Hindi kahani moral story (हिंदी कहानी) – नमस्कार दोस्तों ! स्वागत है आपका ज्ञान से भरी शिक्षाप्रद कहानियों (hindi kahani) की इस दुनिया मे.
दोस्तों hindi kahani हर इंसान के जीवन मे बहुत महत्व रखती है. यहां पर बताई जाने वाली हर hindi kahani मे आपको एक बहुत जरुरी ज्ञान जरूर सीखने को मिलेगा. जो आपके जीवन कहीं ना कहीं बहुत काम आएंगे.
इन hindi kani से आपको जीवन के अनमोल ज्ञान सीखने को मिलेंगे. तो चलिए शुरू करते है.
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Hindi kahani moral story |बेटी, रिश्ता और नीलामी
बटी ज़ब 12 साल की थीं तभी किसी बीमारी के चलते पिता का देहांत हो चुका था.
माँ गांव के एक सरकारी स्कूल मे प्रिंसिपल थी.
तब से अकेली माँ ने ही बेटी को पाल पोष कर बड़ा किया. अच्छी शिक्षा दी, संस्कार दिये, और सिलाई बुनाई से लेकर घर का हर काम सिखाया.
माँ का नाम मिसिज महता है.
बेटी अब जवान हो चुकी थीं और अपनी बेटी की शादी को लेकर चिंतित रहने लगी थीं जिस वजह से माँ जी अपने गाँव के पंडित से बेटी के रिश्ते की बात चला रही थीं.
मिसिज महता बोली की पंडित जी जरा मेरी बेटी के लिए भी एक अच्छा सा रिश्ता बताइये.
तब पंडित जी दो दिन बाद एक अच्छा रिश्ता लें कर मिसिज महता के पास आए और लड़के की फोटो दिखाते हुए बोले की लड़का अच्छा है पढ़ा लिखा है, बड़ी कम्पनी मे इंजिनियर की नौकरी करता है.
, माँ बाप भी अच्छे है. इस रिश्ते को हाथ से मत जाने दीजिये. पसंद हो तो बताइये बात आगे बढ़ाऊ..
फोटो देख कर और पंडित की बातें सुन कर माँ को रिश्ता और लड़का दोनों सही लगा.
लेकिन इससे पहले की माँ जी इस रिश्ते के लिए हां करती उन्होंने अपनी बेटी को लड़के की फोटो दिखाई और सब बताया.
बेटी को भी लड़का पसंद आगया. और फिर माँ ने इस रिश्ते को हां कर दी.
उधर पंडित जी बस अपना मतलब देखते हुए. ये रिश्ता लगाने के लिए लड़के वालो के घर गए और लड़की की फोटो दिखाई.
लड़की के बारे सब कुछ सब कुछ बताते हुए बोले की बेटी इस घर का ध्यान रखेगी. लड़की सुंदर थीं.. इसलिए सबको पसंद भी आगई. उन्होंने भी रिश्ते को हां कर दी.
लड़की के घर रिश्ता लें कर लड़की देखने मिसिज सरिता जी अपने बेटे और पति के साथ मिसिज पूनम महता जी के घर बताए हुए तारीख और समय के अनुसार दरवाज़े पर दस्तक देती है.
Home bel बजते ही मिसिज पूनम महता, दरवाज़ा खोलती है. और चेहरे पर मुसकान लिए हाथ जोड़ कर आदर सत्कार करते हुए घर के अंदर आने को कहती है.
इसके बाद उन लोगो को आदर सम्मान से सोफे पर बैठा कर खातिरदारी की जाती है.
कुछ देर बाद रिश्ते की बात शुरू हुई. बेटी पढ़ी लिखी है , सुंदर, सुशील, संस्कारी और समझदार है .घर का सारा काम काज जानती है बेटी आप सब को कभी निराश नहीं करेगी. बहुत ही आज्ञाकारी है.
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इतना बोलते हुए लड़की की माँ ने बेटी को आवाज़ लगाई. “अरे बेटी आओ. देखो तुम्हारी होने वाली सासु माँ, पति और ससुर जी आए है.
बेटी नजरें झुकाए माँ के सामने प्रस्तुत हो जाती है. और धीमी सी आवाज़ मे बोलती है. “जी”
बेटी अपने होने वाले सास ससुर के पैर छू कर नजरें झुकाए माँ के बगल मे बैठ जाती है.
इधर लड़के की माँ बेटी के माँ के मुँह से बेटी की सब तारीफे सुन कर कुछ खास तबज्जो नहीं देती..
“ठीक है” बस इतना बोल कर अपने मतलब की बात बड़े रौब से शुरू करते हुए बोलती है.
जी देखिये मिसिज महता जी, हमने अपने बेटे के ऊपर बहुत पैसा खर्च किया हर ज़िद्द पूरी है. पढ़ाई मे बहुत पैसा लगा है.
