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hindi moral story-सोने की बाली ने पकड़ा सबका झूठ

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hindi moral story-  दोस्तों स्वागत है आपका ज्ञान से भरी  कहानियों की इस रोचक दुनिया मे। दोस्तों जीवन मे कहानियों का विशेस महत्तव होता है | क्योकि इन कहानियो के माध्यम से हमे बहुत कुछ सीखने को मिलता है |

 

जीवन मे अद्भुत ज्ञान देने वाली hindi moral story का भंडार शिक्षाप्रद कहानियाँ |

 

तो आज हम आपके लिए बीरबल की बुद्धिमानी का एक बहुत ही मशहूर किस्सा लेकर आए हैं जिससे एक बहुत आची बात सीखने को मिलती है तो चलिये जानते है की क्या था वो किस्सा जिसे पढ़ कए आप भी उस अनमोल ज्ञान से परिचित हो पाए |

 

 

 

hindi moral story-सोने की बाली ने पकड़ा सबका झूठ

 

एक बार बादशाह के दरबार के दरबार मे सच्च और झूठ को लेकर कर बाते हो रही थी |दरबार मे बादशाह अकबर और उनके 9 रत्नो मे से बुद्धिमान बीरबल ,सभी मंत्री और दरबारी उपस्थित थे | तभी बादशाह अकबर झूठ बोलने वाले के प्रति अपनी नफरत के बारे बताते  हुए अपना एक किस्सा सुनाते  है –

तो चलिये जानते है की क्या था वो किस्सा |

 

एक बार  रसूल नाम का नौकर बादशाह अकबर के  कक्ष मे रखे बेशकीमती  अलग अलग राज्यों  से मँगवाए फूलदानों  की सफाई कर रहा था |यह काम वह पिछले कई महीनों  से कर रहा था |

की अचानक उस दिन रसूल से सफाई करते वक़्त एक फूलदान हाथ से छूट जाता है फूल दान टूट कर बिखर जाता है |

यह देख रसूल बहुत घबरा जाता है और मन ही मन सोचने लगता है की यह तो जहांपना का पसंदीदा फूल दान था यदि बादशाह अकबर को इसके बारे मे पता चला तो न जाने वह मेरे साथ क्या करेंगे कौन सी खतरनाक सजा देंगे |

इससे पहले की कोई इस कक्ष मे आए और महाराज तक यह बात पहुंचे मुझे यह सब साफ कर देना चाहिए |

इतना सोचते हुए रसूल जल्दी जल्दी उन बिखरे हुए फूलदान के टुकड़ो को समेटना शुरू कर देता है | इसके बाद रसूल उस कक्ष से बाहर चला जाता है और किसी दूसरे काम मे लग जाता है |

 

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कुछ देर बाद बादशाह अकबर स्नान करके अपने कक्ष मे आते है | तब बादशाह अकबर अपने पलंग पर तशरीफ रखते ही फूलदानों की तरफ देखने लगते है |

फूलदानों की तरफ देखते हुए बादशाह अकबर सोचते है यह जगह आज कुछ खाली खाली क्यों लग रही है की तभी बादशाह अकबर को वो अजमेर वाला कीमती और सुंदर फूलदान नजर नहीं आरहा होता |

यह देख बादशाह अकबर क्रोधित हो उठते है और अपने सभी नौकरो को बुलाते है और भारी आवाज़ मे  पूछते है – मेरा अजमेर वाला फूलदान कहाँ है कौन ले गया उसे किसने हटाया  किसकी गुस्ताखी है यह ?

