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Mirabai chanu jeevni | full biography in hindi

Mirabai chanu kaun hai – नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका एक बार फिर से दिल छू जाने वाली motivational और inspirational biography मे. आज हम जानेंगे की कैसे गांव की एक लड़की लकड़ियाँ बीनने से लेकर विश्व चैंपियनशिप तक का सफर तय कर पाई.

23 जुलाई 2021 को जापान की राजधानी टोक्यो मे ओलिंपिक का आगाज़ (शुभारंभ) हो  चुका था | जिसमे तमाम देशो के साथ भारत ने भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया |

भारत के तमाम खिलाड़ी धुरंधरों ने अपने बेहतरीन खेल का प्रदर्शन किया | जिनमे से मीराबाई चानू ने वेट लिफ्टिंग प्रतियोगिता मे भारत को रजत पदक (सिल्वर मैडल) दिलवाया | 

tokyo olympics 2021 मे मीरा बाई चानू पहले ही दिन रजत पदक हासिल करने वाली  भारत की पहली भारतीय महिला बन चुकी है |

लेकिन बात इतिहास की , कीजाए तो अंतराष्ट्रीय खेलो के 69 किलोग्राम महिला श्रेणी भार उत्तोलन मे पहली बार रजत पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला का खिताब भारतीय खिलाड़ी कर्णम म्ल्लेश्वरी को जाता है |

 

इन्होने सन 2000 मे आस्ट्रेलिया के सिडनी शहर मे ओलंपिक खेल प्रतियोगिताओ माय यह रजत पदक जीता था तब भार उत्तोलन खेल को पहली बार अंतर राष्ट्रीय खेलो मे शामिल किया गया था |

 

तो चलिये मीराबाई चानू के जीवन परिचय के बारे जानते है |

Table of Contents

Saikhom Mirabai Chanu Biography Hindi | saikhom merabai chanu jivan parichy 

 

Mirabai chanu का जन्म 8 अगस्त 1994 मे , एक गरीब परिवार मे हुआ | इनका  जन्म भारत के उत्तर पूर्वी राज्य मणि पुर की राजधानी इम्फ़ाल से 20 किलोमीटर दूर एक गाँव है नोंपोंग काइक्चिं | इनके पिता का नाम साइखोम कृति मैतेई है | इनकी माता का नाम साइखोम ऊँगबी तोम्बी लीमा है |

 

Table Of Biography
पूरा नाम (full name) साइखोम मीराबाई चानू
राष्ट्रियता (natinality) भारतीय 
जन्म तिथि (Date of birth) 8 अगस्त 1994
माता का नाम (father name) साइखोम  ऊँगबी तोम्बी लीमा 
पिता का नाम (mother name) साइखोम कृति मैतेई
कद (hight) 1.50 मीटर 
वजन (weight) 49 किलो
निवास (home town) असम भारत 
प्रतिस्पर्धा (competition) भार उत्तोलन (weight lifting)
कोच (coch) कुंजरनी देवी 

 

Mirabai chanu – लकड़ियाँ बीनने से लेकर विश्व चैंपियन बनने तक का अद्भुत सफर 

मीरा बाई चानू अपने परिवार सहित एक असम के गाँव मे रहा करती थी | तब के समय गैस सिलेन्डर की सुविधा न होने की वजह से  भोजन चूल्हे पर पकाया जाता था |

इसके लिए रोज खूब सारी लकड़ियों की जरूरत पड़ती | 12 वर्ष की उम्र से ही लकड़ियाँ लेने के लिए चानू अपनी माँ और बड़े भाई के साथ लड़ियाँ लेने जाया करती थी |

मीरा बाई चानू  का कहना है की उस दौरान मीरा बाई चानू अपने भाई से भी अधिक वजन वाले लकड़ियों के गट्ठर को उठा लेती थी |  

 

Mirabai chanu – खेल का चुनाव और ट्रेनिंग 

बचपन से ही मीरा बाई चानू  को खेल कूद मे रुचि थी लेकिन जब भी मीरा बाई चानू के भाई बहन दोस्त  बारिश मे फुटबाल खेलते तो उनके कपड़े बुरी तरह से गंदे हो जाते तब मीरा बाई चानू ने निर्णय लिया की मै कोई साफ सुथरी गेम का चुनाव करूंगी | यानि जहां पर कपड़े गंदे न हो साफ सुथरा खेला जा सके |

 तो इन्होने जब आर्चरी (तीर धनुष निशाना प्रतियोगिता) होते हुए देखि तो इन्होने सोचा की आर्चरी को ही as a sports ले लिया जाए | क्योकि यह खेल उन्हे बहुत नीट and क्लीन लगी |

