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Hindi Moral story for student

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका ज्ञान से भरी एक और hindi moral story for student मे. आज की इस कहानी से students ईमानदारी का एक नया और खूबसूरत सबक सीख पाएंगे.

 

हमारी आज की कहानी है “खोई हुई पोटली “

प्रेरणादायक hindi moral story for student 

 

14 वर्ष का एक बच्चा जिसका नाम था नंदू. नंदू अपने गरीब माँ बाप के साथ ढोली गांव मे रहता है. नंदू के पिता जी एक छोटे से किसान थे. नंदू का एक छोटा भाई था.

 

नंदू के पड़ोसी गांव से दो किसान अपनी साल भर की मेहनत से उगाई गई फसले शहर की मंडी मे बेच कर अपने गांव वापिस लौट रहे थे. फ़सल बेच कर बहुत अच्छा धन कमाया था वह सारा धन एक पोटली मे बांध लिए थे.

 

 दोनों किसान सगे भाई थे और अपनी बैलगाडी से दोनों किसान सुबह 6 बजे के निकले थे. उन्हें शहर से अपने गांव आते आते दोपहर के यही कुछ 2 बज चुके थे.

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दोनों किसान अपने गांव जाने वाली सड़क पर तेज़ी से बैलगाडी दौड़ाते हुए आरहे थे, सड़क कच्ची थी और कई जगह छोटे बड़े गड्ढे थे.  कई गड्ढों पर बैल गाड़ी का पहिया बार बार आने जाने की वजह से धन की पोटली उछल कर वही रास्ते के किनारे गिर गई.

 

लेकिन दोनों भाई ख़ुशी मे सरपट से अपनी बैलगाडी को दौड़ाते हुए घर पहुंच चुके थे.

 

जिस रास्ते पर दोनों किसान भाइयों की धन से भरी पोटली गिरी हुई थी उसी रास्ते से नंदू स्कूल से अब घर की तरफ जा रहा था. नंदू की नजर उसी पोटली पर पड़ी.

 

नंदू ने झट से वो पटली उठाई और खोल के देखा तो उसमे खूब सारा धन था.

 

नंदू इधर उधर देखने लगा तो दूर दूर तक कोई दिखाई ना दिया. तब नंदू ने सोचा की अब क्या किया जाए, गर इस पोटली को यहीँ छोड़ दू तो कोई और इसे उठा कर ले जाएगा.

 

“यह पोटली किसी गलत इंसान के हाथ ना लग जाए इसलिए इसे यहां छोड़ कर जाना सही नहीं होगा, जिसकी पोटली है वो परेशान होगा और अपनी पोटली को खोजता हुआ इस ओर जरूर आएगा”

 

 यह सब बातें सोच कर नंदू कुछ देर वही खड़ा रहा. कुछ देर ज़ब कोई नहीं आया तो नंदू उस पोटली को लेकर अपने घर चला गया और उसे झोपड़ी मे छुपा दिया.

दोनों किसान ज़ब घर पहुंचे तो एक किसान भाई ने अपनी जेब पर टटोलते हुए हाथ फेरा तो दंग रह गए. पोटली उनकी जेब मे तो थी नहीं. दोनों हड़बड़ाहाट मे तुरंत इधर उधर देखने लगे फिर चलते भागे उसी रास्ते पर पोटली खोजते हुए चल दिए.

नंदू जल्दी से खाना खा कर फिर से वहीँ चला गया जहाँ वो पोटली उसे मिली थी. ज़ब वो वहाँ पहुंचा तो उसने देखा की वहाँ दो लोग परेशान खड़े है और कुछ खोज रहे है.

 

नंदू ने दोनों व्यक्तियों से पूछा की आप क्या खोज रहे हो. वो दोनों व्यक्ति नहीं चाहते थे की किसी को उस धन से भरी पोटली के बारे पता लगे इस वजह से उन दोनों ने नंदू को डाटते हुए बोला की “तुम्हे क्या करना है जाओ अपना काम करो “.

 

नंदू ने फिर से पूछा की अरे कहीं आप कोई पोटली तो नहीं खोज रहे.

इतना सुनते ही उन दोनों किसान भाइयो के कान खड़े हो गए दोनों दौड़ते हुए नंदू के पास पहुंचे और बड़े प्यार से पूछने लगे हाँ बेटा हाँ, हम वही खोज रहे बहुत परेशान है, बेटा क्या तुमने देखा वो कहाँ है बता दो बेटा बहुत मेहरबानी होगी.

