Religious story hindi |धार्मिक कथा -हनुमान VS बाली- दोस्तों स्वागत है आपका धार्मिक कहानियों की इस रोचक दुनियां मे | यहाँ पर आपको motivational stories के साथ moral stories से मिलने वाले ज्ञान से रुबारू करवाया जाता है |
religious stories in hindi मे हम आपको धार्मिक ज्ञान से जुड़े ऐसे तथ्यों से रूबरू करवाते है जिसके बारे मे बहुत कम लोग ही परिचित होते है |
आज कल इंटरनेट का जमाना है जिस वजह से किताबों का चलन अब इतना नहीं रहा तो इस बात को ध्यान मे रखते हुए हम उन्ही धार्मिक किताबों से उस ज्ञान को उठा कर आप तक लेकर आए है |
दोस्तो ऐसी ही हजारो शिक्षा प्रद , लोकप्रिय और रोचक कहानियों का सफर हम आप तक लेकर आए है जिन्हे लोगों ने बचपन मे अपने दादा दादी – या नाना- नानी से सुनी होती है या फिर टीवी मे देखी होती है |
लेकिन यहाँ पर आपको ऐसी बहुत सी शिक्षा प्रद , लोकप्रिय और रोचक कहानियाँ मिलेंगी जिसे शायद ही आपने कही सुनी होंगी | तो पढ़ते रहिए ऐसी कहानियाँ और सीखते रहिए एक नई सीख ,साथ मे ऐसी शिक्षा प्रद कहानियाँ अपने दोस्तो को भी शेयर करते रहिए |
चलिए शुरू करते है आज की धार्मिक शिक्षा प्रद पौराणिक कथा Religious story hindi | हनुमान VS बाली
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आज की कहानी है Religious story hindi |धार्मिक कथा -हनुमान VS बाली
दोस्तों रामायण तो आप सब ने tv पर तो देखो होगी जिसमे बाली के बारे मे भी बताया गया हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी कथा बताने जा रहे जो ना तो कभी tv पर दिखाई गई हैं और ना ही अपने कभी सुनी होगी. यह कथा रामायण की किताब के अद्ध्याय किष्किंधा कांड मे मौजूद हैं जिसके बारे बहुत कम लोग ही परिचित हैं.
रामायण की पुस्तक किष्किंधा काण्ड मे अध्याय 5 से लेकर 26वें अध्याय तक बाली का वर्णन किया गया हैं. लेकिन tv सीरियल वाले रामायण मे सिर्फ बाली वध के बारे ही दिखाया गया हैं.
“बाली” सुग्रीव का बड़ा भाई था. बाली, किष्किंधा का राजा था.बाली ने अथाह बल की चाह मे ब्रम्हा जी की एक बार घोर तपस्या की.
Religious story hindi |धार्मिक कथा -हनुमान VS बाली
बाली की इस घोर तपस्या से ब्रम्हा जी प्रसन्न हो कर बाली के सामने प्रकट होते हैं. बाली वरदान मांगते हुए ब्रम्हा जी से कहता हैं की – हे ब्रम्हा जी मुझे ऐसा वरदान दीजिये जिससे अगर मैं किसी से भी मल युद्ध करू तो उसका आधा बल मुझमे समा जाए.
ब्रम्हा जी बाली को यह वरदान देकर वहां से विलुप्त हो जाते हैं. इस बाली ब्रम्हा जी से यह वरदान लेकर अजय हो गया.
वरदान मिलते ही बाली को अपने अंदर एक अद्भुत ऊर्जा की अनुभूति होने लगी.
ब्रम्हा जी से मिले इस वरदान की बदौलत बाली धरती पर बड़े से बड़े योद्धा को मल युद्ध के लिए ललकारने लगा. हर कोई बाली से युद्ध हारता रहा.
यहाँ तक की बाली रावण जैसे बलशाली योद्धा को भी मल युद्ध के लिए ललकार बैठता हैं.
इस युद्ध मे रावण हार जाता हैं. अब बाली को खुद की ताक़त पर इतना घमंड हो जाता हैं की जंगल मे घुस कर पेड़ो को उखाड़ फैकता. हैं पर्वतो को हिलाने लगता हैं.