 

तभी वो सफाई करने वाला नौकर घबराते हुए बोलता है  – जहापना ! वो उस फूलदान मे कोई जीव मरा हुआ था जिसमे से बदबू आरही थी इसिसलिए उस फूलदान को साफ करने के लिए मैं उसे यहाँ से ले गया था |

हम अभी उसको ले आएंगे |

 

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यह सुन बादशाह अकबर बोलते है – नही ! उस फूलदान को तुरंत मेरे सामने हाजिर करो |

अकबर की इस जिद्द को देखते हुए रसूल घबरा जाता है और मन ही मन सोचता है की इससे पहले मामला और बढ़े मुझे जहांपना को सब सच्च बता का माफी मांग लेनी चाहिए |

रसूल अब अपने हाथ जोड़ कर  घबराते हुए बोलता है – जहापना ! मुझे क्षमा कर दें – वो जब मे फूलदान साफ कर रहा था तो गलती से वो मेरे हाथ से छूट कर टूट गया था |

 

यह सुन बादशाह अकबर चौकते हुए बोलते है – क्या?  पर अभी तो तुम बोल रहे थे की वो फूलदान धोने के  लिए लेकर गए हो और अभी लेकर आओगे |  इसका मतलब तुमने हमसे झूठ बोला |

 

इतने मे रसूल रोते हुए बोलता है – मुझे क्षमा करदे जहापना – वो मैं बहुत डर गया था इसलिए ऐसा बोला था | आगे से मैं कभी झूठ नहीं बोलूँगा |

 

बादशाह अकबर बोलते हैं – नहीं  ! मैं तुम्हें हरगिज़ माफ नहीं करूंगा | यदि तुमने पहले ही सच्च बोला होता तो शायद मैं तुम्हारे सच्च से खुश हो कर तुम्हें माफ कर देता लेकिन तुमने झूठ बोला है तुम्हें माफी नहीं मिलेगी |

सैनिको इसे तुरंत इस राज्य से बाहर निकाल दो |

 

इस तरह बादशाह अकबर अपना यह किस्सा दरबार मे सुनाते हुए बोलते है की – मुझे झूठ से सख्त नफरत है मैंने अपनी ज़िंदगी मे कभी झूठ नहीं  बोला |

बादशाह अकबर का यह किस्सा सुनने के बाद हर कोई बादशाह की हाँ मे हाँ मिलने लगा और बोलने लगे की – हाँ जहापना ! आप बिलकुल सही कह रहे हो कभी किसी से झूठ नहीं बोलना चाहिए |

 

तो कोई बोलता हाँ जहापना मीने भी अपनी ज़िंदगी मे क्लाभी झूठ नहीं बोला | फिर कोई तीसरा बोलता हाँ जहापना मुझे तो झूठ बोलना आता ही नहीं और झूठ बोलना किसी का विश्वास तोड़ने के समान होता है |

 

इतने मे  बादशाह अकबर की नजर अपने करीब चुपचाप बैठे सबकी बाते सुन रहे बीरबल पर जाती है |

बीरबल को इस तरह शांत बैठा देख अकबर बोलते है – क्या बात है बीरबल तुम कुछ क्यों नहीं बोल रहे |

क्या तुम हमरी सब की बातों से सहमत नहीं हो ?

 

 फिर बीरबल बोले की – जहाँपना ! मुझे नहीं लगता की हमेशा सत्य ही बोलना चाहिए क्योंकि कभी कभी झूठ बोल देना ही सही होता हैं. इसलिए मैंने भी अपनी जिंदगी मे थोड़े बहुत झूठ बोले हैं.

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अब इससे पहले बीरबल आगे अपनी बात पूरी कर पाते, की बीरबल की इस कही गई बात से की मेने झूठ बोले हैं जीवन मे, पूरे दरबार मे खूसूरत फुसुर शुरू हो जाती हैं, अरे बीरबल ने झूठ बोला हैं, वो झूठा हैं, ये वो.

 

और पता नहीं क्या क्या…. मानो उन लोगो ने तो कभी झूठ बोला ही न हो जबकि सत्य तो यह चंद लोगो को छोड़ कर पूरा दरबार झूठे और मक्कार लोगो से भरा हुआ था.

 

अब इधर बादशाह अकबर भी बीरबल की इस बात को सुन कर दंग थे और बीरबल को ही घूरे जा रहे थे.

