Hindi moral story | लोगो का सुझाव moral story- नमस्कार दोस्तों स्वागत है आज आपका एक और शिक्षाप्रद कहानी “लोगो का सुझाव moral story मे.
यह कहानी शुरू होती है मेहता जी क़ी दुकान से. इस नैतिक कहानी का संत बड़ा ही moral है. बहुत बड़ी सीख मिलती है.
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लोगो का सुझाव moral story
दिल्ली के अशोक नगर मे रहने वाले मेहता जी ने लोकल पब्लिक demand के चलते अगरबत्ती की दुकान खोली !
नाना प्रकार की एक से एक सुगन्धित पुष्प वली अगरबत्तियां थीं ! उसने दुकान के बाहर एक साइन बोर्ड लगाया जिसमे लिखा था – “यहाँ सुगन्धित अगरबत्तियां मिलती हैं ! “
दुकान चलने लगी, कस्टमर क़ी भीड़ बढ़ने लगी.
तभी एक दिन एक ग्राहक उसके दुकान पर आया और कहा – आपने जो बोर्ड लगा रखा है , उसमे एक विरोधाभास है ! भला अगरबत्ती सुगंधित नहीं होंगी तो क्या दुर्गन्धित होंगी ?
मेहता जि सोच मे पड़ गए, बोले! बात तो सही है, तर्क भी है.
तो मेहता जि ने कुछ सोचने के बाद सुगन्धित शब्द को बोर्ड से हटा देना ही उचित समझा.
कुछ दिन बाद एक और ऐसे हु महानुभव आ टपके और बोर्ड पर लिखें शब्दों पर ज्ञान झाड़ते हुए बोले क़ी महाशय आपके बोर्ड पर “यहाँ “शब्द क्यों लिखा है ? ये कोई सेन्स नहीं बन रहा है दुकान जब यहीं है तब यहाँ लिखना निरर्थक है !बात जमीं नहीं.
अब उन अंकल क़ी बात को गंभीरता से लेते हुए मेहता जी ने ने बोर्ड पर यहाँ शब्द मिटवा डाला ! अब बोर्ड था पर लिखा था – अगरबत्तियां मिलती हैं !
पुनः उस व्यक्ति को एक रोचक परामर्श मिला – अगरबत्तियां मिलती हैं का क्या प्रयोजन ? अगरबत्ती लिखना ही पर्याप्त है ! अतः वह बोर्ड केवल एक शब्द के साथ रह गया – “अगरबत्ती “
विडम्बना देखिये ! एक शिक्षक ग्राहक बन कर आये और अपना ज्ञान वमन किया – दुकान जब मात्र अगरबत्तियों की है तो इसका बोर्ड लगाने का क्या लाभ ? लोग तो देखकर ही समझ जायेंगे कि मात्र अगरबत्तियों की दुकान है ! इस प्रकार वह बोर्ड ही वहाँ से हट गया !
बोर्ड ना होने से कस्टमर धीरे धीरे आने बंद हों गए, में दुकान की बिक्री मंद पड़ने लगी और मेहता जी चिंतित रहने लगे.
तभी रविवार क़ी छुट्टी पर मेहता जी का एक पुराना मित्र पत्नी सहित मेहता जी के घर पहुंचा. आते ही दोनों हसे मिले, तभी मित्र ने बातचीत शुरू करते हुए पूछा,- अरे मेहता जी वो अगरबत्ती वाली दुकान कैसी चल रही.?और आपने अब तक कोई बोर्ड भी नहीं लगाया दुकान के बाहर. ऐसा क्यों.
अब मेहता जी बोलते भी क्या, मुंह लटकाए बोले, दुकानदारी तो मंद पड़ गई, बोर्ड तो लगाया था पर लोगो ने अपने परामर्श दें दें कर मेरा दिमाग खराब कर दिया.
लोगो के परामर्श के चलते पहले तो बोर्ड पर लिखें शब्द हटाए फिर एक दिन बोर्ड ही हटा दिया. मित्र सब समझ गया और कहने लगा क़ी मेहता जी इसमें लोगो क़ी बल्कि गलती तुम्हारे स्वाभव और मन क़ी है.
लोग तो बहुत कुछ बोलते है, आपने दुकान तो लोगो के कहने पर शुरू नहीं क़ी थी, तो फिर उनके परामर्श पर आप आपको ये सब भी करने क़ी क्या जरूरत थी.
लोगो के परामर्श से अधिक अपनी अक्ल से काम लो.
लोगो का सुझाव moral story | कहानी से शिक्षा
दोस्तों जीवन में प्रत्येक पग पर सुझाव देने वाले बहुत मिलेंगे जो उस विषय के विशेषज्ञ नहीं होते परंतु लगेगा कि सारा विज्ञान, दर्शनशास्त्र , समाजशास्त्र इत्यादि उनमें अंतर्निहित है. आप ऐसे व्यक्तियों की सुनेंगे या अनुपालन करेंगे तो आपकी स्थिति भी मेहता जी की भाँति हो जायेगी.
आप किसी भी विषय या निराकरण के लिये उससे सम्बन्धित विशेषज्ञों की सुने या अपने अन्तह्चेतन की क्योंकि आपको आपसे अधिक कोई नहीं जानता..!!
लोगो के परामर्श से ज़ादा अपनी बुद्धि से काम लें.
उम्मीद करता हु लोगो का सुझाव moral story से आपको अच्छी शिक्षा प्राप्त हुई होगी.
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