Hindi mora story बुराई की पकड़ – नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका आज एक और बहुत ही ज्ञान वर्धक प्रेरक कहानी मे. हमारी आज की शिक्षाप्रद कहानी है –
hindi moral story बुराई की पकड़. आज की इस नैतिक कहानी से आपको अपने अंदर की बुराई को ख़त्म करने की सीख मिलेगी.
Table of Contents
Hindi moral story बुराई की पकड़
एक समय शराब की लत से परेशान एक व्यक्ति एक संत के पास गया और विनम्र स्वर में बोला, ‘गुरूदेव, मैं इस शराब के व्यसन से बहुत ही दुखी हो गया हूँ।
इसकी वजह से मेरा घर बरबाद हो रहा है। मेरे बच्चे भूखे मर रहे हैं, किन्तु मैं शराब के बगैर नही रह पाता! मेरे घर की शांति नष्ट हो गयी है। कृपया आप मुझे कोई सरल उपाय बताएँ, जिससे मैं अपने घर की शांति फिर से पा सकूँ।
गुरूदेव ने कहा, ‘जब इस व्यसन से तुमको इतना नुकसान होता है, तो तुम इसे छोड़ क्यों नहीं देते?’ व्यक्ति बोला, ‘पूज्यश्री, मैं शराब को छोड़ना चाहता हूं, पर यह ही मेरे खून में इस कदर समा गयी है कि मुझे छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही है।
गुरूदेव ने हँस कर कहा, ‘कल तुम फिर आना! मैं तुम्हें बता दूँगा कि शराब कैसे छोड़नी है?’ दूसरे दिन निश्चित समय पर वह व्यक्ति महात्मा के पास गया।
उसे देख महात्मा झट से खड़े हुए और एक खम्भे को कस कर पकड़ लिया।
जब उस व्यक्ति ने महात्मा को इस दशा में देखा, तो कुछ समय तो वह मौन खड़ा रहा, पर जब काफी देर बाद भी महात्माजी ने खम्भे को नहीं छोड़ा, तो उससे रहा नहीं गया और पूछ बैठा, कि ‘गुरूदेव, आपने व्यर्थ इस खम्भे को क्यों पकड़ रखा है?’ गुरूदेव बोले, ‘वत्स! मैंने इस खम्भे को नहीं पकड़ा है, यह खम्भा मेरे शरीर को पकड़े हुए है।
मैं चाहता हूँ कि यह मुझे छोड़ दे, किन्तु यह तो मुझे छोड़ ही नहीं रहा है।’ उस व्यक्ति को अचम्भा हुआ! व्ह बोला, ‘गुरूदेव मैं शराब जरूर पीता हूँ, मगर मूर्ख नहीं हूँ।
आपने ही जानबूझ कर इस खम्भे को कस कर पकड़ रखा है। यह तो निर्जिव है, यह आपको क्या पकड़ेगी यदि आप दृढ़-संकल्प कर लें, तो इसी वक्त इसको छोड़ सकते हैं।
गुरूदेव बोले, ‘नादान मनुष्य, यही बात तो मैं तुम्हें समझाना चाहता हूँ कि जिस तरह मुझे खम्भे ने नहीं बल्कि मैंने ही उसे पकड़ रखा था, उसी तरह इस शराब ने तुम्हें नहीं पकड़ा है, बल्कि सच तो यह है कि तुमने ही शराब को पकड़ रखा है। तुम कह रहे थे कि यह शराब मुझे नहीं छोड़ रही है।
जबकि सत्य यह है कि तुम अपने मन में यह दृढ़ निश्चय कर लो कि मुझे इस व्यसन का त्याग अभी कर देना है, तो इसी वक्त तुम्हारी शराब पीने की आदत छूट जायेगी। शरीर की हर क्रिया मन के द्वारा नियंत्रित होती है और और मन में जैसी इच्छा-शक्ति प्रबल होती है, वैसा ही कार्य सफल होता है।’
वह शराबी गुरू के इस अमृत-वचनों से इतना प्रभावित हुआ कि उसने उसी वक्त भविष्य में कभी शराब न पीने का दृढ़-संकलप किया। उसके घर में खुशियाँ पुनः लौट आयीं और वह शांति से जीवन-यापन करने लगा।परिवार मे सब सूखी व प्रेम से रहने लगे.
Hindi moral story बुराई की पकड़ से क्या सीख मिलती है?
कहानी से सीख –
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की यदि हम दृढ संकल्प कर ले तो कोई भी बुरी आदत या बुराई हम पर हावी नहीं हो सकती.. दृढ़ संकल्प की मदद से हम अपनी बुरी आदतों को ख़त्म कर सकते है.
इन्हे भी पढे –
Best story for student in hindi
ज्ञान व शिक्षा से भरी अद्भुत कहानियाँ
बच्चो के लिए बेहद ज्ञान सी भारी कहानियां जरूर पढे ?
- hindi stories for kids
- Short stories for kids in hindi
- Moral stories for kids in hindi
- Hindi stories with moral
- Hindi short stories for class 1
- Moral stories in hindi for class 2
- Moral stories in hindi for class 4
- Moral stories in hindi for class 5
रोचक और प्रेरणादायक कहानियाँ
- तेनाली रामा की कहानियाँ
- अकबर बीरबल की कहानियाँ
- गौतम बुद्ध की कहानियाँ
- विक्रम बेताल की कहानियाँ
- धार्मिक कहानियाँ
- पंचतंत्र की कहानियाँ
- गुरु नानक जी की कहानियाँ
- प्रेरणादायक कहानियाँ
- success stories in hindi