Hindi stories with moral शिक्षाप्रद नैतिक कहनियों का भंडार – नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका अद्भुत ज्ञान से भरी hindi stories with moral मे. हम आपके लिए सीख देने वाली दुनियां की सबसे बेहतरीन ऐसी शिक्षाप्रद नैतिक कहानियाँ लेकर आए है जिन्हे पढ़ने और समझने के बाद आपको जीवन की बहुत सी ऐसी जरुरी बातें सीखने को मिलेंगी जो जीवन भर कहीं ना कहीं काम आती रहेंगी..
इसलिए ध्यानपूर्वक इन तमाम ज्ञान से भरी इन तमाम कहानियो को पढ़ कर खूब ज्ञान हासिल करें और ऐसी कहानियाँ रोज पढ़ने के लिए हमारे blog पर बने रहे.
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संगठन की शक्ति – hindi stories with moral
एक वन में बहुत बडा़ अजगर रहता था। वह बहुत अभिमानी और अत्यंत क्रूर था। वह अजगर अक्सर छोटे बड़े कमजोर जीवों पर अत्याचार करता, उन्हें मार कर खा जाता, उनके घरो को तोड़ देता. सभी छोटे बड़े जीव जंतु, पक्षी इस अजगर से बहुत परेशान थे.
एक बार वह क्रूर अत्याचारी अजगर फिर से अपने बिल से बाहर निकला
वही से कुछ ही दूर अजगर से अजगर से अंजान
एक हिरणी अपने नवजात शिशु को पत्तियों के ढेर के नीचे छिपाकर स्वयं भोजन की तलाश में दूर निकल गई थी।
अजगर की फुफकार से सूखी पत्तियां उड़ने लगी और हिरणी का बच्चा नजर आने लगा। अजगर की नजर उस पर पड़ी हिरणी का बच्चा उस भयानक जीव को देखकर इतना डर गया कि उसके मुंह से चीख तक न निकल पाई।
अजगर ने देखते-ही-देखते नवजात हिरण के बच्चे को निगल लिया। तब तक हिरणी भी लौट आई थी, पर वह क्या करती ?
आंखों में आंसू भरके दूर से अपने बच्चे को काल का भोजन बनते देखती रही। हिरणी के शोक का ठिकाना न रहा। उसने किसी-न किसी तरह अजगर से बदला लेने की ठान ली। हिरणी की एक नेवले से दोस्ती थी।
शोक में डूबी हिरणी अपने मित्र नेवले के पास गई और रो-रोकर उसे अपनी दुखभरी कथा सुनाई। नेवले को भी बहुत दु:ख हुआ। वह दुख-भरे स्वर में बोला मित्र, मेरे बस में होता तो मैं उस नीच अजगर के सौ टुकडे़ कर डालता। पर क्या करें, वह छोटा-मोटा सांप नहीं है, जिसे मैं मार सकूं वह तो एक अजगर है।
अपनी पूंछ की फटकार से ही मुझे अधमरा कर देगा। लेकिन चिंता मत करो मै कोई तरीका अवश्य खोजता हूं जिससे उस अजगर को खत्म किया जा सके काम मुश्किल जरूर है लेकिन नामुमकिन नहीं.