अभी बेटा विप्रो कम्पनी मे इंजीनियर है, अच्छी तब्खावह है. तो देखिये हमारा यही एक लौता बेटा है और लाडला है, और बस अब यही पहली और आखरी शादी है.
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. तो मिसिज सरिता जी मे ये कहना चाहती हूं की हमारा अपनी सोसाइटी और समाज मे काफ़ी नाम, और सम्मान है.
तो ये शादी कुछ सामाजिक रीती रिवाज़ के अनुसार होनी चाहिए.
यानी दहेज़ वगैरा मे तो हम विश्वास रखते नहीं.. लेकिन वो क्या है ना की समाज का तो आप समझती ही हो…..
अब कुछ लेनदेन ना हुआ तो लोग पूछेंगे की कैसे गरीब परिवार से बहु लें कर आई है और भी ना जाने क्या क्या बातें बनाना शुरू..
लेकिन मिसिज मेहता जी आप चिंता ना करें आप बस, एक फ्रिज, tv, वाशिंगमशीन, डबल बेड, और एक कार दे दीजिएगा अपनी बेटी के लिए ही सही.
बाक़ी इसके इलावा आप और कुछ जो भी देना चाहे हमें कोई दिक्क़त नहीं.
मिसिज सरिता की सामाजिक रीती रिवाज़ की दुहाई देते हुए इतनी लम्बी लालच से भरी बातें खत्म होने के बाद कुछ देर तक सन्नाटा पसरा रहा.
मिसिज मेहता बस सरिता जी की तरफ ही देखे जा रही थी. और सोचे जा रही थीं कैसे लालची रिश्तेदारों से पाला पड़ा है.
मैं किसी कीमत पर भी अपनी फूल सी बच्ची को इन लालची लोगो के घर की बहु नहीं बनाउंगी.
समाज मे फैले सच्च को दिखाती hindi kahani
इतने मे फिर से मिसिज सरिता बोलती है.. “तो मिसिज मेहता जी क्या मैं ये रिश्ता पक्का समझू”
ये सुनने के बाद मिसिज मेहता अब अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कठोर आवाज़ मे बोलती है.
रिश्ता ! कैसे रिश्ता? रिश्ता या नीलामी?
मिसिज सरिता चौकते हुए बोलती है, ये आप क्या बोल रही है मेहता जी.
मेहता जी बोलती है.चुप रहिये आप, ठीक बोल रही हूं मैं, और ये अपने सामाजिक रीती रिवाज़ अपने पास ही रखिये,
जैसा आपका बेटा आपके लिए लाडला वैसे ही हमारी बेटी हमारे लिए लाडली है. मरी बेटी ग्रेजुएट है, संस्कारी है और स्वावलम्बी है.
अब ऐसे मे हमारी बरती आपके घर की बहु बनती तो किसका फायदा होता मेरा या आपका.?
और उसमे भी आप सामाजिक मर्यादा की चादर ओढ़ कर दहेज़ मांग रही हो.
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ईश्वर की कृपा से आपका बेटा अच्छी जोब कर रहा है. तो ये सब तो वो खुद के पैसों से भी तो लें सकता है.
हमारे लिए हमारी बेटी ही सबसे बड़ा धन है. मे साक्षात् लक्ष्मी आपको दे रही थीं, अपने दिल का टुकड़ा आपको दे रही थीं और आपने तो समाज की दुहाई देते हुए यहां नीलामी शुरू कर दी.
शर्म आनी चाहिए आपको.
असल मे समाज ऐसा है नहीं… लेकिन आप जैसे लालची लोगो समाज को ऐसा बना रखा है. अब आप यहां से जा सकते है वरना दहेज़ मांगने के जुर्म मे आप सबको अंदर करवा दूंगी.
तो देखा दोस्तों, इस समाज मे कैसे कैसे लोग है और समाज को कैसा बना रखा है.
मिसिज सरिता जैसी मानसिकता वाले और भी ना जाने इस समाज मे ऐसे कितने ही लोग है जिनकी वजह से आज दहेज़ एक रीती रिवाज़ बन चुका है.
लड़की के माता पिता को अपनी बेटी के लिए जो देना है वो उन पर निर्भर करता है दे या ना दे वो उनकी इच्छा होती है.
लेकिन लड़के वाले लड़की वालो से कुछ भी मांग नहीं सकते ना ही मजबूर कर सकते है. दहेज़ देना या लेना दोनों ही कानूनन रूप जुर्म है.
तो दोस्तों ये Hindi kahani moral story आपको कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताना. लोगो के दिमाग से और समाज से दहेज की प्रथा को खत्म करने के लिए निवेदन है इस सामाजिक hindi kahani को हर इंसान तक पहुचाओ शेयर करो.
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