शिक्षाप्रद लघु कहानी शिक्षाप्रद short moral story
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आज आपका ज्ञान से भरी एक और शिक्षाप्रद short moral story मे.
आंखों देखा भ्रम जाल | शिक्षाप्रद short moral story
एक संत रोज भर्मण के लिये समुद्र के तट से होते हुए जाया करते थे. एक समय की बात है वो सन्त भ्रमण के लिये समुद्र के तट पर पहुँचे।
समुद्र के तट पर उन्होने एक पुरुष को देखा जो एक स्त्री की गोद में सर रख कर सोया हुआ था!
पास में शराब की खाली बोतल पड़ी हुई थी, सन्त बहुत दु:खी हुए।
उन्होने विचार किया कि ये मनुष्य कितना तामसिक और विलासी है,
जो प्रात:काल शराब सेवन करके स्त्री की गोद में सर रख कर प्रेमालाप कर रहा है।
थोड़ी देर बाद समुद्र से बचाओ, बचाओ की आवाज आई, सन्त ने देखा एक मनुष्य समुद्र में डूब रहा है, मगर स्वयं तैरना नहीं आने के कारण सन्त देखते रहने के अलावा कुछ नहीं कर सकते थे।
स्त्री की गोद में सिर रख कर सोया हुआ व्यक्ति उठा और डूबने वाले को बचाने हेतु पानी में कूद गया।
थोड़ी देर में उसने डूबने वाले को बचा लिया और किनारे ले आया।
सन्त विचार में पड़ गए की इस व्यक्ति को बुरा कहें या भला। वो उसके पास गए और बोले भाई तुम कौन हो, और यहाँ क्या कर रहे हो…?
उस व्यक्ति ने उत्तर दिया : —
मैं एक मछुआरा हूँ, मछली मारने का काम करता हूँ, आज कई दिनों बाद समुद्र से मछली पकड़ कर प्रात: जल्दी यहाँ लौटा हूँ।
मेरी माँ मुझे लेने के लिए आई थी,
इतना सुन संत बोला की, तो फिर ये मदिरा की बोतल यहां क्यों है.
मछुआरा बोला,! घर में कोई दूसरा बर्तन नहीं होने पर इस मदिरा की बोतल में पानी ले आई।
कई दिनों की यात्रा से मैं थका हुआ था। और भोर के सुहावने वातावरण में
ये पानी पी कर थकान कम करने माँ की गोद में सिर रख कर ऐसे ही सो गया।
सन्त की आँखों में आँसू आ गए उसे अपनी सोच पर पछतावा होने लगा वह बहुत शर्मिंदगी महसूस करने लगा कि मैं कैसा पातक मनुष्य हूँ, जो देखा उसके बारे में मैंने गलत विचार किया जबकि वास्तविकता अलग थी।
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शिक्षाप्रद लघु कहानी से सीखशिक्षाप्रद short moral story
तो दोस्तों इस छोटी सी कहानी से हमें सीख मिलती है की दूर खड़े सामने का दृढ़ देखकर मन मे कभी भी गलत विचार धारा पैदा मत करो यदि कोई शंका आए तो सच्च का पता करो, क्योंकि अक्सर आँखो देखा भी सच्च नहीं होता जरुरी नहीं की जो दूर से दिखे वो सच्च ही हो उसका कोई और अर्थ भी हो सकता है, लेकिन अल्पज्ञानी मनुष्य अनेक विकल्पों की सोच दिरकिनार कर सिर्फ एक मंशा व पहलू को मान्यता देता है.जिस वजह से सामने वाले के प्रति मन मे एक गलत image बन जाती है.
कोई भी बात जो हम देखते हैं, हमेशा जैसी दिखती है वैसी नहीं होती है, उसका एक दूसरा पहलू भी हो सकता है।
किसी के प्रति कोई निर्णय लेने से पहले सौ बार सोचें और तब फैसला करें।
उम्मीद करता हूं इस शिक्षाप्रद लघु कहानी से आपको जीवन की अनमोल सीख मिली होगी.
हम अपने blog पर ऐसी ही तमाम शिक्षाप्रद कहानियाँ लाते रहते है हमसे जुड़े रहे और अपने ज्ञान मे इज़ाफ़ा करते रहे.
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