नमस्कार दोस्तो , स्वागत है आपका आज की एक और hindi moral story भोजन की प्रतियोगिता मे | आज की इस moral story से आपको जीवन का बहुत अनमोल ज्ञान मिलेगा |
hindi moral story भोजन की प्रतियोगिता
एक बार एक महात्मा लंबी यात्रा करते हुए एक गाँ की तरफ आरहे थे |इस गाँव का नाम था बलराम पुर महात्मा जी ने सोचा की चलो इस गाँव मे एक दिन रुक कर विश्राम कर लिया जाए आगे की यात्रा कल से आरंभ करेंगे |
तो जब वो महात्मा उस गाँव मे आए तो गाँव के लोगो ने महतमा का खूब अच्छे से सत्कार किया फल खिलाए |
महात्मा ने उस गाँव का भ्रमण करते हुए देखा की यहाँ लोग एक दूसरे से बात ही नहीं कर रहे हर कोई एक दूजे को बड़े ईर्षा भरे मन से निहार रहा है आखिर क्या कारण हो सकता है |
महात्मा कुछ और आगे गए तो उन्होने देखा की यहा कई घर आधे अधूरे से बने है कुछ घर टूटे हुए है महात्मा कुछ और आगे बढ़े और खेतो तक पहुँच गए तो वहाँ भी उन्होने कुछ ऐसा ही देखा की खेत तो बहुत बड़े बड़े है लेकिन खेत की अधिकतर जमीन वीरान पड़ी हुई थी उनमे कोई फसल नहीं उगाई गई थी |
महतमा जी समझ गए इस गाँव मे कुछ तो गड़बड़ है | महात्मा जी ने जब पता लगाया तो उन्हे पता चला की इस गाँव मे रहने वाले सभी लोग एक दूजे से बहुत ईर्षा करते है | गाँव मे हर व्यक्ति खुद को एक दूजे से श्रेस्ठ समझता है जिस वजह से आए दिन उस गाँव मे लोग आपस मे बहस बाज़ी करते लड़ते झगड़ते रहते है |
अब महात्मा जी समझ गए थे की इस गाँव की दशा ऐसी क्यों है |आपसी भाई चारा न होने की वझ से यहा लोग एक दूसरे का सहयोग नहीं करते जिस वजह से गनन्व की ऐसी हालत है | महात्मा जी ने इन गाँव वालो को सुधारने के लिए एक उपाय सोचा |
महात्मा जी ने बलराम पुर गाँव के सभी लोगो को इकट्ठा किया और कहा की कल मै एक प्रतियोगिता करवा रहा हूँ जिसमे मै यह देखना चाहता हूँ की आप सब लोगो मे से सबसे बुद्धिमान कौन है |
महात्मा जी ने अगले दिन गाँव मे प्रतियोगिता का अच्छे से प्रबंध करवा दिया | सभी लोग प्रतियोगिता वाले स्थान पर पहुँच गए | इस प्रतियोगिता मे अलग गाँव के लोगो ने हिस्सा लिया |
महात्मा जी ने दो अलग अलग कतरो मे स्वादिष्ट भोजन की थालिया सजा थी | थालियो मे खूब स्वादिष्ट व्यंजन परोसे हुए थे |
सबसे पहले महतमा जी ने बलराम पुर गाँव के प्रतियोगियों को कतार मे बैठा दिया |
फिर उन प्रतियोगियो के हाथो मे बांस की लकड़ियाँ बँधवा दी ताकी वो अपना हाथ मोड़ न सके |
महतमा जी ने सभी प्र्तियोगिताओं से कहा की जमीन मे बिना इस भोजन को निश्चित समय मे खा कर खत्म करना है |
इतना बोलते हुए प्रतियोगिता शुरू कारवाई गई | अब गाँव के सभी लोग सोच मे पड़ गए आखिर बिना छूए भोजन को कैसे खाए ये कैसी प्रतियोगिता है |
कुछ देर सोचने पर सबके मन मे विचार आया की हम एक दूसरे को भोजन खिला कर भोजन को खत्म कर सकते है | लेकिन वो ऐसा भला क्यो करते उन लोगो मे कोई भाईचारा तो था नहीं |
प्रतियोगिता का समय खत्म हो गया | इसके बाद अगले गाँव की जब बारी आई तो उन लोगो के अपास मे बहुत प्रेम और भाई चारा था जिस वजह से उन लोगो ने एक दूजे की ओर हाथ बढ़ा कर एक दूजे को प्रेम से भोजन करवाया |
यह देख कर बलरामपुर गाँव वाले के लोग बहुत शर्मिंदा हुए | अब जो बात महात्मा जी गाँव के लोगो को समझाना चाहते थे वो बलरामपुर गाँव के लोग खुद समझ चुके थे |
भोजन के बाद प्रतियोगिता खत्म हुई | महात्मा जी ने सच्च बताते हुए कहा की यह प्रतियोगिता आप लोगो मे आपसी प्रेम बढ़ाने और भाईचारे तथा आपसी सहयोग की ताकत समझाने के लिए कारवाई गई थी |
गाँव के लोगो महात्मा जी का आभार व्यक्त करने लगे | उसके बाद सभी गाँव वाले एक दूजे के साथ प्रेम से रहने लगे और आपसी सहयोग से सब एक दूजे के खेतो मे हाथ बटा कर काम करवाने लगे ,फसल कटाई मे भी सब एक दूजे की मदद करने लगे | इस तरह आपसी प्रेम और सहयोग से बलराम पुर गाव एक स्मृध गाँव बन गया |
शिक्षा – hindi moral story भोजन की प्रतियोगिता – moral from story
इस कहानी से हमे शिक्षा मिलती है की जीवन मे आपसी सहयोग और भाई चारा बहुत जरूरी होता है | आपसी सहयोग से एक दूजे की मदद करके किसी भी निर्बल असहाय का सहारा बना जा सकता है किसी का भी जीवन बदला जा सकता है | आपसी सहयोग से जीवन मे बड़े बड़े काम किए जा सकते है | आपसी सहयोग से मुश्किल काम को आसान बनाया जा सकता है |
तो दोस्तो उम्मीद करता हूँ आज hindi moral story भोजन की प्रतियोगिता | hindi moral story भोजन की प्रतियोगिता कहानी से आपको जीवन की अनमोल सीख मिली होगी | कहानी को जादा से जादा लोगो मे शेयर करे |
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