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Vikram Betal pachisi part 12 | Vikram Betal Stories in Hindi

Vikram Betal pachisi part 12 | Vikram Betal Stories in Hindi

Vikram Betal pachisi part 12 Stories in Hindi (विक्रम बेताल स्टोरीस इन हिन्दी)  दोस्तों स्वागत है आपका ज्ञान से भरी  कहानियों की इस रोचक दुनिया मे। दोस्तों जीवन मे कहानियों का विशेस महत्तव होता है |

 

क्योकि इन कहानियो के माध्यम से हमे बहुत कुछ सीखने को मिलता है | इन कहानियों के माध्यम से आपको ज़रूरी ज्ञान हासिल होंगे जो आपको आपकी लाइफ मे बहुत काम आएंगे |

 

यहाँ पर बताई गई हर कहानी से आपको एक नई सीख मिलेगी जो आपके जीवन मे बहुत काम आएगी | हर कहानी मे कुछ न कुछ संदेश और सीख (moral )छुपी हुई है |

 

तो ऐसी कहानियो को ज़रूर पढ़े और अपने दोस्तो और परिवारों मे भी ज़रूर शेयर करे |

 

50 रोचक कहानियाँ | Vikram Betal Stories in Hindi

 

Table of Contents

Vikram Betal pachisi part 12

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Betal pachisi part 12

 

बेताल द्वारा राजा विक्रम (Vikram) को सुनाई गई पच्चीस कहानियों मे से एक कहानी आज  बताई जाएगी  जिसमे  पहली कहानी पिछले आर्टिकल मे बता दी गई है |

 

बेताल द्वारा राजा विक्रम को सुनाई गई इन सभी कहानियों का उल्लेख “बेताल पच्चीसी” नामक  एक किताब मे मिलता है यह किताब बेताल भट्ट जी द्वारा आज से  लगभग 2500 वर्ष पहले  लिखी  गई थी जो की राजा विक्रमा दित्य के 9 रत्नो मे से एक थे |

 

यहाँ पर इस किताब का नाम “बेताल पच्चीसी” इसलिए रखा गया है क्योंकि इस किताब मे बेताल द्वारा विक्रमादित्य को सुनाई गई 25 कहानियों के बारे मे बताया गया है यह किताब उन्ही 25 कहानियों पर आधारित है |

 

 

कहानी शुरू करने से पहले बेताल राजा को फिर से वही बात बोलता है की मैं कहानी के खत्म होते ही तुमसे (राजा विक्रम) कहानी से जुड़ा कोई प्रश्न पूछूंगा  यदि राजा विक्रम ने उसके प्रश्न का सही  उत्तर ना दिया तो वह राजा विक्रम को मार देगा। और अगर राजा विक्रम ने जवाब देने के लिए मुंह खोला तो वह रूठ कर फिर से  पेड़ पर जा कर उल्टा लटक जाएगा।

 

तो चलये शुरू करते  आज की कहानी  – 

 

Betal pachisi part 12 -सबसे अधिक त्यागी कौन?

मदनपुर नगर में वीरवर नाम का राजा राज करता था। उसके राज्य में एक वैश्य था, जिसका नाम हिरण्यदत्त था। उसके मदनसेना नाम की एक कन्या थी।

एक दिन मदनसेना अपनी सखियों के साथ बाग़ में गयी। वहाँ संयोग से सोमदत्त नामक सेठ का लड़का धर्मदत्त अपने मित्र के साथ आया हुआ था। वह मदनसेना को देखते ही उससे प्रेम करने लगा। घर लौटकर वह सारी रात उसके लिए बैचेन रहा। अगले दिन वह फिर बाग़ में गया। मदनसेना वहाँ अकेली बैठी थी। उसके पास जाकर उसने कहा, “तुम मुझसे प्यार नहीं करोगी तो मैं प्राण दे दूँगा।”

मदनसेना ने जवाब दिया, “आज से पाँचवे दिन मेरी शादी होनेवाली है। मैं तुम्हारी नहीं हो सकती।”

वह बोला, “मैं तुम्हारे बिना जीवित नहीं रह सकता।”

मदनसेना डर गयी। बोली, “अच्छी बात है। मेरा ब्याह हो जाने दो। मैं अपने पति के पास जाने से पहले तुमसे ज़रूर मिलूँगी।”

 

वचन देके मदनसेना डर गयी। उसका विवाह हो गया और वह जब अपने पति के पास गयी तो उदास होकर बोली, “आप मुझ पर विश्वास करें और मुझे अभय दान दें तो एक बात कहूँ।” पति ने विश्वास दिलाया तो उसने सारी बात कह सुनायी। सुनकर पति ने सोचा कि यह बिना जाये मानेगी तो है नहीं, रोकना बेकार है। उसने जाने की आज्ञा दे दी।

मदनसेना अच्छे-अच्छे कपड़े और गहने पहन कर चली। रास्ते में उसे एक चोर मिला। उसने उसका आँचल पकड़ लिया। मदनसेना ने कहा, “तुम मुझे छोड़ दो। मेरे गहने लेना चाहते हो तो लो।”

चोर बोला, “मैं तो तुम्हें चाहता हूँ।”

मदनसेना ने उसे सारा हाल कहा, “पहले मैं वहां हो आऊँ, तब तुम्हारे पास आऊँगी।”

चोर ने उसे छोड़ दिया।

मदनसेना धर्मदत्त के पास पहुँची। उसे देखकर वह बड़ा खुश हुआ और उसने पूछा, “तुम अपने पति से बचकर कैसे आयी हो?”

मदनसेना ने सारी बात सच-सच कह दी। धर्मदत्त पर उसका बड़ा गहरा असर पड़ा। उसने उसे छोड़ दिया। फिर वह चोर के पास आयी। चोर सब कुछ जानकर ब़ड़ा प्रभावित हुआ और वह उसे घर पर छोड़ गया। इस प्रकार मदनसेना सबसे बचकर पति के पास आ गयी। पति ने सारा हाल कह सुना तो बहुत प्रसन्न हुआ और उसके साथ आनन्द से रहने लगा।

इतना कहकर बेताल बोला, “हे राजा! बताओ, पति, धर्मदत्त और चोर, इनमें से कौन अधिक त्यागी है?”

राजा ने कहा, “चोर। मदनसेना का पति तो उसे दूसरे आदमी पर रुझान होने से त्याग देता है। धर्मदत्त उसे इसलिए छोड़ता है कि उसका मन बदल गया था, फिर उसे यह डर भी रहा होगा कि कहीं उसका पति उसे राजा से कहकर दण्ड न दिलवा दे। लेकिन चोर का किसी को पता न था, फिर भी उसने उसे छोड़ दिया। इसलिए वह उन दोनों से अधिक त्यागी था।”

 

 

इसके बाद ठीक शर्त के मुताबिक बेताल  राजा विक्रम के सही उत्तर देने के बाद  राजा विक्रम की पीठ से उड़ कर वापिस पेड़ की ओर चला जाता है और पेड़ पर उल्टा लटक जाता है |

 

राजा फिर से बेताल को चलने के लिए मनाता है और बेताल राजा पीठ पर फिर से बैठ जाता है इसके बाद फिर  से वही घटना – रास्ता लंबा होने की वजह से बेताल राजा को कहानी सुनता है | 

 

Betal pachisi की अगली कहानी (कहानी-13)  पढ़ने के लिए इस पर click करे.

Vikram Betal pachisi part 13 Stories

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