बाली पेड़ो को तहस नहस करता हुआ कुसकिन्धा के जंगलो मे प्रवेश कर जाता हैं. .
इसी जंगल मे कुछ ही दूर हनुमान जी अपने आराध्य देव श्री राम जी की भक्ति मे लीन राम नाम का गुणगान कर रहे थे.
इधर बाली ने पूरे जंगल मे कोतुहल मचा रखा था. जिससे हनुमान जी की भक्ति मे बाधा आरही थी.
हनुमान जी तुरंत अपनी आँखे खोल देते हैं और देखते हैं की उनके सामने बाली खड़ा हैं. हनुमान जी ने जब अपने चारो तरफ नजर घुमाई तो देखा की बहुत सारे पेड़ जमीन पर गिरे पड़े हैं.
यह देख हनुमान जी आश्चर्य से भर जाते हैं और बाली से पूछते हैं यह सब किसने किया?
बाली अपने गुरुर भरी आवाज़ मे बोलता हैं. मैंने किया हैं यह सब.
अपनी ताक़त के घमंड मे चूर बाली हनुमान जी को मल युद्ध के लिए चुनौती भी दे बैठता हैं.
अब इस बात को ध्यान मे रखते हुए की बाली मेरे बड़े भाई हैं तो हनुमान जी बाली की चुनौती को अस्वीकार कर देते हैं और बोलते हैं – बाली भैया आप मुझसे बड़े हैं मैं आपका सम्मान करता हूँ भला मैं आपसे मल युद्ध कैसे कर सकता है.
Religious story hindi |धार्मिक कथा -हनुमान VS बाली
और आपको अपनी इस ताक़त का ऐसे गलत प्रदर्शन नहीं करना चाहिए. इन पेड़ पौधो को नुकसान क्यों पंहुचा रहे हो. इन पेड़ पौधों पर पक्षियों के घर होते हैं.जीव जगत को ऐसे कष्ट मत पहुँचाओ.
बाली भैया! आप अपनी ताक़त के घमंड मे इतना अंधे हो चुके हो की आपको इतना भी ख्याल नहीं की आप क्या कर रहे हो.
आपने इस प्रकृति को कितना नुकसान पंहुचा दिया हैं.
बस बहुत हुआ बाली भैया. आप किर्पया यहां से चले जाए और मुझे अपने भगवान राम का गुन गान करने दें.
इतना सुन बाली क्रोध से भर जाता हैं और बोलते हैं – अपनी समझदारी अपने पास रखो हनुमान , सीधा सीधा क्यों नहीं कहते की तुम मेरे पराक्रम से डरते हो. यदि ऐसा हैं तो अपनी हार स्वीकार करो.
हनुमान जी बाली भैया की इन बातो को सुन चुप चाप खड़े रहते हैं.
हनुमान जी को इस प्रकार चुप खड़ा देख बाली फिर से हनुमान जी को मल युद्ध के लिए उकसाता हैं.
अब बाली अपनी ताक़त मे इस कदर अंधा हो जाता हैं की बोलता हैं की तुम तो क्या तुम्हारे भगवान राम भी मुझे मल युद्ध मे नहीं हरा सकते. जाओ बुला लो अपने राम को.
इतना सुन हनुमान जी को क्रोधित हो उठे और कहने लगे -बस बाली भैया अब बहुत हुआ, मैं आपसे मल युद्ध करने को तैयार हूं.
बाली हनुमान जी को मल युद्ध के लिए कल सुबह शंभू पहाड़ी के पास आने को कहता हैं.
बाली अपने राजमहल वापस लौट जाता हैं.
इसके बाद हनुमान जी के समक्ष ब्रम्हा जी प्रकट हो जाते हैं. ब्रम्हा जी को देख हनुमान जी उन्हें प्रणाम करते हैं… तब ब्रम्हा जी, हनुमान जी को कहते हैं.
हे हनुमान आप तो स्वयं भगवान शिव के अंश हो और श्रिस्टी के पालन कर्ता भगवान विष्णु के अवतार श्री राम जी के परम भक्त हो. आप की अद्भुत असीमित शक्ति से तो तीनो लोक परिचित हैं.
तो मैं आपसे आग्रह करता हूं की कृप्या आप बाली की इस उदंडता को क्षमा कर दें आप उनसे मल युद्ध ना करे.