बादशाह अकबर अब बोलते हैं – मुझे यकीन नहीं होता एक झूठा इंसान यहाँ हमारे बींच बैठा हैं. वो भी 9 रत्नो मे से एक इंसान जो की झूठा इंसान हैं.

 

इतने मे बीरबल बोलता हैं – नहीं नहीं जहांपना ऐसा नहीं हैं किरपा मेरी पूरी बात तो सुन लो. मैं यह कह रहा रहा था की मेने जीवन मे जो झूठ बोले हैं वो बस दूसरे की भलाई के लिए, और ख़ुशी के लिए ही बोले हैं. ना की किसी को कोई नुकसान या दुःख पहुंचाने के मकसद से .

जब छोटे बच्चे किसी ऐसी वस्तु के लिए जिद्द करते हैं जिसे सच मुच पूरा नहीं किया जा सकता तो उस स्थिति मे हमें बच्चो से झूठ बोलना पड़ता हैं.

और भी ऐसी कई स्थितियां हैं जिसमे किसी को हसाने के लिए, या उसकी भलाई के लिए झूठ बोलना कोई बुरी बात नहीं.

बीरबल की यह बात सुनकर बादशाह अकबर का गुस्सा शांत हो जाता हैं और वो बीरबल की बातों से संतुष्ट हो जाते हैं.

 

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अकबर  बोलते हैं- वाह बीरबल, वाकई बात तो आपकी सही हैं.वो दरअसल झूठ के प्रति हमें इतनी नफरत हैं जिस वजह से ये सब बाते हमने सोची ही नहीं की कभी कभी झूठ बोलना सही भी हो सकता  हैं.

लेकिन बीरबल !अगर सामने वाले को यह पता चलेगा की उससे झूठ बोला गया हैं तो उसका तो दिल टूट जाएगा, विश्वास टूट जाएगा. तो ये तो गुनाह हुआ ना.

 

इस पर बीरबल बोलते हैं, नहीं जहाँपना जब उसको पता चलेगा तो हम उसको पूरा सच बता देंगे की उससे झूठ किस प्रयोजन से बोला गया था ताकि वो समझ सके की इसमें उसी की भलाई था अथवा की भी भलाई थी.

बादशाह अकबर बोलते हैं – हाँ बीरबल आपकी बात सही हैं.

इतने मे बीरबल तुरंत बोल देते है- क्षमा करिएगा जहांपना लेकिन इस पूरे दरबार मे भी  ऐसा कोई इंसान नहीं जिसने अपने जीवन मे झूठ ना बोला हो वो बात अलग हैं की कोई सच बोलना नहीं चाहता की मेने अपने जीवन मे झूठ बोले हैं सब आपके खौंफ से डरे बैठे हैं.

जिसके चलते सब आपकी बातों मे हाँ मे हाँ मिला रहे है | बीरबल के इतना बोलते ही पूरे दरबार मे बवाल हो जाता है सभी बोलते है जहांपना यह बीरबल हमेशा अपनी बात को आगे रखने के लिए कुछ भी बोलता रहता है ये एक  नंबर का झूठा इंसान है |

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इतने मे जहांपना सब को शांत होने के लिए कहते है फिर बोलते हैं – नहीं मेरे दरबार मे कोई झूठ  बोलने की गुस्ताखी नहीं कर सकता. और यदि बीरबल आपको लगता हैं की इन सबने मुझसे झूठ बोला हैं की कभी झूठ नहीं बोला तो आप साबित कर के दिखाओ ये बात.

 

बीरबल बोलते हैं ठीक हैं जहांपना मुझे कुछ दिन का वक़्त दें मैं जरूर इस बात को साबित कर दूंगा की यहाँ उपस्थित हर एक इंसान ने अपने जीवन मे झूठ बोले हैं.

