नमस्कार दोस्तों एक बार फिर से स्वागत करता हूं हमारी आज की प्रेरणादायक पोस्ट motivational speech for woman मे. इस motivational पोस्ट मे आज हम कुछ महिलाओ की ऐसी inspirational story लेकर आए है जिनके जीवन से बहुत प्रेरणा मिलती है.
इस motivational पोस्ट का मकसद महिलाओ मे नारी शक्ति को जगाना है और ये बताना है की वो जीवन हर मुकाम हासिल कर सकती है.
इसके इलावा आज की ये motivational speech उस इंसान के लिए बहुत बड़ी इंस्पिरेशन बनने बनने वाली है जो लोग अपनी किसी शारीरिक समस्या को लेकर रोते रहते है और किस्मत को कोसते हुए ये बोलते है मेरा एक हाथ नहीं,
मैं अंधा हूं, मेरे पैर नहीं है, मैं अपंग हूं. हमारे पास धन नहीं था एजुकेशन नहीं था, साधन नहीं था. इस वजह से हम जंदगी मे आगे नहीं बढ़ पाए.
इंसान की मेहनत और उसका हुनर किसी साधन का मोहताज़ नहीं होता,
भर के देख जुनून कामयाबी का अपने सीने मे
सफलता से बड़ा दुनियां मे कोई ताज नहीं होता..
पंखो से ज़ब भरता है परिंदा पहली उड़ान अपनी,
खुद पर ये उसका सबसे बड़ा विश्वास होता है.
आफलताओ से सीखने का मौका मिलेगा…
बोलता है तजुर्बा की
सीखा हुआ कुछ भी, कभी बेकार नहीं होता..
Table of Contents
जुनून भर देने वाली motivation speech for woman hindi

आज की इस स्पीच की शुरुआत करते है पहली inspirational story अरुणिमा सिन्हा के जीवन संघर्ष से.
अरुणिमा सिन्हा जिद्द का एक ऐसा नाम जिसने लक्ष्य को हासिल करने के लिए पागलपन की सारी सीमाए लाँघ दी.
अरुणिमा सिन्हा ज़ब 23 की थीं तब इनकी जिंदगी मे दिल दहला देने वाली ऐसी घटना घटी जिसने हर इंसान के रोंगटे खड़े कर दिये.
पद्मावती एक्सप्रेस ट्रेन मे सवार हो कर अरुणिमा लखनऊ से दिल्ली की तरफ जा रही थीं वहीं उस ट्रेन मे कुछ शातिर बदमाश चढ़े जिन्होंने अरुणिमा के गले से सोने की चेन छीनने का प्रयास किया इस छीना झपटी के बीच अरुणिमा को चलती ट्रेन से उठा कर ट्रेन से बाहर फैंक दिया गया.
इस हादसे के दौरान अरुणिमा अपने दोनों पैर गवां बैठी. अधमरी हालात मे 12 घंटे अरुणिमा पटरियों पर पड़ी रही कई ट्रेने उसके दाए पैर के ऊपर गुजरती रही. चूहें उसके घाव की कुतरती रही.
ये वो सिचुएशन थीं जिसमे आम इंसान जीने की उम्मीद छोड़ देता है.
लेकिन इस लड़की ने हार नहीं मानी. मानसिक तौर पर बहुत मजबूत थीं.
2 महीने हॉस्पीटल मे पड़ी रही ऑपरेशन हुआ और दो नकली पैर जोड़े गए.
Motivational speech for woman
लेकिन इस बीच आगे की जिंदगी मे क्या करना है क्या होगा इसके बारे कुछ भी ना सोच कर अरुणिमा के दिमाग़ मे कुछ और ही चल रहा था.
वो था एक लक्ष्य, जी हाँ एक ऐसा लक्ष्य जिसे पाने के बारे मे एक आम इंसान सपने मे भी नहीं सोचता.
वो लक्ष्य था दुनियां की सबसे ऊँची चोटी माउंटएवरेस्ट को फतेह करना.
ये लक्ष्य जिद्द और जुनून मे बदल चुका था.
इस हादसे के बावजूद भी इस लड़की की ज़िद्द और हौसले देखो… की ना सिर्फ एवरेस्ट को फतेह करने की सिचि बल्कि उसे सच्च मे बदलने के लिए ट्रेनिंग भी शुरू कर देती है.
अब ये पागलपन नहीं तो और क्या है.
इसी ज़िद्द और पागलपन के चलते एक दिन अरुणिमा माउंटएवरेस्ट को फतेह कर तिरंगा लहराते हुए इतिहास के पन्नो मे अपना नाम हमेशा के लिए दर्द करवाती है और करोड़ो महिलाओ एवम अपंग व्यक्तियों के लिए ये इंस्पिरेशन बन जाती है.
की इंसान शारीर से नहीं मानसिकता से अपंग होता है.
ग़र खुद पर विश्वास हो और ज़िद्द ठान लिया जाए तो हर लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है.
