Class 6 Moral story in hindi – नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका आज एक और ज्ञान से भरी शिक्षाप्रद नैतिक कहानी मे. आज आपको इस कहानी से सीख मिलेगी अगर हम मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियों में भी संयम बनाए रखें और हिम्मत ना हारे तो उसका परिणाम क्या मिलता है.
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Class 6 moral story in hindi | 2 मेंढको की कहानी
एक समय की बात है दो मेढक थे जिसमें एक पतला था और दूसरा मोटा था.
दोनों जंगल के एक छोटे से तलाब में साथ-साथ रहा करते थे.
वे दोनों बचपन से ही बड़े अच्छे मित्र थे और दोनों रोज खेलते उछलते रहते थे.खूब मस्ती किया करते.
उन दोनों को ही तालाब के आस पास के इलाकों में जाकर घूमना अच्छा लगता था.
एक दिन ऐसे ही साथ में घूमते घुमते दोनों जंगल के बाहर,एक खेत में पहुंच गए.
वहां उन्होंने देखा, कि एक ग्वाला अपने गाय से दूध निकाल रहा था उन्होंने पहले कभी भी ऐसे दूध निकालते हुए नहीं देखा था.
ग्वाले ने दूध निकाल कर एक बाल्टी में भर कर रख दिया.
वे दोनों मेढक बहुत आश्चर्य में थे, क्योंकि उन्होंने आज से पहले ऐसा कभी भी नहीं देखा था.
उन्होंने तो जंगल में केवल तालाब का गंदा पानी ही देखा था,
कुछ देर सोचने के बाद , उन दोनों ने निर्णय लिया कि इस सफेद पानी में तैरने का मजा ही कुछ और होगा,तो चलो इस सफ़ेद पानी मे भी तैर कर देखते है.
यह सोच कर उन दोनों ने एक साथ बाल्टी में छलांग लगा दी.
बाल्टी के अंदर पहुँचते ही दोनों बड़ा अच्छा महसूस करते है.
फिर दोनों ने मन भर कर बाल्टी मे दूध के अंदर खूब मस्ती की.
बड़ी देर तक उछल कूद करने के बाद ज़ब मन भर गया, तो मोटा वाला मेंढक बोला, चलो अब घर चले शाम हो गई है.
पतला मेंढक बोला हा तुम सही कह रहे हो हमें अब चलना चलना चाहिए.
अब वे दोनों मेंढक उस दूध वाली बाल्टी से बाहर निकलने के लिए जैसे ही छलांग लगाते है, तभी दूध की चिकनाई की वजह से वह फिर से फिसल कर बाल्टी के अंदर पहुंच जाते है.
उन्होंने फिर दोबारा से छलांग मार कर बाल्टी से बाहर निकलने का प्रयास किया.
पर इस बार भी वह दोनों मेंढक असफल रहे, इस तरह वो ज़ब भी बाल्टी से बाहर जाने की कोशिश करते, हर बार फिसल कर नीचे की तरफ आजाते.
इस पर मोटा मेंढक बोला, अरे मित्र यह क्या हो रहा है हम ज़ब भी छलांग मार कर बाल्टी के ऊपर चढ़ने का प्रयास कर रहे है चिकनाई की वजह से बार बार फिसल कर नीचे गिर जा रहे है.
इस तरह तो हम कभी बाहर निकल ही नहीं पाएंगे. और ज़ादा देर ऐसा ही रहा तो हम जीवित भी नहीं बचेंगे.
मित्र! जल्दी से कोई उपाय निकालो यहां से बाहर निकलने का.
पतला मेंढक बोला- हा तुम सही कह रहे हो , लेकिन सिर्फ प्रयास करने के इलावा तो हमारे पास और कोई उपाय भी नहीं है.
बाल्टी बहुत बड़ी होती है. तमाम प्रयास के बाद वे दोनों काफ़ी थक भी चुके होते है. कुछ देर आराम करने के बाद दोनों बाल्टी के किनारे से छलांग लगाकर बाहर निकलने की कोशिश करने लगते है.
वे काफ़ी ऊपर तक तो गए लेकिन अंततः फिसलन की वजह से अधिक समय तक टिक नहीं पाए और तुरंत फिसल कर नीचे की तरफ आगए.
तमाम कोशिश के बाद अब मोटा मेंढक हिम्मत हार कर बैठ जाता है वह बोलता है बस मित्र अब मुझसे ना हो पाएगा. अब हम यहां से बाहर नहीं निकल पाएंगे.
पतला मेंढक बोलता है, नहीं मित्र, ऐसा मत कहो, यूँ हिम्मत मत हारो, प्रयास करते रहो, जरूर हम इस बाल्टी से बाहर निकल जाएंगे.
अभी हम पूरी तरह थक चुके है तो चलो हम ऐसे ही धीरे धीरे तैरते रहते है, बाद मे कोई ना कोई तो आएगा ही जो हमें इस बाल्टी से बाहर निकाल ही देगा.
