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7 मटका धन moral story

7 मटका धन moral story

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका आज की इस 7 मटका धन moral story मे.  आज की इस moral story से आपको बहुत जरुरी ज्ञान मिलेगा.

 

7 मटका धन moral story

एक नाई जंगल में होकर जा रहा था अचानक उसे आवाज सुनाई दी “सात घड़ा धन लोगे?” उसने चारों तरफ देखा किन्तु कुछ भी दिखाई नहीं दिया।

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यही आवाज़ फिर से आई और वहीं बात दोहराई गई . अब नई को लालच हो गया और बोल दिया की हाँ, मुझे दे दो. लेकिन कैसे दोगे कहाँ दोगे.? 

 

तुरन्त आवाज आई “सातों घड़ा धन तुम्हारे घर पहुँच जायेगा जाकर सम्हाल लो”। 

 

नाई तुरंत भागता हुआ घर आया. घर आकर देखा तो सात घड़े मे  धन  रखा था। 

 

लेकिन उनमें 6 घड़े तो भरे थे किन्तु सातवाँ थोड़ा खाली था। 

 

नई का लोभ, लालच सातवे आसमान पर था. 

 

नाई ने सोचा सातवाँ घड़ा भरने पर मैं सात घड़ा धन का मालिक बन जाऊँगा।

 

यह सोचकर उसने घर का सारा धन जेवर उसमें डाल दिया किन्तु वह भरा नहीं।

 

सिर्फ यही नहीं,  वह दिन रात मेहनत मजदूरी करने लगा, घर का खर्चा कम करके धन बचाता और उसमें भरता किन्तु घड़ा नहीं भरा। 

 

वह राजा की नौकरी करता था तो राजा से कहा “महाराज मेरी तनख्वाह बढ़ाओ खर्च नहीं चलता।”

 

 तनख्वाह दूनी कर दी गई फिर भी नाई कंगाल की तरह रहता। भीख माँगकर घर का काम चलाने लगा और धन कमाकर उस घड़े में भरने लगा। 

 

एक दिन राजा ने उसे देखकर पूछा “क्यों भाई ये क्या माजरा है?  

तू जब कम तनख्वाह पाता था तो मजे में रहता था अब तो तेरी तनख्वाह भी दूनी हो गई, और भी आमदनी होती है फिर भी इस तरह दरिद्री क्यों? क्या तुझे सात घड़ा धन तो नहीं मिला।”

 

नाई ने आश्चर्य से राजा की बात सुनकर उनको सारा हाल कहा। तब राजा ने कहा अरे ये क्या किया,  “वह यक्ष का धन है।

 

 उसने एक रात मुझसे भी कहा था किन्तु मैंने इन्कार कर दिया। 

 

अब तू उसे लौटा दे।” नाई उसी स्थान पर गया और कहा “अपना सात घड़ा धन ले जाओ।” तो घर से सातों घड़ा धन गायब। नाई का जो कुछ कमाया हुआ था वह भी चला गया।

 

नाई को अपनी लालच पर पछतावा हुआ और वो समझ गया कि पराये धन के प्रति लोभ, तृष्णा पैदा करना, अपनी हानि करना है।

7 मटका धन moral story से सीख 

इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि, कभी पराए धन्यवाद को अपने कमाए हुए निजी धन से ना मिलाए, 

?कभी भी पराए धन पर अपना अधिकार ना जमाए. अधिक लालच ना करें, मेहनत से जितना कमाया है उसी से संतोष करें. 

 भूलकर भी पराये धन में तृष्णा, लोभ, पैदा नहीं करना चाहिए। अपने श्रम से चाहे रूखा−सूखा मिले या घी-माखन, जो भी मिले उसे खाकर प्रसन्न रहते हुए भगवान का स्मरण करते रहना चाहिए..!!

तो दोस्तों उम्मीद करता हूं 7 मटका धन moral story आपको बहुत पसंद आई होगी. 

 

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