जोश से भर देने वाली इस पोस्ट पूरी डिटेल से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें ?
अरुणिमा सिन्हा फुल बायोग्राफी hindi
तो दोस्तों यह motivational speech for woman hindi पोस्ट की इस inspirational story से आपको क्या सीख मिली कमेंट करके जरूर बताना.
मैं चाहता हूं की इस inspirational story को ज़ादा से ज़ादा लोग पढ़े ताकी वो भी inspirational story से प्रेरित हो अपनी जिंदगी की एक नई शुरुआत करें हिम्मत जुटा कर आगे बढ़े और अपने लक्ष्य को हासिल करें.इसलिए इस inspirational story को खूब शेयर करें.
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चलिए बढ़ते है अपनी अगली inspirational story की तरफ.
2.मानसी जोशी की life inspirational story –
ऐसी ही एक और कहानी है. बैडमिंटन खिलाड़ी मानसी जोशी की.
अगर पैर मे मोच आजाए तो मंजिल तो बहुत दूर की बात है. थोड़ी दूर चल पाना भी बहुत मुश्किल हो जाता है.
लेकिन …..10 साल की उम्र मे ही “मानसी जोशी” को बैडमिंटन से मोहोब्बत हो जाती है.
मोहोब्बत पैशन बदलता और पैशन जुनून मे,
फिर एक सपना सजाते हुए ये लड़की ज़िद्द बना बैठती है gold मैडल जीतने का.
इस लड़की ने अपने आप को इतना ट्रेंड कर लिया, की ज़ब ये स्कूल मे थीं तभी डिस्टिक लेवल का मैच जीतने लगी.
लेकिन एक बार एक हादसे मे इस लड़की ने अपना “एक पैर” खो दिया.
दोस्तों ये वो सिचुएशन थीं, जिसमे बड़े से बड़े ताकतवर लोगो के हौसले और सपने धरे के धरे रह जाते है.
लेकिन मानसी जोशी के मन जुनून का वो दरिया बह रहा था जिसने इसे himnt ना हारने दी. और अपने अपने को एक नया मुकाम देने के लिए प्रेरित किया.
मन से बहुत मजबूत इरादों वाली थीं लड़की और उससे भी ऊपर उसकी ज़िद्द थीं इसीलिए ये घटना उसके इरादों को विचलित नहीं कर सकी.
दो महीने हॉस्पिटल मे पूरा ट्रीटमेंट चला एक आर्टिफिशल पैर जोड़ा गया. मानसी फिर से अपने पैरो पर अब खड़ी होने लगी.
मानसी रुकी नहीं धीरे चलना सीखा और दौड़ने की प्रेक्टिस शुरू कर दी.
मन मे जुनून लिए बैडमिंट की प्रेक्टिस दोबारा शुरू कर दी.
उसको ये ताकत,एक बेहतरीन खिलाड़ी बन कर gold मैडल लाने के पागलपन से मिलता था
मानसी ट्रेनिंग लेने के लिए कोरेला गोपीचंद अकेडमी पहुँचती है और वहाँ जाकर बोलती है की मुझे पैरा बेडमॉन्टन वर्ल्ड चैम्पियनशिप जीतनी है.
इस ट्रेनिंग के दौरान तमाम उतार चढ़ाव के बाद दिन रात प्रेक्टिस करके कम समय मे मानसी खुद को इतना ट्रेंड कर लेती है की 2015, 16, 17, 18 4 सालों तक मेडल्स पर मेडल्स जीतती चली जाती है.
समय आता है 2019 का
जिसमे पैरा वर्ल्ड बैडमिंट चेम्पियनशिप मे gold मैडल जीत कर अपना सपना पूरा करती है..
मानसी ने अपने इस जीवन संघर्ष से ये motivational मैसेज दिया की सिचुएशन कैसी भी हो संघर्ष करते रहना हमेशा जारी रखना, उम्मीद कभी मत छोड़ना और खुद पर हमेशा विश्वास रखना.
मानसी आज करोड़ो खिलाड़ियों के लिए बहुत बड़ी इंस्पिरेशन है..
करोड़ो लोग है इस दुनियां मे जो लक्ष्य को पाने के लिए दौड़ लगा रहे है, लेकिन जीतता वहीं है जो दौड़ पूरा करने जे लिए नहीं बल्कि जीतने के लिए दौड़ता है.
तो दोस्तों यह motivational speech for woman hindi पोस्ट की इस inspirational story से आपको क्या सीख मिली कमेंट करके जरूर बताना.
मैं चाहता हूं की इस inspirational story को ज़ादा से ज़ादा लोग पढ़े ताकी वो भी inspirational story से प्रेरित हो अपनी जिंदगी की एक नई शुरुआत करें हिम्मत जुटा कर आगे बढ़े और अपने लक्ष्य को हासिल करें.
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चलिए बढ़ते है अपनी अगली inspirational story की तरफ.
