न्यायधीश moral story – दोस्तों स्वागत है आपका किस्से कहानियों इस रोचक दुनिया मे | यहाँ पर आपको motivational stories के साथ moral stories से मिलने वाले ज्ञान से रुबारू करवाया जाता है |
हमारी आज की कहानी है न्यायधीश moral story | दोस्तो इन कहानियों का जीवन मे बहुत महत्त्व होता है | क्योकि इन कहानियों के माध्यम से अक्सर हमे कुछ ऐसा ज्ञान हासिल हो जाता है जो हमारे जीवन की तमाम परेशानियों को खत्म कर देता है |
यहाँ पर बताई गई हर कहानी मे ज्ञान और शिक्षा छिपी हुई है | तो पढ़ते रहिए इन ज्ञान से भरी इन कहानियों (stories) को
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न्यायधीश moral story
एक छोटे से राज्य मे एक न्याया धीश था जिसकी निगाहो से कोई झूठ बच नहीं पाता था वो मिनटों मे किसी भी झूठ पकड़ कर सच्चाई को सामने ला देता.
एक बार न्यायाधीश की प्रसिद्धि की खबर ज़ब विशाल नगर राज्य के राजा तक पहुंची ,तो उनकी उस न्यायधीश से मिलने और उसके न्याय करने के तरीके को देखने की तीव्र इच्छा हुई प्रगट हुई.
राजा भेश बदल कर अपने घोड़े पर सवार हो कर, उस न्यायाधीश की परीक्षा लेने के लिए निकल पड़ा.
राजा ज़ब न्यायाधीश के गांव मे पहुंचे तो वहाँ उन्हें एक लंगड़ा भिखारी दिखा, राजा ने उसके जुड़े हुए हाथ देखकर भावुकतापूर्ण उसे कुछ पैसे दे दिए.
पैसे लेते ही भिखारी ने बिनती भरे स्वर मे कहा की मै व्हल नहीं सकता क्या आप मुझे अगले चौराहे तक छोड़ आएंगे..
राजा ने कहा ठीक है आजाओ बैठ जाओ घोड़े पर.भिखारी बड़े आराम से घोड़े पर बैठ गया.राजा एक साधारण इंसान के भेश मे थे.
ज़ब चौराहा आया तो राजा ने भिखारी को नीचे उतरने को कहा. मगर उस भिखारी के तो अब तेवर ही बदल चुके थे बोलने लगा की, उतरोगे तो तुम ये घोड़ा तो मेरा है .
राजा तो हक्का बक्का रह गया. फिर ज़ब राजा ने उसे डाट कर चुप कराने की कोशिश और घोड़े से नीचे उतरने को कहा की तो भिखारी जोर जोर से शोर मचाने लगा. और आस पास काफ़ी लोग इकठ्ठा हो गए.
उन दोनों के झगड़ो को सुन कर सभी ने ये कहा की इस झगड़े का निपटारा तो अब न्यायाधीश ही करेंगे.
अगले दिन वो पहुंचे कोर्ट मे, वहाँ न्याय पाने वालों की भीड़ लगी थी, सबसे पहले एक किसान और लेखक आए उनके पास एक औरत थी. मुद्दा ये था की किसान और लेखक दोनों ये दावा कर रहे थे की ये औरत उनकी पत्नी है. दोनों डालिले न्यायाधीश ने ध्यान से सुनी. और कहा की आप इस औरत को आज यहीं छोड़ जाइये और कल आइये. अगली बारी थी एक कसाई और एक तेली की कसाई के पास सिक्कों की एक थैली थी.
उसके कपड़ो पर खून के छींटे लगे हुए थे.ती वहीं तेली के हाथ तेल से सने हुए थे.
दोनों ने ही उस सिक्के की थैली पर अपना अपना दावा प्रस्तुत किया, नतायाधीश ने दोनों की दलीले सुनी और कहा की ये सिक्के की थैली आज आप यहीं छोड़ जाइये और कल आइयेगा.
अब अगली बारी थी भिखारी और राजा की. दोनों की दलीले सुनने के बाद न्यायाधीश ने कहा.
ये घोड़ा आप यही छोड़ जाइये. और कल आइये. अगले दिन न्यायाधीश के न्याय को सुनने के लिए काफ़ी लोगो की भीड़ लगी हुई थी.
तो सबसे पहले आए लेखक और किसान, बड़े विश्वास से न्यायाधीश ने बिना समय गावाएं तुरंत कहा की ये उतनी लेखक की है, और किसान झूठा है, गलत दावा प्रस्तुत करने के लिए किसान को 50 कोड़े लगाए जाए.
