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Hindi dharmik kahani | ब्राम्हण को मिला ज्ञान

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Hindi dharmik kahani – नमस्कार दोस्तों, स्वागत है आपका ज्ञान से भरी धार्मिक कहानियों की इस दुनियां मे. 

हमेशा की तरह इस बार भी हम आप लोगो के लिए धार्मिक कहानियों से एक और ऐसी कहानी लेकर आए है. जिसमे बहुत जरुरी ज्ञान छुपा हुआ है. 

ब्राम्हण की किस्मत और कर्म | hindi dharmk कहानी 

Dharmik-kahani

 

एक दुःखी इंसान ने सपने मे ईश्वर को याद किया पुकारा. ईश्वर ने उस इंसान को एक तेज प्रकाश के रूप मे दर्शन दिये…

इंसान ने अपनी व्यथा सुनाई.. तो ईश्वर बोले ऐसा सिर्फ तुम्हारे साथ नहीं होता…

 

इसका कारण ये है की इंसान अक्सर वहीं करता है जो वो चाहता है.. और फिर मैं वहीं करता जो मैं चाहता हूं.

 

इसलिए यदि सुखी रहना है तो तुम वो करो जो मैं चाहता हूं फिर वहीं होगा जो तुम चाहोगे.

 

 

Video देखो ?- सुनने से पहले ईयर फोनलगा लो -आनंद लो इस अद्भुत विडियो का 

 

एक बार भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन घूमने के लिए एक नगर मे रथ पर सवार हो कर निकले.

वहाँ उनकी नजर एक ब्राम्हण पर पड़ी जो घर घर जा कर भिक्षा मांग रहा था.

 

अब  उस पंडित का घर घर जा कर ऐसे भिक्षा मांगना अर्जुन को सही नहीं लगा. उन्हें उस पंडित पर तरस आने लगा.

 

तो अर्जुन ने उस पंडित को अपने पास बुलाया और बोला की आपके लिए मेरे पास कुछ है.

 

इतना बोलते हुए अर्जुन ने एक छोटी सी सोने के सिक्कों से भरी थैली निकली और उस पंडित को दे दी.

 

इधर पंडित जी बहुत खुश हुए मन मे सोचने लगे की वाह क्या बात है.. भगवान के दोस्त ने इतनी बड़ी मदद कर दी.

 

Hindi dharmik kahani

इतना सोचते हुए पंडित ने भगवान को और अर्जुन को हाथ जोड़ कर प्रणाम किया.

 

प्रणाम करके चल पड़े अपनी झोपड़ी की तरफ.

 

पंडित बहुत खुश थे और सोचते रहे की क्या बात है धन के रूप मे इतनी सारी  खुशियाँ मेरी जिंदगी मे आने लगी..

 

लेकिन पंडित जी का दुर्भाग्य तो देखिये. रास्ते मे एक लुटेरा मिला.

 

उसने पंडित जी के हाथ मे सोने के सिक्कों से भरी थैली देखी और उसे .पंडित से  लूट चीन लिया. 

 

पंडित माथा पीटते रह गया. और अपने भाग्य को कोसने लगा.

 

पंडित दुःखी मन से घर पंहुचा और सारी घटना अपनी पत्नी को सुना दी. 

 

की आज कैसे जिंदगी मे खुशियाँ आई थीं फिर दुर्भाग्य वश सब लुट गया.

 

पत्नी भी ये सुन कर उदास हो गई ऐसी किस्मत को लेकर. 

अब क्या था… अगले दिन फिर से वही. घर घर जाकर भिक्षा मांगना. शुरू.

अब इधर भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन फिर से नगर मे आए. और फिर से उनकी नजर उसी पंडित पर भिक्षा मांगते हुए पड़ी.

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अर्जुन ने फिर पंडित को पास बुलाया और बोले ब्राम्हण देव नमस्कार.. मैंने कल ही तो आपको सोने के सिक्कों से भरी थैली दी थीं.
तो फिर अब क्यों आप ये भिक्षा मांग  रहे हो.

 

तो इधर पंडित जी ने दुःखी मन से अपनी सारी बात बताई. की कल मेरे साथ बहुत बुरा हुआ.

 

अर्जुन ने कहा. ठीक है आप चिंता ना करें. आपके लिए मेरे पास एक बहुत कीमती चीज है. जिससे आपके दिन सुधर जाएंगे.

 

इतना बोलते हुए अर्जुन ने एक बेशकीमती मोती, जिसकी कीमत नहीं आकी जा सकती थीं. वो निकाल कर अर्जुन ने उस पंडित को दे दिया.

 

और कहा की इसे अपने पास संभाल कर रखिये. पंडित जी बहुत खुश हुए और हाथ जोड़ अर्जुन को प्रणाम करते हुए बोले की आप सर्श्रेष्ठ धनुर्धर ही नहीं बल्कि महान इंसान भी है.