बादशाह अकबर बीरबल को अपनी बात साबित करने के लिए कुछ दिन का वक़्त दे देते हैं.और साथ मे कहते है जब तक तुम अपनी बात साबित न कर दो तब तक इस दरबार मे कदम मत रखना |

इधर बीरबल अब अपने काम मे लग जाते हैं. बीरबल बहुत बुद्धिमान और चतुर थे.

सबसे पहले बीरबल अपने एक गुप्तचर को बुलाते हैं. उस गुप्तचर को अपने नगर के साथ साथ आस पास के सभी नगरों की अच्छी जानकारी थी.

बीरबल उस गुप्तचर को बोलते हैं की – गुप्तचर ! क्या तुम किसी ऐसे कुशल सुनार कारीगर को जानते हो जिसके जैसा सुनार कारीगर पूरे नगर मे नहीं.

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गुप्तचर बोलता हैं – हाँ, एक ऐसा कारीगर हैं लेकिन दूसरे नगर मे रहता हैं उसकी कारीगरी सबसे उम्दा किस्म की हैं. उसके जैसा कारीगर पूरे राज्य मे भी नहीं.

बीरबल तुरंत गुप्तचर को उस कारीगर को के पास लें जाने को बोलते हैं.

गुप्तचर बीरबल को उस कारीगर के पास लें जाता हैं. बीरबल बोलते हैं तुम यहीं रुको मे उस कारीगर से मिल कर अभी आता हूं.

बीरबल सुनार के घर का दरवाजा खटखटाते हैं. सुनार दरवाजा खोलता हैं. बीरबल उन्हें प्रणाम करते हैं. सुनार बोलता हैं जी बताइये क्या काम हैं.

तब बीरबल उस सुनार कारीगर को गेहूं के फसल की एक बाली दिखाते हुए कहते हैं – जी मुझे बिल्कुल ऐसी ही सोने की बाली बनवानी हैं आपसे. क्या आप काल शाम तक मुझे ऐसी ही सोने की बाली बना कार दे सकते हो?

मैं तुम्हे इस काम के दोगुना दाम दूंगा. लेकिन बाली मुझे कल शाम तक तैयार चाहिए.

सुनार कुछ देर बाली को देखता हैं फिर बोलता हैं हाँ बना दूंगा लेकिन समय थोड़ा ज़ादा भी लग सकता हैं.

बीरबल बोलते हैं कोई बात नहीं हम कुछ देर और इंतज़ार कर लेंगे. तो ठीक हैँ हम चलते हैँ आप कल शाम तक बाली बना कर तैयार रखना. प्रणाम.

 

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इतना बोल बीरबल वहाँ से चले जाते हैं. अगले रोज बीरबल शाम को वहां फिर से सुनार कारीगर के घर पहुँच जाते हैं.

कारीगर बोलता हैं बस कुछ समय और दो बाली लगभग तैयार ही हम अभी उसको लें कार आते हैं.

कुछ देर बाद कारीगर वो सोने से चमचमाती हुई बाली लेकर आजाता हैं. बीरबल जैसे ही उस बाली को देखते हैं दंग रह जाते हैं.
हूबहू गेहूं की बाली तरह दिखने वाली सोने की बाली चमक और बेहतरीन कारीगरी का नज़ारा देखकर बीरबल उस सुनार की खूब प्रशंसा करते हैं. अब बीरबल उस कारीगर को उस सोने की बाली के बदले दोगुना दाम देकर सुनार से वो बाली खरीद लेते हैं और वहाँ से चले जाते हैं.

 

बीरबल वो सोने की बाली लें कर अगली सुबह बादशाह अकबर के दरबार मे प्रस्तुत होते हैं.

बीरबल को देख बादशाह अकबर बोलते है – अरे बीरबल तुम यहाँ कैसे ? मैंने बोला था की जब तक  यहाँ उपस्थित सभी लोगो को तुम झूठा साबित न कर दो तब तक यहाँ मत आना |तो फिर मेरे फरमान की अवहेलना करके यह गुस्ताखी कैसे की तुमने ?

