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बचपन का प्यार true love story

बचपन का प्यार true love story

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका आज एक और दिल छू जाने वाली कहानी  बचपन का प्यार true love story मे. 

बचपन का प्यार true love story

दीपक और माया के बचपन के प्यार के प्यार की एक बहुत ही सुंदर कहानी.

 

एक गांव मे दीपक और माया बचपन से ही एक दूसरे को बहोत चाहते थे. अब वह दोनों 12वी कक्षा मे एक साथ ही पढ़ रहे थे. माया एक अमीर घराने से थी और दीपक गांव का रहने वाला साधारण से घर से.

 

दीपक माया को अपने दिल मे बहोत खास जगह दे चुका था जिस वजह से दीपक ज़ब भी माया के साथ रहता तो वो उसकी बहोत केयर किया करता और ज़ब ज़ब दोनों फिजिकली एक साथ ना होते तो दोनों ही एक दूजे को मिस किया करते दोनों को एक दूजे की फ़िक्र रहती थी.

 

ये मान लो दीपक और माया एक दिन भी एक दूजे के बिना नही रह पाते थे.

 

एक दिन माया तो स्कूल पहुंची लेकिन दीपक स्कूल नही आया….. स्कूल मे माया के मन मे ये सवाल घूमता रहा की क्या वजह होगी जो दीपक स्कूल नही आया.दूसरे दिन भी यही हुआ. दीपक स्कूल नही आया.

 

स्कूल की छुट्टी होने के बाद माया ने दीपक के दोस्त से पूछा की दीपक आज स्कूल क्यों नही आ रहा.

 

तब दीपक के दोस्त ने बताया की दीपक बहुत बीमार है इसलिए स्कुल नही आ रहा.और तुम उससे कल मिलने भी नही गई.

 

माया तुरंत दीपक के घर पहुँच गई. दीपक ने माया को देखा तो वो तुरंत उठकर खाट पर बैठ गया.

 

माया बोली, दीपक तुम लेटे रहो उठो मत.. इतने मे दीपक के मा किचन से निकल कर आई तो देखा की माया बिटिया आई है.

 

माया ने दीपक की मा से पूछा की माँ जी दीपक कैसे बीमार हो गए.

माँ बोली बेटा पता नही कल ये भीग गया था बारिश मे शायद उसी वजह से बुखार हो गया. लेकिन अब तुम आगई हो अब ये जल्दी ही ठीक हो जाएगा.

 

ये सुनते ही माया शर्मा गई.

 

माँ बोली अब आई हज तो खाना खा कर हु जाना. इतना बोल कर माँ किचेन मे वापिस चली गई.

 

इधर माया ने दीपक को डाटते हुए कहा. की ये सब क्या है दीपक बारिश मे कैसे भीग गए.

 

बस वो बारिश मे नहा रहा था मस्ती कर रहा था. माया तुरंत बोली तुम बिलकुल भी अपना ध्यान नही रखते, बड़े हो गए हो बच्चो जैसी हरकते नही गई आपकी.

 

दीपक बोला, अरे तुम चिंता मत करो दवाई ली है कल तक एक दम ठीक हो जाऊंगा.

 

माया बोलू, ठीक है तो कल संडे हाँ कल तुम मेरे साथ मेरे घर चलना.

 

अगले दिन माया दीपक के घर आई और दीपक को अपने घर ले गई. माया की माँ ने दीपक के लिए खीर बनाई. सब लोग आपस मे बातें कर ही रहे थे की 

 

कुछ ही देर मे माया के पिता जी आजाते है. दीपक को देखते ही माया के पिता माया को चिल्लाते हुए बोलते है की माया तुम्हे कितनी बार बोला है की in छोटे लोगो को घर पर मत लाया करो. कितनी बार बोला है in छोटे लोगो से मिलना जुलना बंद कर दो. तुम्हारे बात समझ मे नही आती क्या.