 

उधर भगवान श्री कृष्ण ये सब घटना देख मन ही मन मुस्करा रहे थे. क्योंकि वो भूत भविष्य सब जानते थे की क्या होने वाला है.क्या नहीं. 

 

इधर पंडित जी ख़ुशी ख़ुशी.. अपनी झोपड़ी की तरफ चल दिये..

 

 

तो अब ज़ब पंडित झोपड़ी पंहुचा तो वहाँ पत्नी नहीं थीं.. वो पानी भरने एक घड़ा लेकर  नदी के पास गई हुई थीं.

 

अब इधर पंडित जी वो जगह खोजने लगे की कहाँ इस कीमती मोती को छुपाऊ. की कोई इसे चोरी ना कर लें.

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तो वहीं एक पुराना सा पानी का खाली घड़ा रखा था. उसने वो मोती उसी के अंदर रख दिया.

 

मोती को उस घड़े मे रखकर पंडित चिंता मुक्त हुआ और ये सोच कर चैन की लम्बी सांस ली.
की अब इस पर किसी की नज़र नहीं पड़ेगी.

 

 

अब पंडित जी आराम करने के लिए चले गए. और कुछ देर मे उन्हें नींद आगई.

 

इसी बीच पंडित की पत्नी नदी से घड़े मे पानी भर कर पानी लिए घर की ओर चली आरही थीं की.

 

दुर्भाग्य वश पंडित की पत्नी का पैर एक झाड़ मे फंस जाता है ओर बैलेंस बिगाड़ जाता है जिस वजह से पानी का घड़ा नीचे गिर कर  फूट जाता है.

 

 

पत्नी खुद को सँभालते हुए दोबारा खड़ी होती है और पानी भरने के लिए घर से दूसरा घड़ा लें कर आती है.

 

अब दुर्भाग्यवश ये वही घड़ा था जिसमे पंडित ने अर्जुन का दिया हुआ वो कीमती मोती छुपाया था

.

अब वो घड़ा ज़ब पत्नी ने नदी मे पानी भरने के लिए टेढ़ा किया तो वो कीमती मोती उसी पानी मे बह  गया..

 

इधर पत्नी वहीं घड़ा लें करज़ब घर  पहुंची तो पंडित घड़ा देख कर माथा पकड़ कर बैठ गया.

 

पंडित बोला ये क्या कर दिया ये पुराना घड़ा कहा लें कर चली गई थीं..

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तो वो बोली पहले वाला घड़ा टूट गया था तो ये वाला घड़ा पानी भरने लें गई थीं..

 

पंडित तुरंत उठा और मटके के अंदर झाँका. तो उसमे तो मोती था ही नहीं.

 

पंडित बहुत उदास हुआ और फिर से अपने भाग्य को कोसने लगा.

पत्नी ने पूछा तो पंडित ने सब बता दिया..

पंडित जी अगले दिन से फिर से भिक्षा मांगने निकले. अब दो तीन दिन तक तो यही चलता रहा भिक्षा मांग कर पेट भर लेते थे.

लेकिन एक दिन फिर भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन घूमने के लिए निकले हुए थे..

 

अर्जुन ने फिर से उसी ब्राम्हण को भिक्षा मांगते हुए देखा तो फिर से अपने पास पंडित को अपने पास  बुलाया.. और प्रणाम करते हुए पूछा की…

 

हे ब्राम्हण देव मैंने आपको मोती दिया था उसका क्या हुआ… अब आप फिर से भिक्षा क्यों मांग रहे.

 

तो पंडित जी बोले क्या बताऊ महा राज़ मेरा तो दुर्भाग्य चल रहा है. किस्मत ही फूटी हुई  है.

 

मैंने वो मोती छुपा के एक पुराने घड़े मे रख दिया था ताकी किसी की नज़र ना पड़े.. और चोरी ना हो जाए.

 

तो ज़ब मैं सो गया तो पत्नी वो घड़ा उठा कर पानी भरने चली गई नदी मेतो वो मोती भी उसी पानी मे बह  गया.

 

अब अर्जुन ने भवन कृष्ण की तरफ देखा और हाथ जोड़ कर कहा.

हे प्रभु. अब आप ही मदद कीजिये इस ब्राम्हण की.

 

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तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपने पास से दो सिक्के निकाल कर पंडित को दिये और बोला की आप एक काम कीजियेगा की अब घर उस रास्ते से मत जाना जिस रास्ते से हमेसा जाते हो.

 

तो पंडित बोला ठीक है भगवन.. जो आपकी इच्छा.

इधर पंडित रास्ते भर सोचता रहा की अर्जुन जी बहुत अच्छे है उन्होंने मेरी इतने ज़ादा धन देकर मेरी मदद करनी चाही…

 

लेकिन भगवान ने तो सिर्फ दो पैसे दिये भला अब इन दो पैसों से क्या होगा मेरी जिंदगी मे.

 

पंडित जी यही सोचते हुए जा रहे थे तभी नदी किनारे से एक मछुआरा अपने साथ मे जाल लें कर आ रहा था.

