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moral of the story hindi | खेत का खजाना

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नमस्कार दोस्तो स्वागत है आप का आज की ज्ञान से भरी एक  moral of the story hindi  मे | आज की इस कहानी को पढ़ने के बाद आप जीवन मे आलस छोड़ कर मेहनत करना शुरू कर दोगे | तो इस moral story को आखिर तक पढ़ो |

moral of the story hindi | खेत का खजाना

एक गांव में एक संतोष प्रसाद नाम का एक किसान अपनी पत्नी और चार लड़को के साथ रहता था। संतोष प्रसाद खेतों में खूब मेहनत करके अच्छी फ़सल उगाता और उनमे से 80% फ़सल शहर मे बेच कर बहुत अच्छा पैसा कमाते और घर का खर्च चलाते. 

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लेकिन उसके चारो लड़के आलसी थे।

संतोष प्रसाद के चारो बेटे ज़ब 10 से 15 साल के हो गए तो राम प्रसाद को अपने बेटों की फ़िक्र सताने लगी.

 

क्योंकि चारो बेटे बहुत आलसी और काम चोर थे. वी हमेसा काम से अपना जी चुराते थे किसी भी काम मे उनका मन नहीं लगता.

 

पिता जी सोचते रहते की इन्हे रास्ते पर कैसे लाया जाए. ये मेरे साथ खेत मे भी नहीं जाते.

 

ये सब बातें संतोष ने अपनी पत्नी से कही. पत्नी बोली अरे आप चिंता ना करो धीरे धीरे खुद ही अक्ल आ जाएगी बच्चो को.

रामलाल की पत्नी ने कहा की धीरे धीरे ये भी काम करने लगेंगे।

 

समय बीतता गया और संतोष प्रसाद के बच्चे बड़े हो गए जवान हो गए लेकिन उनकी आदते आज भी वैसी ही थी.

 

संतोष प्रसाद अब बहुत बीमार पड़ने लगा. संतोष के अंदर अब खेतो मे मेहनत करने की क्षमता नहीं थी.

 

संतोष ने अपनी पत्नी से कहा की चारो बेटों को बुला कर ले कर आओ.

पत्नी चारो बेटों को बुला लाइ. संतोष ने अपने बेटों को कहा की बच्चो मै जो बोलने जा रहा हूं ध्यान से सुनो,

 

बच्चो! मै अब शायद मै अधिक समय तक जीवित नहीं रहूँगा,मेरे बाद आप लोग अपना जीवन यापन सही तरीके से कर सको इसके लिए मैंने खेत मे एक जगह खजाना छुपा रखा है.

 

आप खुदाई करके उस खजाने को खोज लेना और उस खजाने को आपस मे बाट लेना. अपनी माँ का ख्याल रखना. वो खजाना मेहनत करने पर ही मिलेगा.

 

पिता की बातें सुन बच्चो की आँखे चमक गई बच्चे बहुत खुश हुए. पिता जी एक दिन  चल बसे.

 

बच्चो को अपने पिता की बात याद आई. चारो बेटों ने खेत खोदने वाले औजार उठाए और खेत की तरफ चल पड़े.

 

जिन बच्चो ने कभी मेहनत नहीं की थी वो आज खेतो मे खुदाई कर रहे ये समझ रहे थे की पिता जी कितनी मेहनत करके फ़सल उगते थे.

 

पहले दिन बच्चो से जितना हो सका उतनी खुदाई की और बहुत थक गए.खजाना तो नहीं मिला अभी बहुत खेत पड़ा था खोदने को.

 

बच्चे अगले दिन फिर आए, फिर से खूब मेहनत की. इस बार भी खजाना नहीं दिखाई दिया.

बच्चे अगले दिन फिर आए और इस बार बचा हुआ पूरा खेत खोद डाला.

 

खजाना ना मिलने पर बच्चे निराश हो कर माँ के पास आए और बोले की माँ पिता जी ने झूठ बोला था. हमने सारा खेत खोद डाला जोत डाला लेकिन खजाना तो मिला ही नहीं.

 

माँ बोली, नहीं नहीं बेटा ऐसा मत बोलो पिता जी कभी झूठ नहीं बोल सकते. उनकी बातो का मतलब आप लोग नहीं समझे. क्योंकि वो मुझसे बोले थे की खजाना फ़सल पकने के बाद ही दिखाई देता है. उनकी इस पहेली का राज तो फ़सल पकने के बाद ही सामने आएगी.

 

इसलिए  एक काम और करना होगा. वो ये की खेत अगर खोद ही दिया है तो ये लो फ़सल के बीज इन्हे भी बो ही दो.और फ़सल पकने का इंतज़ार करो.

 

समय बीतता गया एक दिन फ़सल पक कर तैयार हो गई. फ़सल बहुत अच्छी पैदा हुई थी. माँ ने कहा कुछ फ़सल घर पर रख लो और बाकी की फ़सल शहर बेच आओ.

 

ज़ब बच्चे फ़सल बेचने शहर गए तो वहाँ उनको फ़सल बेच कर बहुत ज़ादा धन प्राप्त हुआ जो किसी खजाने से कम नहीं था.

 

चारो बेटे पिता की बातो का सही मतलब समझ चुके थे. शाम तक बच्चे कमाए हुए धन को लेकर माँ के पास पहुंचे.

 

माँ बहुत खुश हुई. बेटों ने माँ को बताया की माँ हम सब समझ गए की पिता क्या कहना चाहते थे.

 

माँ हमें बहुत अफ़सोस है हम यह बात बहुत देर से समझे. चारो बेटे अब बदल चुके थे बहुत मेहनती हो चुके थे क्योंकि उन्हें मेहनत का इतना अच्छा फल जो मिला था. मेहनत के इस फल ने बच्चो की सोच बदल कर रख दी.

 

Moral of the Story hindi  सीख 

सीख: आज की कहानी से हमे सीख मिलती है की बिना मेहनत किए पसीना बहाए जीवन मे कभी भी धन दौलत और सुख स्मृधी  प्राप्त नहीं की जा सकती है | बिना महने किए जीवन मे बड़े मुकाम हासिल नहीं किए जा सकते | 

इसलिए हमें आलस्य को त्यागकर मेहनत करना चाहिए। मेहनत ही इंसान की असली दौलत है।

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