोलो राजन.
जैसे ही राजा बे आँख खोली तो बौद्ध धर्मा उस राजा से पूछते हैं क्या तुम्हें तुम्हारा अशांत मन मिला?
राजा कहता है – नहीं बौद्ध धर्मा.
बौद्धि धर्मा बोले – ठीक है, अब तुम कल प्रयास करना आज के लिए इतनी खोज पर्याप्त है.
राजा अपने महल चला जाता है अगली सुबह राजा बौद्ध धर्मा के पास आता है और वैसा ही करता है जैसे कल बताया था, राजा एक स्थान पर बैठ कर आँखे बंद करके अपने भीतर अपने अशांत मन को खोजने का प्रयास करता है.
बहुत देर तक राजा बैठा रहता है बौद्ध धर्मा फिर से राजा के कंधे पर हाथ रखते हैं और कहते हैं – क्या तुम्हे तुम्हारा अशांत मन मिला?
राजा बहुत शांत आवाज में बौद्ध धर्म से कहता है नही बौद्ध धर्म, इस बौद्ध धर्मा फिर से वहीं बात कहते है की कल फिर से आना और पुनः प्रयास करना.
अगले दिन राजा बौद्ध धर्मा के पास आया और वैसा ही करता है जैसे पूरे 2 दिन से कर रहा था,
राजा बैठता है और अपनी आंखें बंद करता है और अपने भीतर अशांत मन को खोजने का प्रयास करता है.
बहुत देर होने के बाद, हर बार की तरह इस बार भी बौद्ध धर्मा राजा के कंधो पर हाथ तो रखते है ओर इस बार राजा की आँखे नहीं खुलती.
राजा बस अपनी आंखों को बंद करके बैठा रहता है इस बार राजा पूरी तरह ध्यान मग्न हो जाता है.
काफी समय बीत जाता है.
वह बौद्ध धर्मा भी राजा के पास ही बैठे रहते हैं पूरा दिन बीत जाता है, पूरी रात बीत जाती है.
अब अगले ही दिन सुबह के समय राजा अपनी आँखे खोलता है.और जैसे ही राजा की आंखें खुलती है, राजा अपने सिर को बौद्ध धर्मा के चरणों में रख देता है और कहता है……
उसे मेरा अशांत मन तो कहीं नहीं मिला, पर वो परम् शांति जरूर मिल गई जिसकी तलाश में अब तक भटक रहा था.
तो दोस्तों उस राजा की तरह हम भी अपने मन की शांति को कहीं बाहर खोज रहे होते हैं लेकिन हमारे मन की शांति हमारे अंदर ही है उसे शांति मन से बैठकर आपको खोजना पड़ेगा.
फिलहाल आज की नैतिक कहानी यही पर खत्म होती है, New hindi moral story how to calm the mind आपको कैसी लगी ये कहानी कमेंट मे जरूर बताना.
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Very nice