अब अगली बारी थी कसाई और तेली की, इस और भी न्यायाधीश ने तुरंत फैसला सुनते हुए कहा की ये सोने के सिक्कों की थैली कसाई की है. इसलिए गलत दावा प्रस्तुत करने के लिए तेली को 50 कोड़े लगाए जाए.
अब बारी आई राजा और भिखारी की. न्यायाधीश, तुरंत दोनों को लेकर अस्तबल मे पहुंचे, अस्तबल मे 50 घोड़ो के बीच राजा के घोड़े को भी रखा गया था.
न्यायाधीश ने दोनों को बारी बारी से आपने घोड़े को पहचानने के लिए कहा. दोनों ने ही सही सही घोड़े की पहचान लिया.
उसके बाद न्यायाधीश ने राजा की तरफ इशारा करते हुए कहा ये घोड़ा आपका है आप इसे ले जा सकते है.
न्यायाधीश ने घूर कर लंगड़े भिखारी को देखा और कहा गलत दावा प्रस्तुत करने के लिए इसे 50 कोड़े लगाए जाए.
अब राजा तो उसके न्याय पर आश्चर्य चकित हो कर खड़ा हुआ था और सोच रहा था की आखिर इतनी जल्दी ये सच्च और झूठ का पता कैसे लगा लेता है.
ज़ब न्यायाधीश वहाँ से जाने लगा तो साधारण भेश मे राजा ने पूछा की आपके इस तरह न्याय करने का राज़ क्या है आखिर कैसे इतना शीघ्र और सही न्याय कर लेते हो. अभी जो कुछ भी मैंने देखा, तो वो सब आपने कैसे पता लगाया.
न्यायाधीश ने आराम से समझते हुए कहा की लेखक और किसान जिस औरत को अपनी अपनी पत्नी होने का दावा जता रहे थे उससे सुबह मैंने उसे कुछ फसल और सब्ज़ीयो के बीज दिए और पूछा की ये किस किस के बीज है वो ठीक से एक भी जवाब सही नहीं दे पाई फिर मैंने उसे दवात से कलम मे सियाही भरने के लिए कहा और ये काम उसने इतनी कुशलता से किया की मै समझ गया की ये लेखक की ही पत्नी है.
इसके बाद मैंने सुबह ज़ब सोने के सिक्कों को पानी मे डाला तो पानी के ऊपर ज़रा सा भी तेल नहीं तैर रहा था, चूँ की तेली हाथ ज़ादातर शमत तेल से सने रहते है तो मोल भाव के वक़्त और सिक्कों को गिनते वक़्त तेली का हाथ लगने की वजह से उन सिक्कों पर थोड़ा बहुत तेल तो लग ही जाता है, तब मैंने सोचा की अगर ये तेली के सिक्के होते तो कुछ तो अंश होना चाहिए था तेल का सिक्कों पर लेकिन पानी मे वो नजर नहीं आया. इस तरह मैंने ये अंदाजा लगाया की ये सिक्के कसाई के ही है.
रही बात आपकी और उस भिखारी की तो ज़ब अस्तबल मे ज़ब भिखारी आपके घोड़े के पास गया तो वो घोड़ा भिखारी से खिज़ा हुआ था और रुष्ट व्यवहार कर रहा था, घोड़ा भिखारी से दूर हट रहा था. वहीं ज़ब तुम घोड़े के पास गए तो वो बड़े प्यार से सर हिला रहा था जैसे वो तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा हो.
इस तरह मैंने ये जान लिया की घोड़ा आपका ही है और भिखारी का दावा गलत था.
राजा, न्यायाधीश की चतुर बुद्धि और न्याय करने के तरीके से बहुत प्रभावित हुए फिर राजा ने अपनी असलियत बताते हुए की हम विशाल नगर के राजा है और आपके न्याय करने की चर्चाए सुन कर हम आपकी परीक्षा लेने के लिए यहां आए थे.
शिक्षा – न्यायधीश moral story | best moral story hindi
तो दोस्तों इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की जीवन मे कोई भी फैसला या न्याय जल्दबाज़ी मे नहीं लेना चाहिए संयम और बुद्धि से काम लेना चाहिए.
राजा और न्यायाधीश moral story आपको कैसी लगी और इस कहानी से आपने क्या सीखा कमेंट करके जरूर बताना. हम आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार करेंगे.
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