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Best Moral story सच्चे हीरे क़ी परख

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आज क़ी कहानी है Moral story सच्चे हीरे क़ी परख | इस कहानी से आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा. तो चलिए शुरू करते है.

Moral story सच्चे हीरे क़ी परख 

एक राजा का दरबार लगा हुआ था। सर्दियों के दिन थे, इसीलिये राजा का दरबार खुले बगीचे में लगा था। रोज क़ी तरह आज भी  वैसे ही सभा चल रही थी. वही न्याय पाने पहुंचे कैच गांव के लोग सभा के चारो तरफ दुरी पर खड़े थे.

उसी समय किसी अन्य राज्य से एक व्यक्ति आया और राजा से दरबार में मिलने की आज्ञां मांगी। उस व्यक्ति को राजा से मिलने क़ी आगया दें दी गई.

वो व्यक्ति राजा के सामने गया प्रणाम किया और अपने साथ लाए संदूक से “एक जैसी” दो चमकते हुए हीरे निकालें तथा राजा से बोला क़ी मै इन दोनों हीरो को लेकर कई राजाओं के पास गया ये जानने के लिये क़ी इनमे से असली हीरा कौन सा है. लेकिन मुझे कहीं भी इसकी सही परख करने वाला नहीं मिला कोई भी यह नहीं बता पाया क़ी इनमे से असली हीरा कौन सा है.

आज आपके दरबार मे हाजिर हुआ हु अब यदि आपके राज्य या दरबार मे कोई ऐसा व्यक्ति हों जो इनमे से असली क़ी परख कर पाए तो मै असली हीरा आपके शाही खज़ाने मे रखवा दूंगा, और यदि कोई ना परख पाया तो इस असली हीरे क़ी क़ीमत के बराबर आपको स्वर्ण मुद्राए देनी होंगी.

राजा ने उस व्यक्ति क़ी बात मान ली, उन दोनों हीरो को राज्य सभा के बीच एक टेबल पर रखवा दिया गया, अब राज दरबार से एक से तजुर्बेकार अपना तजुर्बा परखने आए. सभी ने अपने अपने हिसाब से हीरे को परखना शुरु किया, लेकिन कोई भी ये सही नहीं बता पाया क़ी असली हीरा कौन सा है.

राजा ये सोच बहुत निराश हों रहे थे क़ी कोई भी अपने राज्य मे ऐसा योग्य व्यक्ति नहीं जो असली हीरे क़ी परख कर सके और अब उनकी पराजय होगी.

सब हारे, कोई हिम्मत नही जुटा पाया। हारने पर पैसे देने पडेंगे, इसका किसी को कोई मलाल नहीं था क्योंकि राजा के पास बहुत धन था लेकिन राजा की प्रतिष्ठा गिर जायेगी, इसका सबको भय था और दुख भी.

Moral-story-सच्चे-हीरे-क़ी-परख

इतने मे एक अंधा व्यक्ति भीड़ से निकल कर एक डंडे के सहारे आगे क़ी ओर आया और बोला क़ी मै एक बार कोशिश करना चाहूंगा महाराज मुझे एक मौका दिया जाए.

यह देख वहाँ मौजूद सभी लोग जोर जोर से हसने लगे, वहीं राजा भी ये देख कर ताज्जुब मे थे क़ी अब ये अंधा व्यक्ति भला कैसे परखेगा.

लेकिन उस अंधे के बार बार बोलने और उसके आत्मविश्वास को देखते हुए राजा ने उसे हीरा परखने क़ी अनुमति दें दी.

राजा को लगा कि इसे अवसर देने मे कोई हर्ज नहीं है और राजा ने उसे अनुमति दे दी। उस अंधे आदमी को दोनों हीरे उसके हाथ में दी गयी और पूछा गया कि इनमे कौन सा हीरा है और कौन सा काँच?

उस आदमी ने 5 मिनट हीरो को अपने हाथ मे रख सूरज क़ी रौशनी क़ी ओर घूम गया.

ठीक 5 मे उस अंधे ने ये साबित कर दिया कि यह हीरा है और यह काँच।

जो आदमी इतने राज्यों को जीतकर आया था वह नतमस्तक हो गया और बोला सही है, आपने पहचान लिया! आप धन्य हैं। 

अपने वचन के मुताबिक यह हीरा मैं आपके राज्य की तिजोरी मे दे रहा हूँ। सब बहुत खुश हो गये और जो आदमी आया था वह भी बहुत प्रसन्न हुआ कि कम से कम कोई तो मिला परखने वाला।

राजा बहुत खुश हुए क़ी इस आदमी नर हमारी लाज रख ली, लेकिन राजा सहित सभी ताज्जुब मे थे क़ी आखिर जो कोई नहीं परख सका वो आपने बिना आँखो के कैसे परख लिया.

राजा और अन्य सभी लोगो ने उस अंधे व्यक्ति से एक ही जिज्ञासा जताई कि, ‘तुमने यह कैसे पहचाना कि यह हीरा है और वह काँच?’

उस अंधे ने कहा- सीधी सी बात है राजन, धूप में हम सब बैठे हैं, मैंने दोनो को छुआ। जो ठंडा रहा वह हीरा, जो गरम हो गया वह काँच।

Moral story सच्चे हीरे क़ी परख – कहानी से सीख :-

इस कहानी से हमें पहली सीख ये मिलती है. क़ी कुछ चीजें जीवन मे ऐसी होती है जिन्हे समझने या परखने के लिये आँखो क़ी जरूरत नहीं यानी किसी के बाहरी दिखावे या पहनावे पर मत जाए, सब्र रखे, वक़्त और परिस्थितियाँ एक दिन सब सच्चाई सामने ला देगी.

जो सच्चा है अच्छा है ईमानदार है, एक दिन उसकी परख जरूर कर ली जाएगी.

यही बात हमारे जीवन में भी लागू होती है, जो व्यक्ति बात बात में अपना आप खो देता है, गरम हो जाता है और छोटी से छोटी समस्याओं में उलझ जाता है वह काँच जैसा है और जो विपरीत परिस्थितियों में भी सुदृढ़ रहता है और बुद्धि से काम लेता है वही सच्चा हीरा है।

परिस्थितियाँ कैसी भी हों वो अपनी काबिलियत कभी नहीं छोड़ता.

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