यहां पास में ही चीटिंयों की एक बांबी हैं। वहां की रानी मेरी मित्र हैं। उससे सहायता मांगनी चाहिए।
हिरणी ने निराश स्वर में विलाप किया “पर जब तुम्हारे जितना बडा़ जीव उस अजगर का कुछ बिगाड़ने में समर्थ नहीं हैं तो वह छोटी-सी चींटी क्या कर लेगी?” नेवले ने कहा ‘ऐसा मत सोचो।
उसके पास चींटियों की बहुत बडी़ सेना हैं। संगठन में बडी़ शक्ति होती हैं।’ हिरणी को कुछ आशा की किरण नजर आई। नेवला हिरणी को लेकर चींटी रानी के पास गया और उसे सारी कहानी सुनाई।
चींटी रानी ने सोच-विचार कर कहा ‘हम तुम्हारी सहायता अवश्य करेंगे । हमारी बांबी के पास एक संकरीला नुकीले पत्थरों भरा रास्ता है। तुम किसी तरह उस अजगर को उस रास्ते पर आने के लिए मजबूर करो।
बाकी काम मेरी सेना पर छोड़ दो। नेवले को अपनी मित्र चींटी रानी पर पूरा विश्वास था इसलिए वह अपनी जान जोखिम में डालने पर तैयार हो गया। दूसरे दिन नेवला जाकर सांप के बिल के पास अपनी बोली बोलने लगा। अपने शत्रु की बोली सुनते ही अजगर क्रोध में भरकर अपने बिल से बाहर आया।
नेवला उसी संकरे रास्ते वाली दिशा में दौड़ाया। अजगर ने पीछा किया। अजगर रुकता तो नेवला मुड़कर फुफकारता और अजगर को गुस्सा दिलाकर फिर पीछा करने पर मजबूर करता। इसी प्रकार नेवले ने उसे संकरीले रास्ते से गुजरने पर मजबूर कर दिया।
नुकीले पत्थरों से उसका शरीर छिलने लगा। जब तक अजगर उस रास्ते से बाहर आया तब तक उसका काफ़ी शरीर छिल गया था और जगह-जगह से ख़ून टपक रहा था। उसी समय चींटियों की सेना ने उस पर हमला कर दिया। चींटियां उसके शरीर पर चढ़कर छिले स्थानों के नंगे मांस को काटने लगीं।
अजगर तड़प उठा। उसके शरीर से खुन टपकने लगा जिससे मांस और छिलने लगा और चींटियों को आक्रमण के लिए नए-नए स्थान मिलने लगे।
अजगर चींटियों का क्या बिगाड़ता? वे हजारों की गिनती में उस पर टूट पढ़ रही थीं। कुछ ही देर में क्रूर ने अजगर तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया।
शिक्षा – (moral)- hindi stories with moral
तो देखा दोस्तों संगठन की शक्ति. इस कहानी से हमें सीख मिलती है गर हम सब संगठित होकर रहेंगे तो हमें कोई भी नुकसान नहीं पहुंचा सकता.
संगठन शक्ति बड़े-बड़ों को धूल चटा देती है।
क्योंकि
संगठन में – कायदा नहीं, व्यवस्था होती है।
संगठन में – सुचना नहीं, समझ होती है।
संगठन में – क़ानून नहीं, अनुशासन होता है।
संगठन में – भय नहीं, भरोसा होता है।
संगठन में – शोषण नहीं, पोषण होता है।
संगठन में – आग्रह नहीं, आदर होता है।
संगठन में – संपर्क नहीं, सम्बन्ध होता है।
संगठन में – अर्पण नहीं, समर्पण होता है।
इस लिए स्वयं को संगठन से जोड़े रखें! संगठन सामूहिक हित के लिए होता है, व्यक्तिगत स्पर्धा और स्वार्थ के लिए नहीं।
उम्मीद करता हु दोस्तों आपको hindi stories with moral की यह कहानी बहुत पसंद आई होगी.
चलिए बढ़ते है अपनी अगली hindi stories with moral की तरह.
सन्यासी का कमंडल – hindi stories with moral
एक बार एक स्वामी जी भिक्षा माँगते हुए एक घर के सामने खड़े हुए और उन्होंने आवाज लगायी,
भिक्षा दे दे माते !!
भिक्षा लेकर घर से महिला बाहर आयी। महिला का मुख इस कदर चिंताओं से भरा था मानो शरीर यहां हो और ध्यान कहीं और .तोवेसे मे वो महिला,स्वामी की झोली मे भिक्षा डालते हुए कहते है की –
“स्वामी जी , कोई उपदेश दीजिए!”
स्वामीजी बोले, “आज नहीं, कल दूँगा। कल खीर बना के देना।”
दूसरे दिन स्वामीजी जी पुनः उसी के सामने पहुंचे और आवाज़ लगाई – भिक्षा दे दे माते!!
