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Vikram Betal Stories in Hindi 22

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Vikram Betal Stories in Hindi 22 (विक्रम बेताल स्टोरीस इन हिन्दी)  दोस्तों स्वागत है आपका ज्ञान से भरी  कहानियों की इस रोचक दुनिया मे। दोस्तों जीवन मे कहानियों का विशेस महत्तव होता है | क्योकि इन कहानियो के माध्यम से हमे बहुत कुछ सीखने को मिलता है | इन कहानियों के माध्यम से आपको ज़रूरी ज्ञान हासिल होंगे जो आपको आपकी लाइफ मे बहुत काम आएंगे | यहाँ पर बताई गई हर कहानी से आपको एक नई सीख मिलेगी जो आपके जीवन मे बहुत काम आएगी | हर कहानी मे कुछ न कुछ संदेश और सीख (moral )छुपी हुई है | तो ऐसी कहानियो को ज़रूर पढ़े और अपने दोस्तो और परिवारों मे भी ज़रूर शेयर करे |

 

50 रोचक कहानियाँ | Vikram Betal Stories in Hindi

 

Vikram Betal Stories in Hindi-विक्रम बेताल की रोचक कहानियां

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बेताल द्वारा राजा विक्रम (Vikram) को सुनाई गई पच्चीस कहानियों मे से एक कहानी आज  बताई जाएगी  जिसमे  पहली कहानी पिछले आर्टिकल मे बता दी गई है | बेताल द्वारा राजा विक्रम को सुनाई गई इन सभी कहानियों का उल्लेख बेताल पच्चीसी नामक  एक किताब मे मिलता है यह किताब बेताल भट्ट जी द्वारा आज से  लगभग 2500 वर्ष पहले  लिखी  गई थी जो की राजा विक्रमा दित्य के 9 रत्नो मे से एक थे |यहाँ पर इस किताब का नाम “बेताल पच्चीसी” इसलिए रखा गया है क्योंकि इस किताब मे बेताल द्वारा विक्रमादित्य को सुनाई गई 25 कहानियों के बारे मे बताया गया है यह किताब उन्ही 25 कहानियों पर आधारित है |

 

 

कहानी शुरू करने से पहले बेताल राजा को फिर से वही बात बोलता है की मैं कहानी के खत्म होते ही तुमसे (राजा विक्रम) कहानी से जुड़ा कोई प्रश्न पूछूंगा  यदि राजा विक्रम ने उसके प्रश्न का सही  उत्तर ना दिया तो वह राजा विक्रम को मार देगा। और अगर राजा विक्रम ने जवाब देने के लिए मुंह खोला तो वह रूठ कर फिर से  पेड़ पर जा कर उल्टा लटक जाएगा।

 

तो चलये शुरू करते  आज की कहानी  – 

 

#कहानी – 22 – बालक क्यों हँसा?

चित्रकूट नगर में एक राजा रहता था। एक दिन वह शिकार खेलने जंगल में गया। घूमते-घूमते वह रास्ता भूल गया और अकेला रह गया। थक कर वह एक पेड़ की छाया में लेटा कि उसे एक ऋषि-कन्या दिखाई दी। उसे देखकर राजा उस पर मोहित हो गया। थोड़ी देर में ऋषि स्वयं आ गये। ऋषि ने पूछा, “तुम यहाँ कैसे आये हो?” राजा ने कहा, “मैं शिकार खेलने आया हूँ। ऋषि बोले, “बेटा, तुम क्यों जीवों को मारकर पाप कमाते हो?”
राजा ने वादा किया कि मैं अब कभी शिकार नहीं खेलूँगा। खुश होकर ऋषि ने कहा, “तुम्हें जो माँगना हो, माँग लो।”

राजा ने ऋषि-कन्या माँगी और ऋषि ने खुश होकर दोनों का विवाह कर दिया। राजा जब उसे लेकर चला तो रास्ते में एक भयंकर राक्षस मिला। बोला, “मैं तुम्हारी रानी को खाऊँगा। अगर चाहते हो कि वह बच जाय तो सात दिन के भीतर एक ऐसे ब्राह्मण-पुत्र का बलिदान करो, जो अपनी इच्छा से अपने को दे और उसके माता-पिता उसे मारते समय उसके हाथ-पैर पकड़ें।” डर के मारे राजा ने उसकी बात मान ली। वह अपने नगर को लौटा और अपने दीवान को सब हाल कह सुनाया। दीवान ने कहा, “आप परेशान न हों, मैं उपाय करता हूँ।”
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इसके बाद दीवान ने सात बरस के बालक की सोने की मूर्ति बनवायी और उसे कीमती गहने पहनाकर नगर-नगर और गाँव-गाँव घुमवाया। यह कहलवा दिया कि जो कोई सात बरस का ब्राह्मण का बालक अपने को बलिदान के लिए देगा और बलिदान के समय उसके माँ-बाप उसके हाथ-पैर पकड़ेंगे, उसी को यह मूर्ति और सौ गाँव मिलेंगे।

यह ख़बर सुनकर एक ब्राह्मण-बालक राजी हो गया, उसने माँ-बाप से कहा, “आपको बहुत-से पुत्र मिल जायेंगे। मेरे शरीर से राजा की भलाई होगी और आपकी गरीबी मिट जायेगी।”

माँ-बाप ने मना किया, पर बालक ने हठ करके उन्हें राजी कर लिया।

माँ-बाप बालक को लेकर राजा के पास गये। राजा उन्हें लेकर राक्षस के पास गया। राक्षस के सामने माँ-बाप ने बालक के हाथ-पैर पकड़े और राजा उसे तलवार से मारने को हुआ। उसी समय बालक बड़े ज़ोर से हँस पड़ा।

इतना कहकर बेताल बोला, “हे राजन्, यह बताओ कि वह बालक क्यों हँसा?”

राजा ने फौरन उत्तर दिया, “इसलिए कि डर के समय हर आदमी रक्षा के लिए अपने माँ-बाप को पुकारता है। माता-पिता न हों तो पीड़ितों की मदद राजा करता है। राजा न कर सके तो आदमी देवता को याद करता है। पर यहाँ तो कोई भी बालक के साथ न था। माँ-बाप हाथ पकड़े हुए थे, राजा तलवार लिये खड़ा था और राक्षस भक्षक हो रहा था। ब्राह्मण का लड़का परोपकार के लिए अपना शरीर दे रहा था। इसी हर्ष से और अचरज से वह हँसा।”

 

इसके बाद ठीक शर्त के मुताबिक बेताल  राजा विक्रम के सही उत्तर देने के बाद  राजा विक्रम की पीठ से उड़ कर वापिस पेड़ की ओर चला जाता है और पेड़ पर उल्टा लटक जाता है |

 

राजा फिर से बेताल को चलने के लिए मनाता है और बेताल राजा पीठ पर फिर से बैठ जाता है इसके बाद फिर  से वही घटना – रास्ता लंबा होने की वजह से बेताल राजा को कहानी सुनता है | 

 

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