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Religious story hindi |धार्मिक कथा -हनुमान VS बाली
यह सुन हनुमान जी बोलते हैं, हे परमपिता ब्रम्हा जी, किरपा आप ऐसे हमसे प्रार्थना कर हमें शर्मिंदा न करे,
हे ब्रम्ह देव ! अगर बात सिर्फ युद्ध की होती तो मैं आपकी बात अवश्य मान लेता लेकिन बाली भैया ने मेरे आराध्य श्री राम जी को ललकारा हैं तो मैं युद्ध से पीछे कैसे हट सकता हूं.
तब ब्रम्हा जी बकते हैं – ठीक हैं पुत्र, लेकिन मेरा एक आग्रह हैं जब तुम बाली से युद्ध करने जाना तो अपनी शक्ति का सिर्फ 10वां हिस्सा ही लेकर जाना शेष हिस्सा यही श्री राम के चरणों मे रख देना युद्ध के बाद आप अपना शेष हिस्सा फिर से धारण कर लेना.
हनुमान जी उनकी यह बात मान लेते हैं. सुबह होते ही हनुमान जी अपनी शक्ति का सिर्फ दसवां हिस्सा ही धारण करते हैं बाकि का राम जी चरणों मे समर्पित कर देते हैं.
अब हनुमान जी अपनी शक्ति का दसवां हिस्सा लिए जैसे जैसे युद्ध क्षेत्र की तरफ चलते जाते हैं वैसे वैसे बाली को मिले वरदान की वजह से हनुमान जी की शक्तियां बाली मे समाहित होनी शुरू हो जाती हैं,
हनुमान जी की तनिक मात्र शक्ति से ही बाली अपने अंदर इतनी अद्भुत ऊर्जा की शक्ति का अनुभव करने लगा की बाली के शरीर मे मानो ऊर्जा का महासागर उमड़ आया हो.
इधर जैसे जैसे हनुमान जी निकट आरहे थे उधर बाली के अंदर हनुमान जी की शक्तियां समाहित होती जा रही थी..
बाली के लिए अब इन शक्तियों की संभाल पाना बहुत मुश्किल हो रहा था. अब बाली को लगने लगा की यह ठीक नहीं हो रहा यदि ऐसे ही शक्तिया समाहित होती रही तो मेरा शरीर तो अभी फट जाएगा.
इतने मे ब्रम्हा जी वहां प्रकट होते हैं और बाली से कहते हैं – हे बाली तुम खुद को बहुत बलशाली समझते हो ना तो यह देखो अब तुम हनुमान जी की शक्ति के दसवें हिस्से का एक छोटा सा अंश भी नहीं संभाल पा रहे हो. और तुम हनुमान जी को मल युद्ध के लिए ललकारने चले थे मूर्ख.
अब यदि अपनी जान की रक्षा चाहते हो तो यहाँ जितनी दूर हो सके वहां चले जाओ अन्यथा अधिक शक्ति के समाहित होने से तुम्हारा शरीर अभी फट जाएगा और तुम मृत्यु को प्राप्त हो जाओगे.
बाली तुरंत अपनी जान बचाने के लिए वहां से दूर भागने मे ही अपनी समझदारी समझता हैं.
इस तरह बाली वहां से दूर जा कर अपनी जान बचाता हैं. अब बाली को आभास हो जाता हैं की मैं मूर्ख अपनी शक्तियों को लेकर इतना अहंकारी हो गया था की हनुमान जी की शक्तियों को बिना जाने उन्हें मल युद्ध के लिए चुनौती दे बैठा.
मैं इतनी सी शक्ति से इतना अशांत हो गया और अहंकार वश मे आकर ना जाने प्रकृति का कितना नुकसान कर बैठा.
वहीं हनुमान जी इतनी सारी शक्तियों के बावजूद भी कितना शांत हैँ. उनमे कितनी विनम्रता हैं.
इस प्रकार हनुमान जी की शक्तियों का अनुभव कर बाली का घमंड चूर चूर हो जाता हैं. कुछ दिन बाद बाली हनुमान जी से क्षमा मांग लेता हैं.
तो बोलो भक्तो – पवन पुत्र हनुमान की जय |
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