 

नंदू बोला – अरे आप चिंता ना करें वो पोटली मेरे पास ही है लेकिन मै कैसे मान लू की उस पोटली के असली मालिक आप ही हो.

 

मुझे पोटली की पहचान बताओ.

 

दोनों किसानो ने पोटली की पहचान बता दी

नंदू अब समझ गया की ये ही उस धन के असली मालिक है.

 

नंदू दोनों किसान भाइयो को अपने साथ अपने घर ले गया और वो पोटली उनके हवाले करते हुए बोला की ज़ब मै स्कूल से लौट रहा था तब यह पोटली मुझे वहीँ से मिली थी.

 

अपना धन पा कर दोनों किसान भाई बहुत खुश हुए. किसान भाइयों ने इनाम के तौर पर कुछ पैसे पोटली से निकाल कर नंदू को देने चाहे तो नंदू ने यह कह कर मना कर दिया की, नहीं मै यह पैसे नहीं ले सकता, मैंने जो किया वो मेरा फ़र्ज़ था ना की किसी इनाम की लालच व लालसा से यह किया.

 

दोनों किसान भाई नंदू को अपना आशीर्वाद दे कर वहाँ से चले गई.

 

वो दोनों किसान भाई अगले दिन सुबह नंदू के स्कूल पहुंचे और स्कूल के हेडमास्टर को सारी घटना सुनाई.

 

नंदू की ईमानदारी का किस्सा सुन स्कूल हेड मास्टर बहुत ज़ादा प्रसन्न हुए.

 

हेड मास्टर ने पूरे स्कूल के सामने स्टेज पर नंदू को बुलाया और इनाम से सम्मानित किया. साथ नंदू की ईमानदारी का किस्सा सभी बच्चो व अध्यापको को सुना कर सभी को नंदू से सीख लेने को भी कहा.

 

वहां मौजूद सभी लोग नंदू की ईमानदारी से बहुत खुश व प्रेरित हुए. साथ सब के दिल मे नंदू के प्रति खूब प्रेम व आदर सम्मान भर गया.

 

ज़ब नंदू के घर वालों को यह पता चला तो माँ बाप को नंदू पर बहुत गर्व हुआ. सिर्फ यही नहीं यह बात गांव के सरपंच तक ज़ब पहुंची तो सरपंच साहब ने ना सिर्फ नंदू को बल्कि नंदू के माता पिता को भी बहुत सम्मानित किया.

 

इसी के साथ सरपंच साहब न नंदू के पिता को एक एकड़ खेत इनाम मे दे दिया. क्योंकि नंदू की ईमानदारी से गांव का नाम रोशन हो चुका था.

तो देखा दोस्तों ईमानदारी का फल. जरा सोचो, नंदू एक बेहद गरीब परिवार का बच्चा था लेकिन ग़रीबी भी उसके ईमान को तोड़ ना पाई वरना वो चाहता तो बो पोटली अपने पास रख कर साल भर का खाना अपने परिवार के लिए जुटा सकता था और किसी को पता भी ना चलता लेकिन नहीं. नंदू न ऐसा नहीं किया. 

कहानी से सीख – moral story for student 

तो देखा बच्चों – इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की ईश्वर हर किसी को अपनी ईमानदारी दिखाने के कई मौके देता है. जिस तरह नंदू एक गरीब परिवार से होने बावजूद भी उसका ईमान टस से मस ना हुआ.

 

इस कहानी से यह सीख मिलती है है की परिस्थितियाँ कैसी भी हो अपना ईमान कभी नहीं खोना चाहिए.

 

आप अपने ईमान पर अड़े रहो ईश्वर आपका जीवन सुख समृद्धि से भर देगा.

 

बेईमानी से कुछ वक़्त के लिए आप खुश रह सकते हो लेकिन ईमानदारी की दौलत से आप जीवन भर का सुख सुकून खरीद सकते हो.

 

उम्मीद करता हु की इस moral story for student से आपको बहुत सीख और प्रेरणा मिली होगी.

 

हम अपने blog पर बच्चो मसनसिक एवं चरित्र विकास के लिए ऐसी ही तमाम ज्ञान से भरी कहानियाँ लाते रहते है.

 

हमारे blog पर बने रहे.

 

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