 

सोसाइटी मे हमारा एक रुतबा है. इतना सुनता हु माया की माँ बोलती है चुप रहो जी. आप क्यों इतना सोच रहे हो. ये दोनों बहुत अच्छे दोस्त है.बच्चे है. आप ये कहा स्टैण्डर्ड हाई सोसाइटी जैसी बातें सुनाने लग गए.

 

तभी माया के पिता जी चिल्लाते हुए कहते है की तुम चुप रहो मै अच्छी तरीके से जानता हूं मै अच्छी तरह से जानता हूं ऐसे लोगी को ये पहले ऊँगली पकड़ते है फिर सर पर चढ़ कर बैठ जाते है.

 

ये सब सुनने के बाद दीपक की आँखो मे आंसू आजाते है. दीपक अब एक पल भी अपनी इतनी बड़ी बेज़्ज़ती बर्दाश्त नही कर पा रहा था दीपक तुरंत वहाँ से उठ कर वहाँ से जाने लगता है.

 

तभी माया उसका हाथ पकड़ लेती है. ये देख कर उसके पिया माया को थप्पड़ मार देते है.

 

माया झन्ना कर गुस्से मे अपने कमरे मे चली जाती है. दरवाज़ा बंद करके खूब रोने लगती है.

 

इसके  घटना के बाद दीपक और माया का प्यार एक दूजे के लिए और भी बढ़ जाता है.

 

दीपक और अब स्कुल मे ही एक दूजे से मिलते और साथ रहते. समय बीता और दोनों ने ही अच्छे से exam दे कर 12वी कक्षा पास कर ली.

 

एक दिन दीपक और माया शाम के समय खेत मे घूम रहे थे. बहुत अच्छा मौसम था. माया और दीपक एक पेड़ के नीचे बैठ गए. दोनों अपने जीवन प्यार और पढ़ाई को लेकर बातें करने लगे.

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इन्ही सब बातो मे दीपक ने माया से पूछा की माया प्यार मे क्या क्या होता है. ये सुन कर माया शर्मा जाती है. तो दीपक कहता है की तुम शर्मा क्यों रही हो… तो माया शर्म से भरे लाल गालो को लिए ये बोलती है की तुम बहोत भोले हो दीपक.

 

इतना बोल कर इधर उधर भागने लगती है. और दीपक भी माया को पकड़ने लगता है. और आखिर वो दोनों ही एक घास के गट्ठार के ऊपर गिर जाते है.

 

दोनों ही एक दूजे के ऊपर थे. माया ने इतने मे शरारत भरे अंदाज़ मे दीपक के होट चूम लिए.

 

अब ये तो दीपक के लिए बहुत प्यारा एहसास और पल था. पहली बार दीपक ने एक लड़की का चुम्मन महसूस किया.  दीपक भी वहीं करने कोसिस करने लगा.

 

यह सब दृश्य एक आदमी ने चुपके से देख लिया. वी आदमी माया के पिता को अच्छे से जानता था.

 

वो तुरंत इस घटना की घबरा लिए माया के पिता के पास पहुँच गया और सारी घटना व्यक्त कर दी.

 

ये सब सुनते ही माया के पिता जी गुस्से से आग बबूला हो गए. माया के पिता तुरंत गांव पहुँच गए और गांव के लोगो को इकठ्ठा कर लिया.

 

इन सब बातो से अंजान माया और दीपक तो अपने प्रेम लीला मे मग्न थे. तभी अचानक बहोत जोर से बारिश होने लगी. बारिश से बचने के लिए  दीपक माया को अपने खेत मे ले गया.. खेत मे एक छोटा सा टुटा हुआ घर था.

 

दीपक और माया ने बारिश रुकने का इंतज़ार किया.

 

जैसे ही कुछ देर मे बारिश रुकी तो उधर गुस्से मे लाल माया के पिता गांव के लोगो को इकठ्ठा कर खेत की तरफ आरहे थे. वहीं दीपक और माया भी वहाँ से निकल कर खेतो से होते हुए घर की तरफ जाने लगे.

