Hindi moral story – जीवन की अनमोल सीख:-
एक बौद्ध भिक्षुक भोजन बनाने के लिए जंगल से लकड़ियां चुन रहा था कि तभी उसने बिना पैरों की लोमड़ी को देखते हुए मन ही मन सोचा, आखिर इस
हालत में ये जिंदा कैसे है, और ऊपर से ये बिल्कुल स्वस्थ है !

Hindi moral story – जीवन की अनमोल सीख
इस तरह के विचार करता हुआ वह अपने खयालों में खोया हुआ था कि अचानक चारों तरफ अपरातफरी मचने लगी, जंगल का राजा शेर उस तरफ आ रहा था.
खतरे को भाप, भिक्षुक भी तेजी दिखाते हुए एक ऊंचे पेड़ पर चढ़ गया और वहीं से सब कुछ देखने लगा.
शेर ने एक हिरन का शिकार किया था और उसे अपने जबड़े में दबाकर लोमड़ी की तरफ बढ़ रहा था. पर उसने लोमड़ी पर हमला नहीं किया, बल्कि उसे भी खाने के लिए मांस के कुछ टुकड़े डाल दिए. ये तो घोर आश्चर्य है, शेर लोमड़ी को मारने की बजाय उसे भोजन दे रहा है.
भिक्षुक बुदबुदाया, उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था, इसलिए वह अगले दिन फिर वहीं आया और छिपकर शेर का इंतजार करने लगा. आज भी वैसा ही हुआ, शेर ने | अपने शिकार का कुछ हिस्सा लोमड़ी के सामने डाल दिया.
एक बार फिर से ऐसा दृश्य देख बिक्षुक मन ही मन बोला, कदाचित यह भगवान के होने का प्रमाण है!जो वास्तव मे ऐसा घटित हो रहा..
वह जिसे पैदा | करता है, उसकी रोटी का भी इंतजाम कर देता है. आज से इस लोमड़ी की तरह मैं भी ऊपर वाले की दया पर जिऊंगा, इश्वर मेरे भी भोजन की व्यवस्था करेगा.
ऐसा सोचते हुए वह एक वीरान जगह पर जाकर एक पेड़ के नीचे बैठ गया. पहला दिन बीता पर कोई वहां नहीं आया. दूसरे दिन भी कुछ लोग उधर से गुजर गए पर भिक्षुक की तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया.
इधर बिना कुछ खाए-पिए भिक्षुक हर क्षण कमजोर होता जा रहा था.. इसी तरह कुछ और दिन बीत गए, अब तो उसकी रही-सही ताकत भी खत्म हो गई.
वह चलने-फिरने के लायक भी नहीं रहा. उसकी हालत बिलकुल मृत व्यक्ति की तरह हो चुकी थी कि तभी एक महात्मा उधर से गुजरे और भिक्षुक के पास पहुंचे.
उसने सारी कहानी महात्माजी को सुनाई और बोला, अब आप ही बताइए कि भगवान इतने निर्दयी कैसे हो सकते हैं, क्या किसी व्यक्ति को इस हालत में पहुंचाना पाप नहीं है ?
बिल्कुल है, महात्माजी ने कहा, लेकिन तुम इतने मूर्ख कैसे हो सकते हो ? तुम ये क्यों नहीं समझे कि भगवान तुम्हें उस शेर की तरह बनते देखना चाहते थे, लोमड़ी की तरह नहीं! हमारे जीवन में भी ऐसा कई बार होता है कि हमें चीजें जिस तरह समझनी चाहिए, | उसके विपरीत समझ लेते हैं.जिसका परिणाम बहुत खतरनाक होता है..
ईश्वर ने हम सभी के अंदर कुछ न कुछ ऐसी शक्तियां दी हैं जो हमें महान बना सकती हैं, जरूरत है कि हम उन्हें पहचानें.
इस कहानी में भिक्षुक का सौभाग्य था कि उसे उसकी गलती का अहसास कराने के लिए महात्माजी मिल गए पर खुद भी चौकन्ना रहना चाहिए कि कहीं हम शेर की जगह लोमड़ी तो नहीं बन रहे हैं?
दयावान विचारों व व्यवहार वाले मनुष्य व जीवों की स्वयं ईश्वर रखा और पालना करता है वह उसके जीवन सुगम व सूखदाई बना देते है.
तो दोस्तों उम्मीद है की आपको इस नैतिक व शिक्षा प्रद moral story से काफ़ी जरुरी बाते सीखने को मिली होंगी….
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