मन की आवाज़ – best शिक्षाप्रद कहानी
दोस्तों कहते है ऊपरवाला सब देखता है और हमारे मन की आवाज़ बन कर हमें गलत काम करने से रोकता भी है हमारी अंतरात्मा से आने वाली हर आवाज़ ईश्वर की आवाज़ ही होती है जो हमारे अंदर की इंसानियत एवं अच्छे कर्मो को जगाती है.
चलिए इस बात को एक खूबसूरत सी कहानी के माध्यम से समझते है.
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Best शिक्षाप्रद कहानी
मोहक चंद नाम का मध्यम वर्गीय एक व्व्यक्ति जोकि प्राइवेट नौकरी करने के लिए अपने घर परिवार से दूर शहर में अकेले रह रहा था रोज की तरह अपनी फैक्ट्री से बस द्वारा घर लौट रहा था. पूरी बस, अब लगभग खाली हो चुकी थी बस 7 – 8 लोग ही बैठे हुए थे.
कि बस की पिछली सीट पर बैठे हुए मोहक चंद की नजर नीचे पड़े एक पर्स पर गई उसने पहले अनदेखा किया मगर पर्स की मोटाई देखकर समझ मे आ रहा था कि जरूर इसमें ज्यादा पैसे भरे हुए है.
पर्स उठाने से पूर्व ही मोहक चंद ने सोचा की कंडक्टर को बताया जाए मगर फिर लगा की वो कौन सा बड़ा ईमानदार होगा, कहीं बेईमान निकला तो.
अब,ये पर्स मुझे ही दिखाई दिया है तो
यकीनन ईश्वर मेरे ऊपर ही मेहरबान है कुछ यही सोचकर उसने छुपके से पर्स उठा लिया और अपने थैले मे रख लिया बस से उतरकर तेजी से वह अपने किराए के घर पहुंचा जहां सबसे पहले उसने दरवाजा बंद करके पर्स खोला तो उसकी आँखें खुली की खुली रह गई.
उसमें कयी नोट थे उसे पहले तो विश्वास नहीं हुआ मगर जब हाथों में निकालकर गिना तो लगभग तीन महीने की तनख्वाह एकसाथ उसमें थी.
यह देख मोहक चंद की ख़ुशी का ठिकाना नहीं, जोर से याहू….बोलते हुए झूम उठा और बोलने लगा की इतने पैसे…. वाह मेरे भगवान मजा आ गया …अब तो पत्नी बच्चों की अनेकों ख्वाहिशें पूरी कर दूंगा उन्हें हर महीने शिकायत जो रहती है अगली बार ये जरूरी चाहिए वो रह गया बच्चों की वर्दी कापी किताबें दवाई वगैरह ….चलो सब अब हो जाएगा….
अब उसने नोटों के अलावा उसमें रखे पेन कार्ड , एटीएम, आधार और अन्य पेपर को देखा…..फिर खुशी से उन्हें अनदेखा करते हुए अलग रख दिया ….
जो बना था वहीं खाकर तुरंत बिस्तर पर आ गया और खुशी खुशी पत्नी बच्चों को याद करने लगा.
मोहक चंद के मन मे वो घटना दिखने लगी जिस पल उसे वो पर्स मिला था. की तभी मोहक चंद के मन से आवाज़ आई, मोहक आवाज से वह चौका….किसी ने उसे पुकारा….
कौन….. कौन …..कौन है….
बेटा जाओ….. और वो पर्स लौटा दो जिसका पर्स है वो बहुत जरूरतमंद है….
उसने चौंककर अपने पीछे देखा, बाहर आकर भी देखा कहीं कोई नहीं था वह फिर से बिस्तर पर लेट गया …फिर से वही आवाज और वही शब्द गूंजने लगे
वह घबराकर अपना सर पकडकर बैठ गया …
उसे ऐसा लग रहा था कितना बड़ा गुनाह कर दिया…मोहक चंद अब यह सोचने पर मजबूर हो चुका था, की क्या मैंने वाकई गलत किया यह पर्स अपने पास रख कर.
मन में बस यही ख्याल आ रहा था ….पर्स वापस करो… पर्स वापस करो….