 

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बीरबल बोलते हैं – शांत हो जाए जहांपना ! हाँ मुझे अकि वो बात अब भी अच्छे से याद है और रही मेरी बात तो उसके लिए अभी कुछ वक़्त बाकी है |

 

लेकिन इस नगर का एक ईमानदार नागरिक होने के नाते मैं आपको कुछ दिखने आया हूँ | मुझे एक ऐसी चीज मली है जो हमारी सल्तनत को दुनिया मे  सबसे अमीर बना देगी |

 

तब बीरबल वो सोने की चमचमाती हुई बाली जैसे ही जहांपना के सामने लाते है तब बादशाह सहित पूरे दरबार की आखें फटी की फटी रह जाती है |

 

सोना तो सब ने देखा था लेकिन हूबहू गेहूं के बाली की तरह दिखने वाली सोने की बाली देख किसी की भी पलके झपक नहीं रही थी |

 

बादशाह अकबर बाली को अपने हाथ से पकड़ते है और बड़ी ध्यान से देखते हुए कहते है -अद्भुत , लाजवाब , बीरबल ! यह कैसा करिश्मा है यह  सोने की बाली तुम्हें कहाँ से मिली ? और इस एक बाली से भला हम कैसे अपनी सल्तनत को दुनिया का सबसे अमीर सल्तनत बना पाएंगे ?

 

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अब बीरबल बोलते है – उस दिन जब मैं यहा से घर  जा रहा था तब  रास्ते मे  मुझे वहाँ एक बहुत ही तेजस्स्वि साधू मिले उनका रूप बहुत ही आकर्षणकारी था मैं वहाँ रुका और उन्हे प्रणाम किया| 

 

वह मेरे और मेरे परिवार के बारे सब कुछ जानते थे तब मैंने उनसे उनके बारे पूछा तो वह बताने लगे की हम  हिमालय से आए हैं और अब हमारे पास समय बहुत कम है |

 

इतना बोलते हुए वह साधू बाबा मुझे यह सोने की बाली देते हुए कहते हैं की इस राज्य मे जल्दी ही एक बहुत बड़ा

संकट आने वाला है जिसमे तुम्हारे बादशाह अकबर का सब धन देखते ही देखते समाप्त हो जाएगा और सारी जनता भूख प्यास से मर जाएगी |

 

इसलिए उस संकट से जूझने के लिए हम तुम्हें यह सोने की जादुई बाली दे रहे हैं इसे एक अच्छी सी उपजाऊ जमीन मे बो देना फिर कुछ दिनों बाद पूरे जमीन पर सोने की बालियां निकाल आएंगी |

 

जिससे न  तुम अपने नगर की सभी जरूरतों को पूरा कर पाओगे बल्कि पूरे देश मे सबसे धनवान हो जाओगे | इतना कहकर वह साधू महात्मा नदी पर चल कर वहाँ से चले जाते है |

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बीरबल की यह सब बाते सुन बादशाह अकबर सहित पूरे दरबार मानो मातम छा जाता है सब लोग बस बीरबल के मुंह की तरफ ही देखे जा रहे थे | इधर बधशाह अकबर भी बीरबल की बातों से सन्न आरएच जाते है |

फिर बादशाह अकबर बोलते हैं – बीरबल ! यह तुम क्या अनाप शनाप कुछ भी बोले जा रहे हो और तो और बोल रहे हो की वह साधू नदी पर चल कर गया | यह कैसे हो सकता है मुझे तुम्हारी बातों पर यकीन नहीं होता |

 

तब बीरबल बोलते हैं – नहीं जहांपना मैं बिलकुल सत्य बोल रहा हूँ | मुझे तो उस समय अपनी आखो पर यकीन ही नहीं हुआ की वह पानी पर चल कर ऐसे जा रहे थे जैसे हम सब लोग जमीन पर चलते है | वह वाकई बहुत पहुंचे हुए साधू थे |

 