इसके बाद आर्चरी ट्रेनिंग के मकसद से सन  2008 मे 14 साल की उम्र मे  मीरा बाई चानू जब अपने कजन के साथ इम्फ़ाल गई तो वहाँ इन्होने sports authority of india ट्रेनिंग सैंटर  मे ट्रेनिंग करने की सोची लेकिन वहाँ पर आर्चरी की ट्रेनिंग नहीं दी जाती थी | 

 

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Saikhom Mirabai Chanu

वेट लिफ्टर बनने की प्रेरणा 

तब उस वक़्त इन्होने वहाँ पर वेटलिफ्टिंग कर रही कुंजरानी देवी की विडियो क्लिपिंग देखी  तो उनके बारे मे इन्होने जानकारी जुटाई तब इन्हे जो जान कारी मिली उससे यह बहुत जादा इंस्पायर हुई | तब यही से इन्होने फैसला लिया की मै अब वेट लिफ्टिंग की ही ट्रेनिंग लूँगी यहाँ | वहाँ पर इंटरनैशनल कोच अनीता चानू ने इन्हे वेट्लिफिंग से introduce करवाया |

 

Mirabai chanu – ट्रेनिंग सेंटर गाँव से 22 किलोमीटर दूर

ट्रेनिंग सेंटर मीराबाई चानू के गाँव से 22 किलोमीटर दूर था | ट्रेनिंग के लिए रोज इन्हे सुबह 6 बजे ट्रेनिंग सैंटर पहुंचाना होता था | तब किसी तरह बस सफर करके ये ट्रेनिंग सैंटर तक पहुँचती थी | इस दौरान इन्हे दो बार बस चेंज करनी  पड़ती थी | 

कुछ साल की तमाम प्रेक्टिस के बाद मीराबाई चानू  अब लोकल से लेकल नैशनल तक की भार उत्तोलन (वेट लीफिटिंग) मे हिस्सा लेने लगी | 

इन खेल प्रतियोगिताओं मे मीराबाई चानू  ने कई सफलताएँ हासिल की जिससे न सिर्फ उनका आत्मविशवश बढ़ रहा था बल्कि अनुभव भी बढ़ता जा रहा था | 

हर चोटी बड़ी सफलता के बाद मीराबाई चानू के हौसले आसमान छूने लगे थे और अपने रोल मॉडल से प्रेरित होकर सपने और लक्ष्य भी बड़े होने लगे थे |

बस फिर क्या था यहीं से फैसला किया मीराबाई चानू  ने गोल्ड मैडल जीतने का लक्ष्य | मीरा बाई चानू के अद्भुत प्रदर्शन को देखते हुए इनका सिलेक्शन अंतरराष्ट्रीय खेलो मे होने लगा |

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Saikhom Mirabai Chanu

चलिए जानते है इससे पहले मीरा बाई चानू को जीवम मे अब तक अंतराष्ट्रीय खेल  प्रतियोगिताओं मे कितना बार सफलता मिली और कितनी बार असफलता मिली |

मीरा बाई चानू साल 2014 से ही , 48 किलोग्राम श्रेणी के भार उत्तोलन अंतराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं मे हिस्सा लेते आरही है |

मीरा बाई चानू ने अब तक अपने अदम्म्य साहस और अद्भुत प्रदर्शन का परिचय देते हुए विश्व चैम्पियनशिप और राष्ट्र मण्डल खेलो मे अब तक कई पदल जीते कई सम्मान अपने नाम किए |

 

2014 अंतराष्ट्रीय खेलो मे सबसे पहला रजत पदक 

 मीराबाई चानू  ने सन 2014 मे पहली बार  स्कॉटलैंड मे हो रहे राष्ट्र मण्डल (कॉमनवेल्थ गेम्स) खेलो मे हिस्सा लिया | इन खेल प्रतियोगिताओं मे मीराबाई चानू ने महिला के 48 किलोग्राम श्रेणी माय भारोत्तोलन स्पर्धा मे रजत पदक (सिल्वर मैडल) जीता | 

 

2016 रियो ओलेम्पिक मे असफलता 

 महिला वेट लिफ्टिंग के नेशनल ट्रायल मे जब  मीराबाई चानू ने 12 साल पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिये तो आने वाले रियो ओलेम्पिक के लिए  मीराबाई चानू  का सिलेक्शन हुआ जिसमे तमाम भारतीयो की पक्की उम्मीद थी की  मीराबाई चानू इस बार गोल्ड मैडल लाएगी | लेकिन दुर्भाग्य वश गलत वेट लिफ्टिंग की वजह से इन्हे उस खेल प्रतियोगिता से disqualify कर दिया गया था | 