3.पीवी. संधू inspirational story |PV SINDHU success biography hindi
ऐसी ही एक रोंगटे खड़े कर देने वाली कहानी है बैडमिंटन प्लेयर पीवी सिंधु की,
I होप, आपको याद होगा – 2017 का वो फ़ाइनल मैच, जिसमे pi वी सिंधु, कैरोलिना मारिन से बुरी तरह से मैच हार गई थीं.
लेकिन उसके अंदर की जिद्द और पागलपन ने हार नहीं मानी थीं.
जिसके चलते पीवी ने ये समझा की उसे अभी और प्रेक्टिस की जरूरत है.
बस फिर क्या था, उसने अपनी प्रेक्टिस को और तेज़ कर दिया
कोलेला गोपीचंद अकेडमी मे प्रेक्टिस करने के बाद पीवी सिंधु
रोज 56 किलोमीटर दूर सुचित्रा बैडमिंट अकेडमी मे जाती और वहाँ श्रीकांत वर्मा से डायरेक्ट ट्रेनिंग लेती.
वो रोज इतनी खतरनाक ट्रेनिंग करने लगी कीbuski ट्रेनिंग की video को देखकर ही महेंद्र ग्रूप के चेयरमैन, के रोंगटे खड़े हो गए.
उन्होंने कहा कु इतनी खतरनाक ट्रेनिंग, मैंने अपनी जिंदगी मे नहीं देखी. मैं तो ये वीडिओ दखे कर ही थका महसूस कर रहा हूं.
दोस्तों इस लड़की ने हारने के बाद खुद को इतना ट्रेंड किया की इस बार PV.सिंधु ज़ब फ़ाइनल मैच मे पहुंची तो उनका मुकाबला इस बार फिर से कैरोलिना मारिन से हुआ.
लेकिन इस बार PV सिंधु ने कैरोलिना को बुरी तरह हराते हुए पूरा मैच 38 मिनट मे खत्म कर डाला, ये 38 मिनट रोंगटे खड़े कर देना वाला दृश्य था.
इसे कहते है जिद्द, एक ऐसा पागलपन जो आपको दुनियां जीतने पर मजबूर कर दे.
गोल्डमेडल जीत कर इतिहास रचते हुए पीवी सिंधु करोड़ो भारतीय महिला खिलाड़ियों के लिए इंस्पिरेशन बन गई.
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4.हीमा दास inspirational story
ऐसी ही एक कहानी है….एक ऐसी लड़की की . जिसने कम उम्र मे ही रोंगटे खड़े कर देने वाले मुकाम हासिल किये.
जी हाँ हम बात कर रहे है रफ़्तार की दुनियां मे अपनी जीत का परचम लहरा चुकीं हीमा दास की.
हीमा असम के एक गरीब परिवार मे जन्मी आज रेस की दुनियां मे बहुत बड़ी एथलीट्स बन चुकीं है.
हीमा दास ने अपनी यह जर्नी, फ़टे हुए जूतों से शुरू की थी. जिद्द और जुनून ऐसा, की अपने पूरे ओलम्पिक करियर मे 8 gold मैडल,
समय आया वर्ल्ड अंडर टवेटीं चेम्पियनशिप का जो की टेम्पियर फ़िनलेंड मे हो रहे थे | इस मुक़ाबले मे हिमा दस ने 400 मीटर की फ़ाइनल रेस जीत कर गोल्ड अपने नाम किया |
इसी के साथ हिमा दास रेस के किसी भी इंटेरनेशनल ट्रैक पर गोल्ड जीतने वाली भारत की पहली महिला स्प्रिंटर बन गई |
बस फिर यहीं से शुरू हो गई हिमा दास के गोल्ड मेडल जीतने की कहानी |
इसके बाद आगे चल कर इंडोशिया के जकार्ता मे हो रहे एशियन गेम्स मे हिमा दास ने दो गोल्ड मेडल और एक सिल्वर मेडल जीत कर भारत का नाम पूरी दुनिया मे रोशन कर चुकी थी |
इसके बाद 2019 मे पोलेंड और चेक रिपब्लिक मे हो रहे अलग अलग जगह पर अंतराष्ट्रीय टूर्नामेंट मे 5 दिन मे हिमा दास ने 5 गोल्ड मेडल जीत कर इतिहास रच डाला और पूरी दुनिया को अपनी रफ्तार का लोहा मनवाया |
इस अद्भुत कामयाबी के चलते हिमा दास को श्रे राष्ट्रपति महोदय द्वारा अर्जुन पुराष्कर से सम्मानित किया गया |
आज हीमा दास DSP के पद पर है.
रोंगटे खड़े कर देने वाली हिमदास की फुल बायॉग्रफी पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.
? हिमादास फुल inspirational बायोग्राफी hindi
स्वतन्त्रता दिवस की रोंगटे खड़े कर देने वाली speech – 15 अगस्त भाषण
तो दोस्तों इनमे से किसकी life से आपको ज़ादा इंस्पिरेशन मिली कमेंट करके जरूर बताना.
motivational speech for woman hindi
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