अब बादशाह अकबर तुरंत उस बाली के उपजाऊ जमीन देख कर उसे बोने का आदेश देते है | इस पर बीरबल बोलते है की मैंने सबसे उपजाऊ जमीन पहले से देख रखी है बस अब इसको बोना है |

 

बादशाह अकबर बोलते है – ठीक है कल सुबह ही इसकी उस जमीन पर बुआई करेंगे | इस प्रकार सुबह होते ही बीरबल  अकबर सहित  सभी दरबारियों सहित उसी उपजाऊ जमीन पर पहुँच जाते है | अब बादशाह अकबर बोलते है – चली बीरबल इसकी बुआई शुरू करो |

 

बीरबल बोलते है – नहीं जहांपना! मैं इसकी बुआई अपने हाथो से नहीं कर सकता | 

इस पर अकबर बोलते है – क्या मतलब तुम इसकी बुआई नहीं कर सकते | क्या बोल रहे हो यह ? क्यों नहीं कर सकते ?

बीरबल बोलते हैं – जहापना ! साधू जी ने बोला था की कोई ऐसा इंसान ही इस बीज की बुआई कर सकता है जिसने अपने जीवन मे कभी झूठ न बोला हो | यदि किसी झूठे इंसान के हाथो इसकी बुआई हुई तो यह बीज नष्ट हो जाएगा | और आपको तो पता ही है की मैंने कितने झूठ बोले है अपने जीवन मे |

 

 

इतना सुन बादशाह अकबर अपने सभी दरबारियों की तरफ देखते हुए बोलते हैं की आप मे से कोई भी आए और इस बीज की बुआई आरंभ करे |

 

किन्तु कोई भी निकाल कर सामने नहीं आता  सब लोगो की गरदन डर से और शर्म से नीचे झुक जाती है |

यह देख बादशाह अकबर को यकीन नहीं होता की मेरे दरबार मे कोई भी ऐसा नहीं जिसने अपने जीवन मे झूठ न बोला हो और अब तक मेरे सामने  झूठ मूठ सच्चाई की मूर्ति बने बैठे थे सब |

यह सब सोच कर अकब बहुत गुस्साऔर निराश होते है | फिर बीरबल बोलते है – जहापना अब आप ही इस बीज को बो सकते हो |

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यह सुन अकबर बोलते है अरे नहीं मैं कैसे बो सकता हूँ  अब मैंने भी बचपन मे झूठ बोले ही हैंगे | अब ऐसे मे अगर इस बीज को मीने बोया तो यह तो नस्ट हो जाएगा तो हम क्या करेंगे फिर | 

 

अब बीरबल भी सबको सच्च बताते  हुए कहते हैं – जहापना ! क्षमा करना मैंने यह झूठ बोला था की यह बाली किसी साधू  महात्मा ने दी है \ यह कोई चमत्कारी बाली नहीं है बल्कि इसे मैंने इसे उस दिन नगर के सबसे बेहतरीन कारीगर से बनवाई थी जब दरबार से बाहर गया था |

 

यह झूठ मैंने सबका झूठ आपके सामने लाने के लिए और अपनी बात को सही साबित करने के लिए बोला था |

बीरबल की बात सुन अकबर बीरबल की बुद्धिमानी की खूब प्रशंसा करते है |

 

तो देखा दोस्तों कैसे बीरबल ने अपनी समझदारी से सबकी असलियत सामने ला  दी |

 

इस कहानी से हमे क्या सीख मिलती है ?what moral from this story

इस कहानी से हमे यह ज्ञान मिलता है की जीवन मे किसी की भलाई के लिए या खुशी के लिए या किसी की आखों पर पड़े गलतफहमी के पर्दे को हटाने के लिए यदि झूठ का सहारा लेना पड़े तो यह कोई बुरी बात नहीं | 

लेकिन वो झूठ कभी न बोले जिससे किसी को नुकसान पहुंके या उसका दिल दुखे या उसे दुख हो |hindi moral story

 

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