moral story अंधा कुआं – नमस्कार दोस्तो स्वागत है आपका आज एक और प्रेरक कहानी मे | हमारी आज की कहानी आज आपको जीवन की बहुत अनमोल सीख देगी तो इस moral story को आखिर तक पढ़े |
Table of Contents
moral story अंधा कुआं
एक बार राजा भोज के राज दरबार मे दूसरे नगर से एक सेठ आया जो की बहुत बड़ा व्यापारी था | राजा और सेठ मे व्यापार की सभी बाते खत्म होने के बाद सेठ ने राजा से कहा , महाराज हमारे मन मे बहुत समय से एक प्रश्न घूम रहा है जिसका आज तक कोई संतुष्टिपूर्ण जवाब नहीं दे पाया है | तो आपके दरबार मे कोई ऐसा है जो इस प्रश्न का जवाब दे सकता है ?
राजा ने कहा आप अपना प्रश्न करे |
राजा भोज के राज दरबार मे आए उस सेठ ने राजा के सामने एक प्रश्न रखते हुए कहा की यदि कोई मेरे इस प्रश्न का जवाब देता है तो हम 100 सोने की मोहरे देंगे |
सवाल यह था की – कि ऐसा कौन सा कुआं है जिसमें गिरने के बाद आदमी बाहर नहीं निकल पाता?
प्रश्न सुनते ही राजदरबर मे मौजूद हर कोई अपने अपने दिमाग पर ज़ोर देने लगा | घंटो बीतने के बाद भी कोई संतुष्टिपूर्ण इस प्रश्न का उत्तर कोई नहीं दे पाया।
आखिर में राजा भोज ने राज पंडित से कहा कि इस प्रश्न का उत्तर सात दिनों के अन्दर लेकर आओ वरना आपको अभी तक जो इनाम धन आदि दिया गया है वापस ले लिए जायेंगे तथा इस नगरी को छोड़कर दूसरी जगह जाना होगा।
छः दिन बीत चुके थे।
राज पंडित को जबाव नहीं मिला था निराश होकर वह जंगल की तरफ गया।
वहां उसकी भेंट एक गड़रिए से हुई।
गड़रिए ने पूछा -” आप तो राजपंडित हैं, राजा के दुलारे हो फिर चेहरे पर इतनी उदासी क्यों?
यह गड़रिया मेरा क्या मार्गदर्शन करेगा सोचकर पंडित ने कुछ नहीं कहा।
इसपर गडरिए ने पुनः उदासी का कारण पूछते हुए कहा –
“पंडित जी हम भी सत्संगी हैं,हो सकता है आपके प्रश्न का जवाब मेरे पास हो, अतः नि:संकोच कहिए।”
राज पंडित ने प्रश्न बता दिया और कहा कि अगर कल तक प्रश्न का जवाब नहीं मिला तो राजा नगर से निकाल देगा।
गड़रिया बोला – मेरे पास पारस है उससे खूब सोना बनाओ।
एक भोज क्या लाखों भोज तेरे पीछे घूमेंगे।
बस,पारस देने से पहले मेरी एक शर्त माननी होगी कि तुझे मेरा चेला बनना पड़ेगा।
राजपंडित के अन्दर पहले तो अहंकार जागा कि दो कौड़ी के गड़रिए का चेला बनूँ ?
लेकिन स्वार्थ पूर्ति हेतु चेला बनने के लिए तैयार हो गया।
गड़रिया बोला – पहले भेड़ का दूध पीओ फिर चेले बनो।
राजपंडित ने कहा कि यदि ब्राह्मण भेड़ का दूध पीयेगा तो उसकी बुद्धि मारी जायेगी। मैं दूध नहीं पीऊंगा।
तो जाओ, मैं पारस नहीं दूंगा – गड़रिया बोला।
राज पंडित बोला -” ठीक है,दूध पीने को तैयार हूँ,आगे क्या करना है ?”
गड़रिया बोला-” अब तो पहले मैं दूध को झूठा करूंगा फिर तुम्हें पीना पड़ेगा।”
राजपंडित ने कहा -” तू तो हद करता है! ब्राह्मण को झूठा पिलायेगा ?”तो जाओ,गड़रिया बोला।
राज पंडित बोला -” मैं तैयार हूँ झूठा दूध पीने को ।”
गड़रिया बोला- ” वह बात गयी।अब तो सामने जो मरे हुए इन्सान की खोपड़ी का कंकाल पड़ा है, उसमें मैं दूध दोहूंगा,उसको झूठा करूंगा फिर तुम्हें पिलाऊंगा।
तब मिलेगा पारस नहीं तो अपना रास्ता लीजिए।”
राजपंडित ने खूब विचार कर कहा – “है तो बड़ा कठिन लेकिन मैं तैयार हूँ ।
गड़रिया बोला-” मिल गया जवाब
यही तो कुआँं है ! लोभ का , तृष्णा का
जिसमें आदमी गिरता जाता है और फिर कभी नहीं निकलता।
जैसे कि तुम पारस को पाने के लिए इस लोभ रूपी कुएं में गिरते चले गए..!!
तो दोस्तो इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है की जीवन मे कभी भी लोभ ,मोह ,अहंकार मे नहीं फसना चाहिए ये म्नुशय मे पाए जाने वाले कुए की भांति वो निर्विकार है जो मनुष्य के जीवन परेशानिया खड़ी कर देता है | इन निर्विकारों के चलते मनुष्य अक्सर गलत कर्म करता ही रहता है जिसके चलते उन कर्मो का अंजाम एक ना एकदिन जरूर भोगना पड़ता है |
तो मित्रो moral story अंधा कुआं आपको कैसी लगी जरूर बताए | हमारे ब्लॉग पर आपको ऐसी और भी तमाम ज्ञान व शिक्षा से भरी अद्भुत रोचक कहानिया मिलेंगी |जिन्हे पढ़कर आपके जीवन मे बहुत अच्छा बदलाव आएगा |
बच्चो के लिए बेहद ज्ञान सी भारी कहानियां जरूर पढे ?
- hindi stories for kids
- Short stories for kids in hindi
- Moral stories for kids in hindi
- Hindi stories with moral
- Hindi short stories for class 1
- Moral stories in hindi for class 2
- Moral stories in hindi for class 4
- Moral stories in hindi for class 5
- Guru nanak dev biography in hindi