इस तरह दोनों मेंढक काफ़ी देर तक तैरते रहे. कुछ घंटे बीतने के बाद भी ज़ब कोई नहीं आया तो मोटा मेंढक पूरी तरह उम्मीद खो बैठता है,
दोनों मेंढक काफ़ी थक गए होते है.
मोटा मेंढक बोला भाई, मैं और तैर नहीं पाऊंगा कई घंटे से तैरते तैरते मैं थक चुका हूं.
इस पर पतला मेढक बोला – भाई देख, अगर तू तैरना बंद कर देगा तो डूब जाएगा और कुछ देर में सांस रुक जाएगी और तू मर जाएगा.
हम लोग को मरना नहीं है भाई – तुम तैरते रहो इसके, आलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं है सब्र और उम्मीद बनाए रखो. जरूर कोई हल निकल जाएगा.
मोटा मेंढक थोड़ा देर और तैरता है फिर कहता है भाई देख हम दोनों साथ रहे है.
आपस में बहुत मस्ती किए हैं, लेकिन- मुझे लगता है आज यह सब खत्म होने वाला है
क्योकि अब मैं हार चुका हूं आज यह हो सकता है कि मेरी जिंदगी का आखरी दिन हो.
अब मैं और मेहनत नहीं कर सकता मैं और तैर नहीं सकता आज शायद मैं डूब कर मर जाऊंगा. इस तरह मोटा मेंढक नकारात्मक विचारों से भर जाता है और पूरी तरह हिम्मत खो कर जीने की भी उम्मीद छोड़ देता है.
उस पतले मेंढक के आंखों के सामने ही उसका वह बचपन का दोस्त वही पर डूब कर मर जाता है, यह सब देखकर पतला मेडक बहुत दुखी होता है.
लेकिन यह सब देखने के बाद वह हिम्मत नहीं हारता बल्कि और भी प्रेरित होकर वह पतला वाला मेंढक बाल्टी से बाहर निकलने के लिए पूरे जोश के साथ तेजी से तैरने लगता है.
क्योंकि वह जानता है, की मैंने भी गर हार मान ली तो मैं भी अपने मित्र की तरह दूब कर यही मर जाऊंगा,
और अपने घर कभी नहीं जा पाऊंगा उसके आंखों से आंसू निकल रहे थे लेकिन वो और तेज तैरता रहा.
जैसा कि हम सब जानते हैं थोड़ी देर तक लगातार गर दूध को चलाए जाए, तो उसमें से मक्खन बाहर आने लगता है वो गढ़ा हो जाता है और जमने लगता है.
ठीक उसी तरह मेंढक के लगातार दूध मे पैर चलाए जाने की वजह से, उस दूध से मक्खन बाहर आने लगता है,
कुछ और घंटे बाद तो दूध जमने भी लगता है दही जैसा आकार लेने लगता है
दूध के जमने और मखन के बाहर आ जाने से मेंढक देखता है कि दूध काफ़ी गाढ़ा सा हो गया है अब वह पहले जैसा चिकनाई वाला भी नहीं रहा.
तो मेंढक उस मक्ख़न के ऊपर बैठकर पूरे जोरो से एक छलांग लगता है और उसी एक छलांग में बाल्टी से बाहर आ जाता है.
यह देख वह छोटा मेंढक बहुत खुश हुआ लेकिन वह दुख भी हुआ क्योंकि उसका बचपन का दोस्त उसी बाल्टी में उसी के सामने डूब कर मर गया.
क्योंकि उसने हार मान ली अगर वह थोड़ी देर पैर चलाते रहता और हार नहीं मानता, तो आज वह भी मेरे साथ होता.
उस दिन वह मेढक समझ जाता है, कि अगर पूरे मन विश्वास के साथ मेहनत किया जाए, तो इस दुनिया का कोई भी काम मुश्किल नहीं है और सब कुछ आसान है.
वह पतला मेंढक बाहर निकलने के बाद जंगल जाता है जंगल में जाने के कुछ दिनों के बाद वह मेंढक एक लेडी मेंढक के साथ शादी कर लेता है शादी के बाद उसके बच्चे होते हैं वह अपने बच्चों का नाम अपने उस मोटे मेंढक दोस्त के नाम पर रख लेता है और रोज अपने बच्चों को यही कहानी सुनाता है और उन्हें प्रेरित करता है.
Class 6 moral story in hindi से सीख = moral
दोस्तों इस कहानी से हम सीख सकते हैं कि अगर आप किसी भी चीज को दिल से चाहो तो पूरी कायनात उस चीज से मिलाने की कोशिश करती है
इसलिए आप लगातार मेहनत करते रहे और अपने सपने को जिंदा रखें आप जरूर एक दिन अपने मंजिल तक पहुंच जाएंगे.
तो दोस्तों आज की ये class 6 moral story in hindi आपको कैसी लगी?
हम अपने ब्लॉग पर बच्चो के मानसिक विकास के लिए ऐसी ही ज्ञान से भरी शिक्षाप्रद नैतिक कहानी लाते ही रहते है. हमारे ब्लॉग से जुड़े रहे.
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Best story sir thank you, I am studying in class 6th really good thank you so much