 

तभी रास्ते मे माया के पिता ने दोनों को एक साथ एक दूजे का हाथ पकड़े आते हुए देख लिया दीपक और माया ने भी उन लोगो को अपनी और आते देखा.

 

इससे पहले दीपक और माया कुछ समझ पाते. माया के पिता ने दीपक को एक जीरो डर तमाचा मार दिया.

 

दीपक ने बोला मुझे मारा क्यों. तो माया के पिता जी कहते है., साले नीच, आखिर कार तू अपनी घिनौनी करतूतों पर उतर ही आया.

 

तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी बेटी के साथ घूमने की.. तभी दीपक भी बोल देता है की मै बचपन से ही माया से प्यार करता हु. और मै उसके बिना जी नही सकता.मै माया के लिए कुछ भी कर सकता हूं.

 

ये सुनते ही माया के पिता जी अपना दिमाग़ लगते हुए दीपक से कहते है की, अच्छा तो तुम मेरी बेटी के लिए कुछ भी जर सकते हो.

 

तो दीपक आँखो मे आंसू लिए पिता से बोलता है की हां मै माया के लिए कुछ भी करने को तैयार हूं.

 

तब माया के पिता ने दीपक से बेशर्म होकर ये कह दिया की तुम अभी के अभी पास वाली नदी कूद जाओ.

अगर तुम बच गए मै खुद तुम्हारी शादी माया से करवा दूंगा.

 

दीपक तुरंत नदी की ओर चल पड़ा. माया तुरंत पिता हाथ पकड़ कर जोर जोर से रोते हुए कहती है की पिता जी ऐसा मत कर्ज रोक लो दीपक को वो सच्च मे कूद जाएगा. प्ल्ज़ ऐसा मत करो.

 

माया ने दौड़ जर दीपक का हाथ पकड़ लिया . पिता जी ने दोनों का हाथ छुड़वा दिया.

 

तभू नादान दीपक गुस्से मे नदी की ओर भाग गया. ये देख कर माया भी उसके पीछे भागने लगी.

 

यह देख माया के पिता और गांव के लोग भी माया को पकड़ने के लिए पीछे पीछे दौड़ने लगे.

 

एक तो तेज़ बरसात और नदी का बहता हुआ तेज़ पानी, दीपक नदी पास पहुँच चुका था…

 

दीपक और माया के सर सच्चे प्यार का जूनून सवार था.. दीपक आखिर बार रुका और एक बार पीछे मुड़ कर माया की तरफ देख कर नदी मे छलांग लगा डाली.

 

माया और रफ्तार से भागती हुई बोली रुको दीपक मै भी आरही हूं. मै तुम्हारे बिना नही रह सकती.

 

इतना बोलती हुई माया भी नदी मे कूद गई.

 

इधर माया के पिता इधर उधर भागने लगे छटपटाने लगे. जोर जोर से रोने लगे की ये क्या होगया अरे कोई ती बचा लो. बहुत पछतावा हो रहा था अब पिता जी को. ये सोचने लगे की ये मैंने क्या कर दिया.

 

अपनी बेटी के खातिर दोनों की जान ले ली. अपनी बेटी को गंवा दिया.

 

दोस्तों ऐसा ही होता है सच्चा प्यार .सच्चा प्यार ख़ुशी ख़ुशी कुर्बान हो जाएगा लेकिन किसी ऐसे इंसान के आगे झुके गा नही.

 

अब दोनों का प्यार अमर हो चुका था.

लेकिन दोस्तों ऐसे प्यार को समझने वाले लोग जहाँ होते है वहाँ ऐसा कभी नही होता.

 

तो दोस्तों बचपन के प्यार की यह सच्ची प्यार गाथा आपको कैसी लगी. जरूर बताना.

 

उम्मीद करता हु सच्चे प्यार की यह कहानी आपको बहुत पसंद आई होगी.

 

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