 

उस जाल मे बहुत ही सुन्दर सी मछली फंसी हुई थीं.

ज़ब पंडित जी ने देखा की अभी भी मछली मे जान बाक़ी है.. तो उसने सोचा की ये दो पैसे मेरे किसी काम के तो है नहीं तो क्यों ना इसे मछुआरे को देकर इस मछली की जान बचा लू. 

 

तो पंडित ने वो दो सिक्के मछुआरे को दिये और कहा की आप इस मछली को अब आज़ाद कर दो.

तो मछुआरे ने वो मछली पंडित को दे दी.. पंडित वो मछली तुरंत अपने  कमंडल मे डाल ली..

कमंडल मे पानी था.. जिससे मछली की जान बच गई

 

तो अब पंडित ने नदी  के किनारे जाना शुरू कर दिया ताकी वो मछली को नदी मे छोड़ दे.

 

तो जैसे ही पंडित जी ने अपना कमंडल टेढ़ा किया मछली उछल कर नदी मे गिर गई..

 

लेकिन उन्होंने देखा की उनके कमंडल मे वहीं कीमती मोती जो उन्हें अर्जुन ने दिया था. चमक रहा था.

 

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पंडित को अपनी आँखो पर विश्वास नहीं हो रहा था.जी हा ये वहीं मोती था जो मछली ने खा लिया था और वहीं मछली घूम फिर कर पंडित के कमंडल मे आगई थीं.और उस मोती को कमंडल मे उगल दिया. 

 

 

इधर पंडित जी ख़ुशी के मारे चिल्लाने लगे की मिल गया.. मिल गया..

 

तो ज़ब वो चिल्ला रहे थे तो उसी समय वहीं  लुटेरा भी वहाँ से गुजर रहा था..जिसने पंडित के सोने की थैली लूटी थीं 

 

वहीं से कुछ दूर राजा के सैनिक भी आरहे थे तो लुटेरे ने पंडित की आवाज़ सुन ली… की लगता है पंडित  मुझे ही बोल रहा है की मिल गया | लगता है इस बार वो मुझे सजा दिलवा कर ही रहेगा.. सामने से सैनिक भी आरहे थे.

 

ये देख लुटेरा दौड़ कर के आया और पंडित जी के चरणों मे गिर गया और कहा की ये लो अपने सोने के सिक्कों वाली थैली. और मुझे जाने दो.

 

अब पंडित जी के चरणों मे वो लुटेरा आ चुका था… पंडित जी के एक हाथ मे वो सोने के सिक्कों से भरी थैली और दूसरे हाथ मे वो मोती भी  था.

 

सब कुछ अच्छा हो गया था. जो खोया था सब फिर से मिल गया था.

 

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इधर अर्जुन ने ज़ब ये सब कुछ देखा तो वो भगवान कृष्ण की तरफ देखते हुए बोलते है.. भगवान ये कौन सी लीला है.

 

 

भगवान आपने  ऐसा क्या किया. की मैंने उस पंडित की इतनी मदद की तब तो कुछ नहीं हुआ.. लेकिन अपने बस दो साधारण से सिक्के दिये और सारा खेल ही  पलट गया.

उस पंडित के तो वारे न्यारे हो गए.

 

तब भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कहा

. हे. अर्जुन.. ये सारा खेल सारी लीला कर्मो की है. सोच की है.

 

ज़ब तुमने पंडित की मदद के लिए पंडित को जो कुछ दिया था..

तो तब तक पंडित सिर्फ अपने बारे सोचता था..
वो बस खुद ही खुद का  सोच रहा था..

 

लेकिन आज ज़ब मैंने उसे  दो सिक्के दिये तो आज उसने अपने बारे नहीं बल्कि उस मछली के बारे सोचा.

 

 

अब ऐसे मे जहाँ उसने किसी का अच्छा करने के बारे मे सोचा और किया भी…

तो कर्म ने होना खेल दिखा दिया. और पंडित को उसके कर्म का फल मिल गया..

 

 

चलिए अब जानते इस hindi dharmik kahani से क्या सीख मिलती है. 

 

तो दोस्तों ये Hindi dharmik kahani हमें बहुत बड़ी सीख देती है की अच्छे कर्म खुद चल कर आते है.

 

तो इसलिए जिंदगी मे कभी किसी की मदद करने का मौका मीका तो सच्चे दिल से उसकी मदद जरूर करना..

 

ज़ब आप किसी की दिल से मदद करोगे तो आपको उसका फल तो मिकेगा ही साथ मे सामने वाले की दुआ भी मिलेगा..

 

और सच्चे दिल से निकली दुआ बहुत काम आती है. बड़ा चमत्कार कर देती है..

तो दोस्तों उम्मीद करता हूं की यह dharmik कहानी  आपको बहुत अच्छी लगी होगी. और यदि ऐसा है तो इसे खूब शेयर करना. 

 

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