मन मे उथलपुथल मच गई ….उसे अचानक ऐसा लगा कहीं आवाज में कहीं बात सच हुई तो ….कहीं सचमुच वो पर्सवाला जरुरतमंद हुआ तो ….
और अगर यही उसके साथ होता तो जब वह अपनी तनख्वाह बस में लिए आता है जब ….उसकी तो जान निकल जाती पूरे परिवार का खर्च बमुश्किल महीना भर चलता है उसकी तनख्वाह से ऐसे में बिना तनख्वाह के वह लोग….नही ….नही ….
सचमुच ये अपराध है ….
मोहक चंद ये सोचकर उसने तुरंत पर्स में से कार्ड और पेपर निकाले ….उनमें एक जगह मोबाइल फोन नम्बर लिखा था उसी व्यक्ति के नाम के साथ….
जल्दी से उसने फोन नंबर पर फोन किया और उस व्यक्ति को अपने घर बुला लिया जिनका पर्स था…..
अभी रात के नौ बजे थे घंटे भर तक वह व्यक्ति वहां पहुंच गया….. उसका चेहरा उतरा हुआ था लगभग बहुत रोया हो जैसे…… पूछने पर उसने पैसों की सही जानकारी दी साथ ही उसमें मौजूद अपने कार्ड वगैरह सबके बारे में बताया .
.उस आदमी ने उसे पर्स रुपये सहित देकर कहा ….लो भाई आपकी अमानत.
उसने सब चेक किया और उस व्यक्ति का हाथ पकड़ कर रोते हुए बोला….. भाई….ये पैसा मेरी पत्नी के इलाज का है कल ही उसका ऑपरेशन होना है……पता नहीं कब शाम को अस्पताल जाते हुए ये पर्स गिर गया…… मैने बहुत खोजा मगर ….एकबार तो लगा अब मेरी पत्नी नही ……और उसके साथ साथ मे भी नही बचूंगा ….
मगर वो ऊपरवाला है ना …..देखिए उसने आप जैसे फरिश्ते के रुप में मुझे मेरे पैसे लौटा दिए ….आपकी वजह से मेरी पत्नी का आप्रेशन हो जाएगा
सब अच्छा होगा भाई….आप परेशान मत होइए…
जाइए खुशी खुशी अपनी पत्नी का ऑपरेशन करवाइए वो हंसते हुए चलने को हुआ….फिर रुककर बोला…. ईश्वर आपके परिवार को सदा खुशियों से हरा भरा रखें आप बहुत अच्छे इंसान है और उससे भी अच्छे आपके माता पिता जिन्होंने आपको इतनी अच्छी परवरिश दी कहकर अनेकों दुआएं देते हुए वह व्यक्ति चला गया.
उसके जाने के बाद वह इंसान अपने दिल पे हाथ रख कर भगवान को धन्यवाद देते हुए बोला….घन्य है तेरी लीला मेरे ईश्वर ….और धन्यवाद आपका आज मे एक अपराध करने से बच गया वरना एक जरुरतमंद की मौत का पाप का भागीदार बन जाता….धन्य है तूने मेरे मन मे ऐसे वचार भेज कर मुझे माया के अधीन होने से बचा लिया.
आज मोहक चंद के मन में एक सुकून था कि….आज ऊपर वाले की आवाज ने उसे बचा लिया अब वह खुशी खुशी अपने बिस्तर पर गया और चैन की नींद सो गया…
कहानी से सीख – best शिक्षाप्रद कहानी
तो दोस्तों इस कहानी से हमें अनेको सीख मिलती है जिसमे सबसे पहली सीख यह है की मन को कभी भी माया के अधीन मत होने देना वरना जिंदगी मे अनेको पांप के भागीदार बनोगे.
दूसरी सीख यह मिलती गई की ईश्वर हमें सही राह पर चलते रहने के लिए किसी ना किसी रूप मे सतर्क करता रहता है.
परिवार मे बच्चो की अच्छी परवरिश का होना बहुत जरुरी है.
क्योंकि हमारी अच्छी परवरिश ही हमें एक दूजे इंसान की निःस्वार्थ मदद करनी सिखाता है.
तो दोस्तों यह best शिक्षाप्रद कहानी आपको कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताना.
हम अपने blog पर ऐसी ही तमाम कहानियाँ आपके लिए लाते रहते है.
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