उस घर की स्त्री ने उस दिन खीर बनायीं, जिसमे बादाम-पिस्ते भी डाले थे।
वह खीर का कटोरा लेकर बाहर आयी।
स्वामी जी ने अपना कमंडल आगे कर दिया।
वह स्त्री जब खीर डालने लगी, तो उसने देखा कि कमंडल में गोबर और कूड़ा भरा पड़ा है।उसे कुछ समझ ना आया उसके हाथ ठिठक गए। मन ही मन सोचने लगी की ये क्या विडंबना है.
वह बोली, “महाराज ! यह कमंडल तो गन्दा है।”
स्वामीजी बोले, “हाँ, गन्दा तो है, किन्तु खीर इसमें डाल दो।”
स्त्री बड़े असमंजस भरे शब्दों मे बोली, “नहीं महाराज, तब तो खीर ख़राब हो जायेगी। दीजिये यह कमंडल, में इसे शुद्ध कर लाती हूँ।”
स्वामीजी बोले, मतलब जब यह कमंडल साफ़ हो जायेगा, तभी खीर डालोगी न ?”
स्त्री ने कहा : “जी महाराज !” बिलकुल
इस पर स्वामीजी बोले, “मेरा भी यही उपदेश है।
मन में जब तक चिन्ताओ का कूड़ा-कचरा और बुरे संस्करो का गोबर भरा है, तब तक उपदेशामृत का कोई लाभ न होगा।
तब तक नहीं होगा ज़ब तक
यदि उपदेशामृत पान करना है, तो प्रथम अपने मन को शुद्ध करना चाहिए,
कहानी से सीख – hindi stories with moral
इस कहानी से हमें सीख मिलती है की हम पर अच्छे उपदेशो का असर तब तक नहीं होगा ज़ब तक मन से बुरे गंदे विचारों को खत्म नहीं करेंगे.
उम्मीद करता हु ये hindi stories with moral आपको बहुत पसंद आई होंगी.
चलिए बढ़ते है अपनी अगली hindi stories with moral
राजा की मूर्तियां – Hindi stories with moral
एक राजा था जिसे शिल्प कला अत्यंत प्रिय थी। वह मूर्तियों की खोज में देस-परदेस जाया करते थे और वहाँ से अपनज पसंद कज बेशकीमती खूबसूरत मूर्तियां लाया करते थे।
इस प्रकार राजा ने कई मूर्तियाँ अपने राज महल में लाकर रखी हुई थी और स्वयं उनकी देख रेख करवाते।
एक दिन जब एक सेवक इन मूर्तियों की सफाई कर रहा था तब गलती से उसके हाथों से उनमें से एक मूर्ति टूट गई। जब राजा को यह बात पता चली तो उन्हें बहुत क्रोध आया और उन्होंने उस सेवक को तुरन्त मृत्युदण्ड दे दिया।
सजा सुनने के बाद सेवक ने तुरन्त अन्य दो मूर्तियों को भी तोड़ दिया। यह देख कर सभी को आश्चर्य हुआ।
राजा ने उस सेवक से इसका कारण पूछा,तब उस सेवक ने कहा – “महाराज !! क्षमा कीजियेगा, यह मूर्तियाँ मिट्टी की बनी हैं, अत्यंत नाजुक हैं। अमरता का वरदान लेकर तो आई नहीं हैं।
आज नहीं तो कल मेरे जैसे और भी कई लोगों से यह मूर्ति टूटती तो उन्हें भी मृत्युदंड का भागी बनना पड़ता।
मुझे तो मृत्यु दंड मिल ही चुका हैं इसलिए मैंने अन्य दो मूर्तियों को तोड़कर उन दो व्यक्तियों की जान बचा ली।
यह सुनकर राजा की आँखे खुली की खुली रह गई उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने सेवक को सजा से मुक्त कर दिया।
कहानी से सीख –
दोस्तों वस्तुओं से प्रेम करना अच्छी बात है लेकिन इतना प्रेम भी नहीं की इंसानी जान से अधिक वस्तुओं की क़ीमत समझो.
न्याय की कुर्सी पर बैठकर किसी को भी अपनी भावनाओं से दूर हट कर फैसला देना चाहिये।
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