दोस्तो इनती शर्मनाक घटना के बाद भारत आकार दोबारा से अगले मैच के लिए प्रेक्टिस करने लग जाना एक बहुत बड़ी motivation and inspiration होती है |

 

2017 अमेरिका वर्ल्ड चैम्पियनशिप – गोल्ड मैडल जीत कर रचा इतिहास 

इसके बाद साल 2017 मे मीरा बाई चानू ने अमेरिका अनहाइम मे हो रही वर्ल्ड चैम्पियनशिप प्रतियोगितों मे हिस्सा लेकर महिला वर्ग मे भार उत्तोलन 48 किलोग्राम श्रेणी मे गोल्ड मैडल जीत कर सफलता का इतिहास रच डाला | सिर्फ यही नहीं बल्कि 48 किलोग्राम श्रेणी मे आब तक बने सभी महिला भार उत्तोलन एतिहासिक record भी तोड़ डाले |

 

2018 राष्ट्रमंडल खेल प्रतियोगिताएं – गोल्ड मेडल जीत कर फिर से रचा इतिहास 

2018 मे आस्ट्रेलिया के क्रिसलैंड शहर मे आयोजित हुए  21वें राष्ट्रमंडल (कॉमन वेल्थ) खेलो मे मीराबाई चानू ने हिस्सा लेकर एक बार फिर से अपनी अद्भुत कोशिश से  सफलता का इतिहास रचते हुए महिला वर्ग के  48 किलोग्राम श्रेणी के भार उत्तोलन  प्रतियोगिता मे गोल्ड मैडल अपने नाम किया |

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Saikhom Mirabai Chanu

 

इस जीत के बाद राज्य सरकार मणिपुर के मुख्यमंत्री एन . बीरेन सिंह ने इनाम के रूप मे 15 लाख रुपए की नकद धनराशी की घोषणा की |

 

इतनी बड़ी कामयाबी के बाद भारत मे राष्ट्रीपती डॉ.राम नाथ कोविन्द द्वारा मीरा बाई चानू को राजीव गांधी रत्न पुरुष्कार से सम्मानित किया गया |

यह सम्मान मीरा बाई चानू के लिए जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धियों मे से एक थी |

इसके बाद ट्रेनिंग के दौरान दुभाग्यवश मीरा बाई चानू के लोवर बैक मे इंजरी होने की वजह से इन्हे एक साल वेट लिफ्टिंग से दूर रहने की सलाह दी गई | इस तरह मीरा बाई चानू इन एक सालो मे आयोजित होने वाले किसी भी अंतराष्ट्रीय खेलो मे हिस्सा नहीं ले पाई |

 

2021 टोक्यो ओलेम्पिक – tokyo olympics 2021

पूरी तरह ठीक हो जाने के बाद मीरा बाई चानू ने जबर्दस्त वापसी करते हुए डेढ़  साल की जबर्दस्त प्रेक्टिस के बाद 2021 – जापान मे हो रहे टोक्यो ओलेम्पिक मे महिला वर्ग के  48 किलोग्राम श्रेणी के भार उत्तोलन  प्रतियोगिता मे  सिल्वर मैडल (रजत पदक) जीत कर फिर एक बार फिर से नया कीर्तिमान स्थापित किया | 

भारत पहुँचने पर मीरा बाई चानू का दिल्ली एयरपोर्ट से लेकर घर तक जबर्दस्त स्वागत और सम्मान किया गया |

 

निसकर्ष – प्रेरणा 

तो दोस्तो आपने देखा की कैसे इन तमाम संघर्ष और असफलताओ के बाद भी मीरा बाई चानू ने सफलता के एक से एक मुकाम छू कर ये साबित कर दिखाया की अगर मन मे ज़िद्द हो और खुद पर विश्वास हो तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है |

तमाम खिलाड़ियो के लिए रोल मॉडल और inspiration बन चुकी मीरा बाई चानू को भारत सरकार द्वारा पदमश्री एवं राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है |

 

तो दोस्तों मीराबाई चानू की जीवनी से आपने क्या सीखा कमेंट करके जरूर बताना, उम्मीद करता हु meerabai chanu biography hindi से आपको बहुत प्रेरणा मिली होंगी.

तमाम भारतीय खिलाड़ियों का हौसला बढाने और तमाम लोगो को sports के प्रति प्रेरित करने के लिए मीरा बाई चानू की जीवनी को खूब शेयर करे.

हम अपने blog पर ऐसी ही motivational stories in hindi   और hindi biography लेकर आते रहते है जो आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव लेकर आतीं है और मन को मजबूत बनाती है. Success stories से जीवन में बिना हार माने जीवन में लगातार आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती रहती है.

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