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Inspirational story for student in hindi

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आज हम लाए है Inspirational story for student in hindi जिसका नाम है पक्के साधक कैसे बने, यह एक ऐसी प्रेरणादायक कहानी है जो आपको जवन मे सफलता प्राप्त करने और एक पक्का साधक बनने क़ी शिक्षा व प्रेरणा देगी.

Inspirational story for student in hindi 

 एक बार एक गुरूजी अपने शिष्यों को भक्ति का उपदेश देते हुए समझा रहे थे कि बेटा पक्के साधक बनो, कच्चे साधक ना बने रहो । एक कच्चा साधक जीवन के दुखो से जीत नहीं सकता.भक्ति के मार्ग पर चल कर जनकल्याण करना, सेवा करना सरल नहीं होता इसके लिये  मन पर काबू रखना अती आवश्यक है जो क़ी एक तपस्या क़ी भांति है. यह वही साधक कर सकता है जिसकी साधकता पक्की हों.

 

 

कच्चे पक्के साधक की बात सुनकर एक नये शिष्य के मन में सवाल पैदा हुआ !

उसने पूछ ही लिया “ गुरूजी ये पक्के साधक कैसे बनते हैं ?”

 गुरूजी मुस्कुराये और बोले, बेटा एक गाँव में एक हलवाई रहता था । हलवाई हर रोज़ कई तरह की मिठाइयाँ बनाता था, जो एक से बढ़कर एक स्वादिष्ट होती थी ।

एक बार वो हलवाई अपनी बहन को मिलने उसके घर गया. उसकी बहन विवाहित थी उसका एक पुत्र भी था.

हलवाई को देख बहन, जीजा और भांजा बहुत खुश हुए.

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शाम के वक़्त बहन और जीजा मंदिर जाने क़ी तैयारी कर रहे थे तभी हकवाई बोला आप मंदिर हों आओ मै तब तक हलवा बना देता हु सब एक साथ बैठ कर खाएंगे.

वो मंदिर चले गए पर बेटा घर पर ही था. बच्चे को बहुत भूख लग रही थी. बच्चा बार – बार आकर मामा से पूछता*! 

“ मामा हलवा बन गया क्या ?”  – मामा बोले! “ अभी कच्चा है बेटा, इंतज़ार करो अभी वक़्त लगेगा पकने मे.

वह थोड़ी देर प्रतीक्षा करता और फिर आकर मामा को आकर पूछता – “खुशबू तो अच्छी आ रही है, हलवा बन गया क्या ?” मामा बोले – “ अभी कच्चा है, थोड़ी देर और लगेगी ।” एक बार, दो बार, तीन बार, बार – बार उसके ऐसा बार बार पूछने से मामा थोड़ा चिढ़ गया !

 उसने एक प्लेट उठाई और उसमें कच्चा हलवा रखा और बोला – “ ले बच्चे खा ले” 

बच्चे ने खाया तो बोला – “ ये हलवा हों ख़ाने मे स्वाद नहीं लग रहा है” 

मामा तुरंत बोले “ अगर अच्छा हलवा खाना है तो कुछ देर शांति से बैठो और मुझे हलवा बनाने दो बार बार तंग मत करो.।” इस बार बच्चा चुपचाप जाकर कुर्सी पर बैठ गया I

इतने मे बच्चे के माता पिता भी मंदिर से आगए.

कुछ ही देर बाद जब हलवा पककर तैयार हो गया तो मामा जी ने थाली में सजा दिया और  टेबल पर सभी के लिये परोस दिया । 

इस बार जब उस बच्चे ने हलवा खाया तो उसे हलवा बहुत स्वादिष्ट लगा.

उसने मामा से पूछा – “ मामा ! अभी थोड़ी देर पहले जब मैंने इसे खाया था, तब तो इसका स्वाद अच्छा नहीं था. अब इतना स्वादिष्ट कैसे बन गया ?”

       तब मामा ने उसे प्रेम से समझाते हुए कहा – “ बच्चे जब तू ज़िद कर रहा था, तब यह हलवा कच्चा था और अब यह पक गया है अच्छे से पकने क़ी वजह से इसमें मिलाए सभी तत्व भी अच्छे से पक गए.

कच्चा हलवा खाने में अच्छा नहीं लगता यदि फिर भी उसे खाया जाये तो पेट ख़राब हो सकता है. लेकिन पकने के बाद वह स्वादिष्ट और पोष्टिक हो जाता है ।”

Inspirational story for student in hindi से सीख 

अब गुरूजी अपने शिष्य से बोले  बेटा!एक साधक का जीवन भी ठीक इसी प्रकार होता है.

ज़ब तक साधक का ज्ञान, विश्वास,आस्था, निष्ठां, उसूल, और भक्ति कच्ची है तब तक उसका जीवन भी एक अच्छे हलवे के भांति बेस्वाद ही रहेगी. जीवन मे संतुस्टी प्राप्त नहीं होगी ज़ब तक साधक का ज्ञान कच्चा है वो माया रूपी दलदल से निकल नहीं सकता हर बार गलतियों पर गलतियाँ करता रहेगा और दुख भोगता रहेगा.

जिस तरह एक हलवा आग क़ी आँच मे खूब देर पकने के बाद पक कर स्वादिष्ट और पौष्टीक हुआ उसी तरह एक साधक के जीवन मे भी आग क़ी आंच जैसे अगल अगल रूप मे मुश्किलें दस्तक देती है. अलग अलग प्रकार परिस्थितियाँ तोड़ने आती है जिसका निडरता से सामना करता हुआ साधक अपने अंदर क़ी अच्छाईयों, गुणों को निखारता है. जीवन क़ी मुश्किलों से जीत कर आगे बढ़ना हमारे आत्मविश्वास को मजबूत करता है ज्ञान और तजुर्बे को मजबूत करता है जिससे साधक का जीवन भी पके हलवे क़ी भांति स्वादिष्ट और पौष्टीक हों जाता है यानी जीवन खूबसूरत हों जाता है मन को एक सुकून मिलता है.

Inspirational story for student in hindi आपको कैसी लगी जरूर बताना. ऐसी ही ज्ञानवर्धक शिक्षाप्रद कहानियाँ पढ़ते रहने के लिये हमारे blog से जुड़े रहे.

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