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Moral story बुद्धिमान बेटा

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Moral story बुद्धिमान बेटा – दोस्तों आज की यह कहानी बहुत ही प्रेरक होने वाली है कहानी को अंत तक अवश्य पढे.  शिक्षाप्रद नैतिक कहानिया जीवन मे सकारात्मक बदलाव लाने व अपनी शिक्षाओ के माध्यम से मनुष्य की सोच मे बड़ा परिवर्तन लाकर उसका जीवन बदल देने मे बहुत बड़ा किरदार अदा करती है | इसलिए इसी मकसद  के साथ हम, अपने blog पर ऐसी अनेकों तरह की ज्ञान से भरी एचआर उम्र के लोगो के लिए हिन्दी कहानियाँ लाते रहते है |

 

Moral story – बुद्धिमान बेटा 

 

एक गाँव में एक व्यापारी रहता था, उसकी ख्याति दूर दूर तक फैली थी। एक बार वहाँ के राजा ने उसे चर्चा पर बुलाया। काफी देर चर्चा के बाद राजा ने कहा – “महाशय, आप बहुत बड़े सेठ है, इतना बड़ा कारोबार है पर आपका लड़का इतना मूर्ख क्यों है ? उसे भी कुछ सिखायें। 

 सोने चांदी में अधिक मूल्यवान क्या है उसे तो यह भी नहीं पता॥” यह कहकर राजा जोर से हंस पड़ा.. 

व्यापारी को बुरा लगा, वह घर गया व लड़के से पूछा “सोना व चांदी में अधिक मूल्यवान क्या है ?” 

लड़का पूरे विश्वास के साथ बोला – “सोना”, पिता जी |

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पिता जी बोले – “तुम्हारा उत्तर तो ठीक है, फिर राजा ने ऐसा क्यूं कहा-? सभी के बीच मेरी खिल्ली भी उड़ाई।” लड़के के समझ मे आ गया, वह बोला “राजा गाँव के पास एक खुला दरबार लगाते हैं, 

जिसमें सभी प्रतिष्ठित व्यक्ति  शामिल होते हैं। यह दरबार मेरे स्कूल जाने के मार्ग मे ही पड़ता है। उन्हे पीटीए है मै आपका बेटा हुन्न इसीलिए ,वो मुझे देखते ही बुलवा लेते हैं, अपने एक हाथ में सोने का व दूसरे में चांदी का सिक्का रखकर, कहते है, की जो अधिक मूल्यवान है वह ले लो.

और मैं चांदी का सिक्का ले लेता हूं। सभी ठहाका लगाकर हंसते हैं व मज़ा लेते हैं। ऐसा तक़रीबन हर दूसरे दिन होता है।” 

.पिता जी बोले – “फिर तुम सोने का सिक्का क्यों नहीं उठाते, चार लोगों के बीच अपनी फजिहत कराते हो व साथ मे मेरी भी❓”.

लड़का हंसा व हाथ पकड़कर पिता को अंदर ले गया और कपाट से एक पेटी निकालकर दिखाई जो चांदी के सिक्कों से भरी हुई थी। 

यह देख व्यापारी हतप्रभ रह गया। लड़का बोला “जिस दिन मैंने सोने का सिक्का उठा लिया उस दिन से यह खेल बंद हो जाएगा। 

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वो मुझे मूर्ख समझकर मज़ा लेते हैं तो लेने दें, यदि मैं बुद्धिमानी दिखाउंगा तो कुछ नहीं मिलेगा।”और किसी के समझने से हम मुर्ख थोड़ो हो जाएंगे असल मे हम क्या है वो हमें स्वयं पता होना चाहिए उतना ही काफ़ी है.

 

अक्लमंद व्यापारी का बेटा हुं अक़्ल से काम लेता हूँ | मूर्ख होना अलग बात है व समझा जाना अलग..

स्वर्णिम मॊके का फायदा उठाने से बेहतर है,हर मॊके को स्वर्ण में तब्दील करना। 

जैसे समुद्र सबके लिए समान होता है,कुछ लोग पानी के अंदर टहलकर आ जाते हैं,कुछ मछलियाँ ढूंढ पकड़ लाते हैं .. व कुछ मोती चुन कर आते हैं..!!

बेटे की इतनी ज्ञान भरी बाते सुन व्यापारी बेटे पर बहुत गर्व करता है.

 

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की बुद्धिमान होने से कुछ नहीं होता ज़ब तक की अपनी बुद्धिमानी से ऐसे अवसर को ना भाप लिया जाए जो फायदा पहुँचाए. अर्थात जल्दबाजी मे आकर बुद्धिमानी का प्रदर्शन करने पहले विचार करे की ऐसा करने से मुझे क्या लाभ हो सकता है.

 

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