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Motivation story of anandi joshi | anandi joshi biography in hindi

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Motivation story of anandi joshi – anandi joshi biography in hindi moral story :-

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Motivation story of anandi joshi – anandi joshi biography in hindi moral story

भारत सहित विदेशो मे ऐसी बहुत सी महिलाएं हैं और हो चुकी जिन्होंने अपनी हिम्मत, मेहनत और साहस के दम पर कुछ ऐसा कर दिखाया है कि पूरी दुनिया ने उसका लोहा माना है.

आज हम ऐसी ही एक महिला की बात करने जा रहे हैं, जिन्होंने पूरे देश का न सिर्फ महिला मान बढ़ाया है बल्कि महिला समाज को एक ऐसा तमगा भी दिया है, जिसे आने वाली पीढ़ियों को भूलना काफी मुश्किल होगा. जी हा हम बात कर रहे है “डॉ. आनंदी गोपाल जोशी” की,जिन्होंने समाज को सिखाया है कि अपने सपनों को उड़ान कैसे दी जाती है.

आनंदी(anandi joshi) एक ऐसे परिवार का हिस्सा थी, जहां पर महिलाओं के पास ज्यादा अधिकार नहीं थे. हर छोटी बात के लिए परिवार के पुरूष सदस्यों से अनुमति लेना आनंदी के घर की परंपराओं में से एक था.

किस्सा एक ऐसी विपन्न ब्राह्मण परिवार की लड़की का है, जिसकी शादी महज नौ वर्ष की उम्र में पच्चीस वर्ष के युवक से कर दी जाती है।

चौदह की उम्र तक पहुंचते ही वह लड़की मां बन जाती है। लेकिन यह खुशी दस दिन ही कायम रह पाती है।

ग्यारहवें दिन नवजात की मृत्यु हो जाती है। शिशु की इस मृत्यु का असर पूरे परिवार पर पड़ता है,परिवार शोक मय हो जाता है लेकिन लड़की तो जैसे काठ बन जाती है।

इन्हीं बेहद संतप्त क्षणों में वह एक ऐसा प्रण ले लेती है, जिसकी कोई मिसाल नहीं। वह अपने आपसे कहती है, ‘जो मेरे साथ हुआ, वह किसी अन्य लड़की के साथ नहीं होगा।

अब आगे वह खूब पढ़ाई करेगी और डॉक्टर बनेगी। शिशुओं की होनेवाली असमय मौत को रोकेगी।’ परंतु क्या यह सब इतना आसान था ?

लड़की का सौभाग्य यह कि उसे पति बेपनाह प्यार करनेवाला मिला और उसने पत्नी के प्रण को पूरा करने के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया।

कितने ही सामाजिक दबाव झेलने पड़े। कितनी ही आर्थिक उलझनें सामने आईं। परंतु पति के अपरिमित सहयोग और लड़की के दृढ़ संकल्प की वजह से वह अविश्वसनीय पल भी सामने आ गया,

जब उसे मेडिकल की पढ़ाई के लिए अमेरिका जाने का मौका मिल गया। बाद में यही लड़की महज इक्कीस साल की उम्र में पहली भारतीय महिला डॉक्टर बनने का इतिहास रच देती है और जीते जी एक मिथ में बदल जाती है। उस लड़की का नाम था आनंदी बाई जोशी और उसके पति थे गोपाल राव जोशी। 1865 में आनंदी बाई का जन्म महाराष्ट्र मे हुआ था । उन्नीस की उम्र में उन्होंने अमेरिका में मेडिकल की पढ़ाई शुरू की थी।

1886 में उनकी पढ़ाई पूरी हो गई और इसी साल के अंत में वह डॉ. आनंदीबाई जोशी(anandi joshi) बन कर भारत लौट आई थीं ।

देशभर के लिए यह एक बहुत बड़ी खबर थी । देश लौटते ही कोल्हापुर की रियासत ने उन्हें स्थानीय अल्बर्ट एडवर्ड अस्पताल की महिला वार्ड के चिकित्सक प्रभारी के रूप में नियुक्त कर दिया था।

लेकिन नियति को तो कुछ और ही मंजूर था । सालभर के भीतर ही आनंदी तपेदिक की शिकार हो गईं।

1887 में महज 22 साल की उम्र में उनका दुखद निधन हो गया। इस हृदय विदारक घटना पर पूरे देश ने शोक मनाया।

कई लेखकों ने इस अद्वितीय प्रतिभा पर कलम चलाई।

अमेरिकी लेखक कैरोलिन वेल्स ने 1888 में आनंदी की जीवनी लिखी।

बाद में श्री. ज. जोशी ने भी ‘आनंदी गोपाल’ नाम से मराठी में उपन्यास रचा,

जिसका हिंदी अनुवाद ‘संवाद प्रकाशन’ के लिए प्रतिभा दवे शास्त्री ने किया।

इस साल आनंदी के जीवन पर ‘आनंदी गोपाल’ नाम की मराठी फिल्म को सर्वश्रेष्ठ सामाजिक फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला है। यह अप्रतिम कहानी लगभग डेढ़ सौ साल पुरानी है, लेकिन इतनी प्रेरणास्पद है कि इसकी प्रासंगिकता युगों तक रहनेवाली है।

आनंदी बाई(anandi joshi) के जीवन सार से यह प्रेरणा मिलती है की जीवन कितनी भी दिक्क़तो से क्यों ना घिरा हो आप मे हर किसी मे एक नया इतिहास रच देने की क्षमता व योग्यता विद्दमान रहती है…जिसका उचित उपयोग कर जीवन मे बड़े से बड़े लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है…

इसलिए आप ज़ब भी यह महसूर करे की आपका सब ख़त्म हो गया या आप बहुत असहाय महसूस करे तो बस इस आनंदी बाई(anandi joshi) को याद करना…और लग जाना लग्न के साथ अपने सपनो को पूरा करने मे…ईश्वर आपका साथ अवश्य देंगे…

जीवन को प्रेरणा व मन को सकारात्मक ऊर्जा से भर देने वाली ऐसी और भी तमाम प्रेरणादायक कहानियाँ पढ़ने के लिए हमारे blog पर बने रहे.

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